राष्ट्रीय हितः सीआईसी ने गृह मंत्रालय को वैध/अवैध प्रवासियों का समेकित डेटाबेस बनाने की सलाह दी

Update: 2021-01-23 13:11 GMT

केंद्रीय सूचना आयोग ने गृह मंत्रालय को एक आरटीआई आवेदक को स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया है। कार्यकर्ता ने अवैध/वैध प्रवासियों से संबंधित रिकॉर्ड / डेटा की प्रतियां मांगी है। मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने मंत्रालय को यह भी सलाह दी कि वह 'वैध या अवैध प्रवासियों के बारे में राष्ट्रीय हित में' एक समेकित रिकॉर्ड/डेटाबेस बनाए रखें।

आयोग आरटीआई आवेदक उत्पल कुमार रॉय की ओर से दायर दूसरी अपील पर विचार कर रहा था, जिन्होंने आरटीआई आवेदन में अवैध प्रवासियों, विशेषकर पश्चिम बंगाल, के संबंध में, फाइल नोटिंग और रिकॉर्ड की प्रतियां मांगी थीं।

उन्होंने आयोग से गुहार लगाई ‌थी कि विशिष्ट/वांछित सूचना देने के बजाय एमएचए ने उनके आरटीआई आवेदन को कई सार्वजनिक प्राधिकरणों को हस्तांतरित कर दिया।

आयोग के समक्ष एमएचए ने दलील दी कि अवैध/कानूनी प्रवासियों से संबंधित रिकॉर्ड/डेटा के रखरखाव का कार्य राज्य एजेंसियों को सौंप दिया गया है, वही वांछित सूचनाओं के वास्तविक संरक्षक हैं और इसलिए आरटीआई आवेदन का विषय राज्य का विषय है और सीआईसी के अधिकार क्षेत्र से परे है।

सीआईसी सिन्हा ने कहा कि गृह मंत्रालय के पीआईओ द्वारा दिए गए जवाब न्याय करने में विफल रहे, क्योंकि उत्तरदाताओं ने अपीलकर्ता के प्रश्नों के जवाब में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।

आयोग ने कहा, मौजूदा वैधानिक शासन के अनुसार, भारत में निवासियों की तीन श्रेणियां हैं, यानी नागरिक, वैध निवासी, विदेशी/ एलियंस और अवैध प्रवासी। इसलिए, अवैध प्रवासियों की पहचान/ पता लगाने के लिए और उसके बाद कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और नागरिकता अधिनियम, 1955 को एक साथ पढ़ने से पता चलता है कि अवैध प्रवासियों की पहचान करना/ पता लगाना और उसके बाद कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार कार्रवाई करना राज्य की जिम्मेदारी है।

देश में अवैध प्रवासियों के प्रवेश को रोकना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे न केवल सरकारी खजाने पर बोझ डालते हैं बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा भी बन सकते हैं। राष्ट्रीय नीति को आदर्श रूप से देश में अवैध प्रवास को रोकना चाहिए और तदनुसार सरकार को इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उचित नीतियों और तंत्रों को तैयार करना चाहिए।

आयोग ने कहा कि बड़े हित में, नोडल अथॉरिटी के रूप में कार्य कर रहे पीआईओ/एमएचओ, को अधिक व्यावहारिक और सटीक तरीके से प्रश्नों को संबोधित करना चाहिए, रिकॉर्ड पर उपलब्ध जानकारी के साथ प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए, जैसा कि आरटीआई अधिनियम के तहत अनुमति दी गई है। पीआईओ, एमएचए को यदि आवश्यक हो, तो आरटीआई अधिनियम की धारा 5 (4) के प्रावधानों को लागू करना चाहिए और सूचना के वास्तविक संरक्षक (संरक्षकों) से अपेक्षित जानकारी प्राप्त करना चाहिए।

अदालत ने एमएचए को 31.03.2021 तक इस संबंध में एक अनुपालन रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया, और कहा कि विफल रहने पर, उचित कार्यवाही शुरू की जाएगी।

केस: उत्पल कुमार रॉय बनाम पीआईओ, एमएचए [ Second Appeal No. CIC/MHOME/A/2018/164984]

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