'शिक्षा में भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं': दिल्ली में रोहिंग्या बच्चों के लिए सरकारी स्कूल में एडमिशन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सरकारी लाभ और स्कूल में एडमिशन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाएगी, लेकिन पहले रोहिंग्या परिवारों के निवास की स्थिति का पता लगाना होगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ रोहिंग्या शरणार्थी परिवारों को आधार कार्ड पर जोर दिए बिना और नागरिकता की स्थिति की परवाह किए बिना स्कूल में एडमिशन और सरकारी लाभ देने के लिए शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता से रोहिंग्या शरणार्थी परिवारों की आवासीय स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए कहते हुए कोर्ट ने पहले कहा था कि यहीं से "शिक्षा का अधिकार" प्रवाहित होगा।
इसी तरह की राहत की मांग करने वाले अन्य मामले में कोर्ट ने संकेत दिया कि शिक्षा प्रदान करने की प्रणाली निवास की स्थिति के आधार पर भिन्न होगी, क्योंकि यदि परिवार शिविरों में रहते हैं और रोहिंग्या बच्चों को नियमित स्कूलों में प्रवेश की अनुमति है तो बच्चों के माता-पिता/संरक्षक भी शिविरों को छोड़ने की मांग कर सकते हैं।
केस टाइटल: रोहिंग्या मानवाधिकार पहल (रोहिंग्या) और अन्य बनाम दिल्ली सरकार और अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 57/2025