’स्काई बेबी’ या बेबी बाॅर्न आॅन बाॅर्ड यानि फलाइट में जन्म लेने वाले बच्चों की कई खबरें आई हैं। कुछ दिन पहले 8 अप्रैल 2017 को एक बच्चे ने 42 हजार फीट की उंचाई पर तुर्किश एयरलाइन में जन्म लिया। उस समय फलाइट कोंकरी,गिनी से औगाडौगू,बुर्कीना फासो जा रही थी।
एयर स्पेस किसका है,इस पर उठे सवाल अक्सर कानूनी व राजनीतिक वाद-विवाद का कारण बनते है। इस तरह के मामलों में दूसरा महत्वपूर्ण सवाल है जो कौतुहल पैदा करता है,वो यह है कि फलाइट में पैदा हुए बच्चे की नागरिकता का निर्धारण किया जाना।
अपनी-अपनी जमीन पर पैदा हुए बच्चों के संबंध में नागरिकता का निर्धारण करने के लिए हर देश में अलग-अलग कानून होता है। किसी नागरिकता का सवाल इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे के माता-पिता की नागरिकता कहां ही है और बच्चा किस जगह पैदा हुआ है। लेटिन मैक्सिम में दो अलग-अलग प्रिंसीपल के बारे में व्याख्या दी गई है-जस सोली(जमीन के अधिकार) और जस सनगुईनिश(खून के अधिकार)। अधिक्तर देश ’जस सनगुईनिश’ के प्रिंसीपल को फाॅलो करती है,इसका अर्थ यह है कि बच्चे को नागरिकता अपने किसी माता या पिता के जरिए मिल सकती है। यूनाईटेड स्टेट लिबरल प्रिंसीपल ’जस सोली’ का पालन करता है,जिसके तहत उनकी जमीन पर जन्म लेने वाले बच्चों को अपने आप ही वहां की नागरिकता मिल जाती है।
भारत में सिटिजनशीप एक्ट 1955 के तहत नागरिकता जन्म(धारा तीन) व वंशज या पीढ़ी (धारा चार) से मिलती है। हालांकि धारा तीन के तहत पूर्ण अधिकार नहीं मिलता है। ऐसे में भारत में पैदा होने वाले सभी बच्चों को भारत की नागरिकता नहीं मिलती है। सिटिजनशीप(संशोधित) एक्ट 2003 के बाद यह नियम बन गया है कि भारत में जन्म लेने वाले उसी बच्चे को भारतीय नागरिकता मिलेगी,जिसके माता-पिता भारतीय हो या उनके माता-पिता में से कोई एक भारतीय हो और दूसरा उसके जन्म के समय भारत में अवैध प्रवासी न हो।
उदाहरण-एक अमरेकिन महिला,जिसका पति भी अमेरिकन नागरिक हो,यूनाईटेड किंगडम से ऐसी फलाइट से भारत आती है,जो यूनाईटेड किंगडम में रजिस्टर्ड हो। जब फलाइट भारतीय एयर स्पेस में हो,उस समय वह एक बच्चे को जन्म देती है। अब सवाल आता है कि इस बच्चे को किस देश की नागरिकता मिलेगी-अमरेकिन,ब्रिटिश या भारतीय? इस मामले में बिना किसी विवाद के इस बच्चे को डिसेन्ट या वंशज के हिसाब से अमेरिकन नागरिकता मिल जाएगी।
परंतु क्या इस बच्चे को भारतीय या ब्रिटिश नागरिकता मिल सकती है? भारतीय कानून के अनुसार इस सवाल का जवाब ना होगा क्योंकि बेशक वो भारतीय इलाके में पैदा हुआ है,परंतु उसके माता-पिता में से कोई भी भारतीय नहीं है। जबकि यूनाईटेड नेशन इन बच्चों को अपने देश में पैदा हुए बच्चों की तरह सम्मान करता है क्योंकि एयरक्राफट वहां पर रजिस्टर्ड था। इस बात से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है कि जन्म के समय एयरक्राफट किस देश के एयर स्पेस में था। वहीं यूके के कानून के अनुसार ब्रिटेन में पैदा होने वाले हर बच्चे को अपने आप वहां की नागरिकता नहीं मिलती है।
ऐसे मामलों में नागरिकता के कठिन कानूनी सवाल ही शामिल नहीं है बल्कि ’बर्थ टूरिज्यम’ की भी समस्या शामिल है। चाइना सरकार के अनुसार वर्ष 2012 में यूएस में दस हजार ऐसे बच्चे पैदा हुए,जिनके माता-पिता चाइनीज थे और वो टूर पर गए थे। वहीं वर्ष 2014 के आकड़ों के अनुसार साठ हजार चाइनीज महिला यूएस में गई और बच्चों को वहां जन्म दिया। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि यूएस में सिटिजनशीप पाॅलिसी काफी नरम है। एक ताइवान की महिला को सदंेहपस्द स्थिति में यूएस की फलाइट में बच्चे को जन्म देते पाया गया। वह ऐसा आश्रय पाने के लिए कर रही थी। इस महिला को बाद में हर्जाना देने के लिए कहा गया क्योंकि उसकी प्रेग्रेनंसी के कारण फलाइट को दूसरी जगह डाइवर्ट करना पड़ा था।
हालांकि प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने बर्थ टूरिज्यम को खत्म करने की बात कही है,उनका कहना है कि अवैध अप्रवासी के लिए यह एक बड़ा कारण बन रहा है।
प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2015 में अपने ट्वीटर एकाउंट पर इंगित किया था कि अमेरिका में पैदा होने 7.5 प्रतिशत बच्चे अवैध अप्रवासी है। जिनके अनुसार हर साल तीन लाख ऐसे बच्चे पैदा होते है। इस पर जरूर रोक लगनी चाहिए। इसको सहन नहीं किया जा सकता है और न ही यह सही है।
इन सब बातों से साफ जाहिर है कि ’स्काई बेबी’ के मामलों में कठिन कानूनी व राजनीतिक सवाल पैदा होते है। इन सवालों से कई अन्य सवाल भी उठ सकते है जैसे स्काई किसका है,पहचान का सवाल और राष्ट्रीयता,नागरिकता का मामला। अगर हम यह कहे कि ’ग्लोबल सिटिजन’ से सर्व-सम्मति आती है तो यह कठिन है। अंत में यह सब राजनीतिक इच्छा व उस आईडियोलाॅजी पर निर्भर करता है,जो इस तरह की सीमाओं की व्याख्या करती है।