सरकार के खिलाफ फैसला देने पर ही जज स्वतंत्र होते हैं, यह धारणा गलत : जस्टिस अजय रस्तोगी
सुप्रीम कोर्ट के निवर्तमान जज जस्टिस अजय रस्तोगी ने अपने विदाई भाषण में कहा कि अगर जज सरकार के खिलाफ आदेश पारित करते हैं तो जज को "स्वतंत्र" बताना गलत प्रवृत्ति है।
जस्टिस रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई में कहा,
"अगर कोई यह कहना चाहता है कि मैं स्वतंत्र न्यायाधीश या निष्पक्ष न्यायाधीश हूं, क्योंकि मैंने मामले को प्रतिष्ठान विरोधी तय किया है, सरकार के खिलाफ राय दी है .. मैं कहता हूं कि ऐसा नहीं है। हमें हमारे सामने सामग्री के आधार पर मामलों का फैसला करना है। आप सरकार के खिलाफ टिप्पणी करें, हर कोई खुश है- वे आपको बेहतरीन न्यायाधीश कहेंगे। यह वही है जो लोगों द्वारा माना जाता है और मीडिया भी इसे उठाता है। इस प्रथा को बदलने की जरूरत है।"
जस्टिस रस्तोगी ने इशारा करते हुए कहा,
"मैं किसी मामले के पक्ष या विपक्ष में निर्णय ले सकता हूं, लेकिन हम रिकॉर्ड पर सामग्री के आधार पर निर्णय लेते हैं। न्याय तब होता है जब आप धैर्यपूर्वक सुनते हैं, पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देते हैं और सबूत के आधार पर मामले का फैसला करते हैं। अगर सरकार के खिलाफ फैसला आता है तो मीडिया "खुश" है।
उन्होंने कहा,
"इस अदालत का संबंध नहीं है कि दाएं या बाएं कौन है। यह अदालत केवल इस बात से संबंधित है कि दोनों में से कौन सही है।"
जस्टिस रस्तोगी ने न्यायिक प्रणाली पर आत्मनिरीक्षण का भी आह्वान किया, जहां केवल वही लोग सुनवाई कर सकते हैं जो वकीलों का खर्च उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा,
"यह अदालत हर नागरिक और हर किसी की शिकायत सुनने के लिए है और जो भी यहां आता है उसे समान प्राथमिकता दी जानी चाहिए ... अदालत का कर्तव्य यह देखना है कि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को पहली पंक्ति के व्यक्ति की तरह अनुग्रह मिले। यह कोर्ट सबकी, हर शिकायत सुनने के लिए है।"
विदाई समारोह की अध्यक्षता करने वाले सीजेआई चंद्रचूड़ ने सार्वजनिक सेवा के अपने करियर और न्याय की खोज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जस्टिस रस्तोगी की सराहना की।
उन्होंने कहा,
"जस्टिस रस्तोगी समझते हैं कि श्रम और सेवा मामलों में सुप्रीम कोर्ट वास्तविक लोगों और उनकी आजीविका से निपट रहा है।"
इस संबंध में जस्टिस रस्तोगी के कई फैसलों का हवाला देते हुए सीजेआई ने कहा,
"जबकि सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हम कानून के अमूर्त सिद्धांतों को तय करते हैं, ये फैसले जो आम नागरिकों के जीवन को छूते हैं, लगातार याद दिलाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का नागरिकों के जीवन के साथ अटूट रूप से जुड़ा हुआ है।”
जस्टिस रस्तोगी 17 जून को ग्रीष्मावकाश में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। विदाई का आयोजन इस समय इसलिए किया गया, क्योंकि यह अवकाश के लिए बंद होने से पहले न्यायालय का अंतिम कार्य दिवस था।
जस्टिस रस्तोगी को 2 सितंबर 2004 को राजस्थान हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें 1 मार्च 2018 को त्रिपुरा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। उन्हें 2 नवंबर 2018 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम, जो अवकाश के दौरान सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनको भी विदाई दी गई।