जब सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु से कहा, 11.71 करोड़ नहीं हैं, पेट्रोल पर टैक्स से कितना इकट्ठा करते हो ?

Update: 2018-09-22 11:41 GMT

“ यह अजीब बात है कि तमिलनाडु सरकार रेत आयातक को 11.71 करोड़ रुपये रुपये का भुगतान नहीं कर सकती जबकि पेट्रोल पर टैक्स से वो इतना पैसा इकट्ठा करती है, “ सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ये टिप्पणी की जब राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भुगतान के लिए चार सप्ताह के लिए आग्रह किया।

याचिका को स्वीकार करने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति मदन लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य को एक हफ्ते के भीतर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिसके विफल रहने पर उसे 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

इससे पहले रोहतगी ने अदालत से कहा कि राज्य सरकार आयातक को राशि का भुगतान नहीं कर सकती क्योंकि वह पहले रेत बेचना चाहती है और फिर भुगतान करना चाहती है। उन्होंने कहा कि "राज्य के पास पैसा नहीं है" इसलिए आठ सप्ताह का समय जरूरी है।

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, "फिर 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करें।" रोहतगी ने कहा कि 18 प्रतिशत ब्याज बहुत अधिक है। न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, "यह अजीब बात है कि तमिलनाडु सरकार के पास देने के लिए पैसा नहीं है।" जब न्यायाधीश ने वकील से पूछा कि "राज्य कितना टैक्स पेट्रोल के माध्यम से जमा करता है” तो रोहतगी दो सप्ताह में भुगतान करने के लिए सहमत हुए लेकिन पीठ ने कहा कि यह एक सप्ताह में किया जाना चाहिए।

दरअसल पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश  जिसमें छह महीने के भीतर राज्य में सभी रेत खनन गतिविधियों को रोकने और सरकार को किसी भी नई खदान खोलने से रोकने  को कहा गया, के खिलाफ राज्य सरकार की अपील सुन रही थी।

राज्य द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि थूथुकुडी बंदरगाह में 55,000 टन से अधिक रेत पड़ी है और विभिन्न प्रयोगशालाओं के रासायनिक परीक्षण ने इसमें 'सिलिका' सामग्री का संकेत दिया है, हालांकि प्रतिशत एक प्रयोगशाला से दूसरी में भिन्न पाया गया है।

इसके बाद राज्य ने कहा कि वह तमिलनाडु के भीतर उपयोग के लिए आयातित रेत खरीद लेगा। आयातक के साथ बातचीत करने के लिए एक समिति की स्थापना की गई  और यह सहमति हुई कि राज्य 11.71 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। जुलाई में अदालत ने भुगतान के लिए आठ सप्ताह का समय दिया और इसे 13 सितंबर को और बढ़ा दिया गया।

गुरुवार को फिर से सुनवाई के दौरान जब रोहतगी ने और समय मांगा  तो पीठ नाराज हुई और कहा कि राज्य को 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होगा। वरिष्ठ वकील ध्रुव मेहता, वकील इलम भारती और बालाजी श्रीनिवासन ने अदालत को सूचित किया कि सरकार अब एक अजीब तर्क दे रही है कि वह रेत बेचने के बाद ही भुगतान करेगी। इसके बाद पीठ ने एक सप्ताह के भीतर भुगतान करने के निर्देश दिए।

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