UP Govt की ओर से पेश हुए वकील के 'अनजान' दिखने और गलत ब्रीफ से दलीलें पेश करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मामले की सुनवाई स्थगित की

Update: 2025-01-17 04:05 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मामले की सुनवाई स्थगित की, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील 'अनजान' दिखने और गलत ब्रीफ से दलीलें पेश करने के बाद जमानत मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने वकील द्वारा माफी मांगे जाने के बाद आदेश पारित किया और निर्देश दिया कि मामले को 29 जनवरी को सूचीबद्ध किया जाए।

आदेश में कहा गया,

"उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को खुद को तैयार करने में सक्षम बनाने के लिए मामले को 29.01.2025 को सूचीबद्ध किया जाए।"

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को उसके इस कथन पर फटकार लगाई कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 45 का प्रावधान किसी महिला पर लागू नहीं होगा। यह कहते हुए कि वह संघ की ओर से कानून के विपरीत प्रस्तुतियां बर्दाश्त नहीं करेगा, न्यायालय ने इस दलील को खारिज कर दिया कि प्रस्तुतियां गलत संचार का परिणाम थीं।

जस्टिस ओक ने कहा:

"यह भारत संघ की ओर से एक स्पष्ट इरादा है कि किसी भी तरह से जमानत से इनकार किया जाना चाहिए। इसलिए इस तरह की प्रस्तुतियां की जाती हैं। यदि भारत संघ के लिए पेश होने वाले लोग कानून के बुनियादी प्रावधानों को नहीं जानते हैं तो उन्हें मामले में क्यों पेश होना चाहिए?"

इससे पहले जनवरी, 2023 में जस्टिस रॉय की एक पीठ ने मामलों के लिए पर्याप्त तैयारी किए बिना अदालत में आने वाले युवा वकीलों पर गंभीर आपत्ति जताई थी।

खंडपीठ ने कहा,

"यदि आप मामले के लिए तैयार नहीं हैं तो अदालत में न आएं। आपसे पूरी तरह से तैयार होने की अपेक्षा की जाती है।"

केस टाइटल: रिंकू @ रवींद्र कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 015782/2024

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