भारत ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42 वें सत्र में एक प्रस्ताव, जिसमें सजा के रूप में मौत की सजा के प्रावधान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, के खिलाफ वोट किया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मृत्युदंड की पुष्टि हाल के वर्षों की तुलना में अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने पांच मामलों में मौत की सजा की पुष्टि की है।
निर्भया केस: SC ने मृत्युदंड के खिलाफ अंतिम पुनर्विचार याचिका खारिज की
अक्षय कुमार सिंह बनाम राज्य
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने, जिसमें जस्टिस आर भानुमती, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना शामिल थे, बुधवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में अंतिम लंबित पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, जिसे अक्षय कुमार सिंह ने दायर किया था, जो उन चार दोषियों में से एक है, जिन्हें मौत की सजा का इंतजार है।
नाबालिग लड़की से बलात्कार-मौत: मौत की सजा 2:1 बहुमत से बरकरार
मनोहरन बनाम स्टेट
सुप्रीम कोर्ट (2:1) ने दस साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार में शामिल एक व्यक्ति को मौत की सजा को बरकरार रखा, जिसने बलात्कार के बाद लड़की और उसके भाई की हत्या कर दी थी। मनोहरन द्वारा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की, जिसमें जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। हालांकि, जस्टिस संजीव खन्ना ने मौत की सजा की पुष्टि से असंतुष्ट थे और कहा कि यह मामला 'दुर्लभतम' मामले की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन उन मामलों की विशेष श्रेणी में आता है जहां अपीलकर्ता को जीवन पर्यंत उम्रकैद की सजा अर्थात बिना किसी छूट के प्राकृतिक मृत्यु तक, भुगतने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।
बाद में, अगस्त 2019 में, पीठ ने मनोहरन द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। अन्य बातों के अलावा, यह माना गया कि मृत्युदंड को बरकरार रखने के मामले में एक जज की असंतुष्टि रोड़ा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया।
रवि बनाम महाराष्ट्र राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2:1 बहुमत से बहुमत से दो साल की बच्ची की हत्या और बलात्कार के दोषी पाए गए एक व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा दिए जाने की पुष्टि की। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत के बहुमत से मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा, जबकि जस्टिस सुभाष रेड्डी ने अपनी असहमति प्रकट की।
सुप्रीम कोर्ट ने तांत्रिक दंपति को मौत की सजा दी, जिन्होंने नर बलि के लिए बच्चे की हत्या की
ईश्वरी लाल यादव बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने एक 'तांत्रिक' दंपति को नर बलि के लिए एक लड़के की हत्या करने के दोष में मौत की सजा सुनाई। जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों की जांच के बाद सर्वसम्मति से माना कि यह मामला "दुर्लभतम से दुर्लभतम मामलों " की श्रेणी शामिल है, जहां मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने छह व्यक्तियों को मारने के आरोप में मौत की सजा सुनाई
खुशविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने लंबे अंतराल और छूट के बाद, अपने फैसले में मौत की सजा की पुष्टि की। विडंबना यह है कि यह फैसला उसी दिन आया, जब उसी पीठ ने एक अन्य मामले में, छह आरोपियों को 'मौत की सजा' से बरी कर दिया, जिन्हें 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने खुशविंदर सिंह को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा। वह एक परिवार के छह लोगों की हत्या का दोषी था, जिनमें से दो नाबालिग थे - जिनकी उम्र 10 साल से कम थी।
मृत्युदंड के मामले: कम्यूटेशन और एक्विटल्स
संतोष मारुति माने बनाम महाराष्ट्र राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने एक बस चालक को दिए गए मृत्युदंड को कम कर दिया, जिसकी 'जॉय राइड' ने 2012 में नौ लोगों की जान ले ली। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि हालांकि इस मामले में बचाव के रूप में दोषी का पागलपन का शिकार होना स्थापित नहीं हो पाया है, फिर भी आरोपी मानसिक तनाव और अवसाद में था, जिसके परिणामस्वरूप यह त्रासदी हुई।
नंद किशोर बनाम मध्य प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा 8 साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या के दोषी को दी गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पर आईपीसी की धारा 302, 363, 366 और 376(2)(i)के तहत अपराधों के अलावा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए बने अधिनियम (पोक्सो एक्ट) की धारा 5, 6 के तहत आरोपपत्र दायर किया गया था।
सजा के बाद दोषी की हुई मानसिक बीमारी, मृत्युदंड को कम करने का एक कारक है।
आरोपी एक्स बनाम महाराष्ट्र राज्य
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने दो नाबालिग लड़कियों के बलात्कार और हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा कम कर दी। यह कहा गया कि मृत्यु के दोषियों की अपीलों पर विचार करते हुए उनकी सजा के बाद होने वाली मानसिक बीमारी को सजा को कम करने वाला कारक माना जाए।
जब हत्या का दूसरा दोष मौत की सजा का वारंट होगा?
