क्रूरता साबित होने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2023-12-27 10:27 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक बार क्रूरता साबित होने पर तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। कोर्ट ने कहा कि क्रूरता के मामलों में अदालत को वैवाहिक रिश्ते को बहाल करने का आदेश पारित करने से पहले अन्य परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए।

जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने फैसला सुनाया,

“एक बार जब क्रूरता पाई जाती है तो तलाक लेने की कार्रवाई का कारण बनता है। उसके बाद पक्षकारों किस प्रकार आचरण करेंगी, यह प्रासंगिक कारक बना रह सकता है। फिर भी कानून का कोई नियम उत्पन्न नहीं हो सकता, जो अदालत को अन्य उपस्थित परिस्थितियों को देखे बिना पक्षकारों के बीच वैवाहिक संबंध बहाल करने के लिए आदेश पारित करने का निर्देश दे सकता है।

अपीलकर्ता-पति ने प्रतिवादी-पत्नी के कहने पर अपनी शादी को भंग करने के प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, इटावा के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अदालत ने पाया कि प्रतिवादी-पत्नी ने क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग की। निचली अदालत के समक्ष अपीलकर्ता-पति के करीबी रिश्तेदारों ने प्रतिवादी-पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि की। इस आशय के बयान दिए गए कि अपीलकर्ता के पिता ने उसके खराब आचरण के कारण उसे अपनी वसीयत से बेदखल कर दिया।

खंडपीठ ने कहा,

“अपील पर संक्षेप में विचार करने पर हमने सबसे पहले पाया कि प्रतिवादी अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने और/या पैसे देने के लिए मजबूर करने के लिए बार-बार शारीरिक हमले की घटना पर की गई क्रूरता के अपीलकर्ता के मामले को साबित करने में सक्षम है, जबकि क्रूरता को स्थापित करने के लिए किसी और सबूत की आवश्यकता नहीं है, बचाव पक्ष के गवाह जो वर्तमान अपीलकर्ता के करीबी परिवार के सदस्य हैं, उसने स्पष्ट रूप से अपीलकर्ता के बुरे चरित्र के आरोप की पुष्टि करते हुए कहा कि अपीलकर्ता के ऐसे बुरे चरित्र और आचरण के कारण उसके पिता उसे उसकी वसीयत से बाहर कर दिया।

अदालत ने माना कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता-पति की इस दलील को खारिज करके कोई गलती नहीं की कि दहेज आदि की मांग न करने पर शादी बहाल कर दी जाए।

कोर्ट ने कहा,

"क्रूरता के कार्य छिटपुट या एकल नहीं है, जिस पर आगे विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।"

तदनुसार, न्यायालय ने माना कि क्रूरता का कृत्य स्थापित पाया गया और अपीलकर्ता-पति द्वारा दायर अपील खारिज कर दी।

केस टाइटल: हेमसिंह @ टिंचू बनाम भावना [प्रथम अपील नंबर- 1360/2023]

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