योगेंद्र @ जोगेंद्र सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य
जस्टिस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक महिला की हत्या के दोषी व्यक्ति को मौत की सजा कम कर दी। अदालत ने कहा कि हत्या के दूसरा दोष के तहत मौत की सजा देने का प्रावधान तभी होगा, जब दोनों मामलों में कोई एक पैटर्न दिखाई दे रहा हो।
मृत्युदंड केवल तब दिया जाए जब वैकल्पिक विकल्प निर्विवाद रूप से खत्म हो चुका हो
राजू जगदीश पासवान बनाम महाराष्ट्र राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या के दोषी शख्स की मौत की सजा कम कर दी और उसे बिना किसी छूट के 30 साल की कैद की सजा सुनाई। जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि भले ही हत्या में असाधारण अनैतिकता शामिल है और अपराध का तरीका बेहद क्रूर है, फिर भी मृत्युदंड तभी दिया जा सकता है, जब वैकल्पिक विकल्प निर्विवाद रूप से खत्म हो चुका हो। बेंच ने राज्यों को 2016 के मॉडल जेल मैनुअल में निहित सुधार और पुनर्वास कार्यक्रमों को लागू करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया।
तीन को रिहा किया, एक की मौत की सजा कम की
बसवराज बनाम कर्नाटक राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन हत्या के आरोपियों को बरी कर दिया, जिनकी मौत की सजा की पुष्टि उच्च न्यायालय ने की थी। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
परशुराम बनाम मध्य प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सात साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के दोषी एक 'ट्यूटर' को दी गई मौत की सजा कम की और उसे 30 साल (बिना किसी छूट के) कारावास की सजा सुनाई।
दया याचिका में निर्णय में असामान्य और अस्पष्टीकृत विलंब: सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा कम की
जगदीश बनाम मध्य प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी और पांच बच्चों की हत्या के लिए दोषी एक व्यक्ति को दी गई मौत की सजा कम कर दी, जिसका आधार दया याचिका पर निर्णय लेने में असामान्य और और अस्पष्टीकृत विलंब बताया गया।
पप्पू @ चंद्रा कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें बिना ये तय किए कि क्या ट्रायल कोर्ट में की गई दोषसिद्धि न्यायसंगत थी या नहीं, मौत की सजा की पुष्टि की गई। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट को वापस भेज दिया।
साढ़े सात साल की बच्ची का बलात्कार और हत्या: सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा कम की
विजय रायकवार बनाम मध्य प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने साढ़े सात साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी एक व्यक्ति को मौत की सजा को कम कर दिया। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की तीन जजों वाली बेंच ने दोष को बरकरार रखा और कहा कि अपराध को क्रूर कहा जा सकता है, हालांकि मौत की सजा नहीं दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अंततः गलती ठीक कीः 2009 मृत्युदंड की सजा पाए छह व्यक्तियों को बरी किया
अंकुश मारुति शिंदे बनाम महाराष्ट्र राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में मौत की सजा पाए तीन व्यक्तियों को बरी कर दिया, साथ ही तीन अन्य लोगों को भी बरी कर दिया, जिनकी मौत की सजा की पुष्टि की गई थी। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने महाराष्ट्र राज्य को आदेश दिया कि उनमें से प्रत्येक को क्षतिपूर्ति के रूप में 5 लाख रुपए का भुगतान किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए दो लोगों बरी किया
दिगंबर वैष्णव बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दो लोगों को बरी कर दिया, जिनकी मौत की सजा की पुष्टि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने की थी। जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने दिगंबर वैष्णव और गिरधर आई वैष्णव को बरी कर दिया, जिन पर पांच महिलाओं से लूट और उनकी हत्या का आरोप था।
मौत की सजा तभी दी जा सकती है, जब उम्रकैद की सजा पूरी तरह से अनुचित सजा लगे
सचिन कुमार सिंहराजा बनाम मध्य प्रदेश राज्य
पांच साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को कम करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा केवल तभी होनी चाहिए, जब उम्रकैद पूरी तरह से अनुचित सजा प्रतीत हो। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने सचिन कुमार सिंघारा को 25 साल के कारावास (छूट के बिना) की सजा सुनाई।
अनोखीलाल बनाम मप्र राज्य
जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने बलात्कार और हत्या के आरोपियों, जिन पर मात्र 13 दिन के मुकदमे में फैसला हो गया था, को दी गई मृत्युदंड की सजा को रद्द करते हुए इन दिशानिर्देशों को जारी किया। कोर्ट ने कहा कि, इस मामले में, एमिकस क्यूरी को न तो बुनियादी दस्तावेजों को समझाने के लिए पर्याप्त समय मिला, न आरोपी को किसी चर्चा या बातचीत का लाभ मिला, और न मामले पर विचार करने का समय मिला। कोर्ट ने कहा कि कि आपराधिक मामलों का शीघ्र निस्तारण कभी भी न्याय की मृत्यु का कारण नहीं बनना चाहिए। साथ ही ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर दोबारा विचार करे।