हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

20 Oct 2024 10:00 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (14 अक्टूबर, 2024 से 18 अक्टूबर, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    बिना उचित जांच के अनुशासनात्मक कार्रवाई अवैधः मेघालय हाईकोर्ट

    मेघालय हाईकोर्ट की एक पीठ ने एक फैसले में कहा कि उचित अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं का पालन किए बिना गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (GHADC) से श्री सेनोरा जॉनी अरेंग को बर्खास्त करना अवैध था।

    जस्टिस डब्ल्यू डिएंगदोह ने पाया कि बर्खास्तगी ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया, विशेष रूप से याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने से पहले जांच करने में विफलता हुई। कोर्ट ने GHADC को याचिकाकर्ता को सभी वित्तीय लाभों के साथ बहाल करने का आदेश दिया गया।

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    अवैध रूप से प्रतिबंधित पदार्थ ले जा रहे वाहन का स्वामित्व मात्र NDPS Act के तहत अपराध में संलिप्तता का संकेत नहीं देता: राजस्थान हाईकोर्ट

    964 किलोग्राम पोस्ता भूसा के संबंध में NDPS Act के तहत आरोपित आरोपी को जमानत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने फैसला सुनाया कि जिस वाहन से प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया, उसके स्वामित्व या उससे संबंध मात्र से यह संकेत नहीं मिलता कि आरोपी को अपराध की जानकारी थी या वह वास्तव में उसमें संलिप्त था।

    मामले के तथ्य यह थे कि पुलिस को चौराहे पर वाहन खड़ा मिला, जिसका टायर पंक्चर था> चालक की तरफ के दरवाजे पर गोली के निशान थे और चालक की सीट पर खून लगा था। जब उसकी तलाशी ली गई तो उसमें से 964 किलोग्राम पोस्ता भूसा बरामद हुआ। जांच के दौरान याचिकाकर्ता की पहचान वाहन के मालिक और प्रतिबंधित माल के परिवहन के समय उसके चालक के रूप में की गई।

    केस टाइटल: जस्सा राम बनाम राजस्थान राज्य

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    MP Civil Services (Pension) Rules | रिटायरमेंट के बाद विभागीय जांच जारी रह सकती है, दंड आदेश केवल राज्यपाल द्वारा पारित किया जा सकता है: हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्वालियर में रिटायर्ड वन रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी पर जुर्माना लगाने वाला आदेश रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के तहत उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। न्यायालय ने कहा कि सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद केवल राज्यपाल ही विभागीय जांच के आधार पर ऐसे दंडात्मक आदेश जारी कर सकते हैं।

    केस टाइटल: हरिवल्लभ चतुर्वेदी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य

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    NDPS Act की धारा 67 के तहत दिए गए स्वैच्छिक/स्वीकारोक्ति बयान को आरोपी के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में 25 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक्स सब्सटेंस एक्ट (NDPS) के प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही रद्द की, जब कूरियर कंपनी से गांजा युक्त पार्सल जब्त किया गया, जिस पर उसका मोबाइल नंबर था।

    जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने सैकत भटाचार्य द्वारा दायर याचिका स्वीकार की और एक्ट की धारा 20(बी)(ii)(ए), 23(ए), 27, 27ए, 28 और 29 के तहत धारा 8(सी) के तहत कार्यवाही रद्द कर दी।

    केस टाइटल: सैकत भटाचार्य और भारत संघ।

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    पत्नी को योग्य होने के कारण ही भरण-पोषण सेइनकार नहीं किया जा सकता, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता कि उसने सिर्फ भत्ता लेने के लिए नौकरी छोड़ दी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल इसलिए गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पत्नी पेशेवर रूप से योग्य है, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता कि उसने सिर्फ गुजारा भत्ता लेने के लिए पेशा छोड़ दिया है।

    जस्टिस सुमित गोयल ने कहा, "पत्नी को केवल शैक्षिक रूप से योग्य होने के आधार पर गुजारा भत्ता मांगने का हकदार नहीं ठहराया जा सकता है, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता है कि उसने पेशेवर रूप से योग्य होने के नाते, एक पेशा अपनाने के बाद, इस तरह के पेशे को छोड़ दिया है, सिर्फ रखरखाव की मांग के लिए। वर्तमान मामले में, यह पति का मामला नहीं है कि पत्नी गुजारा भत्ता देने के लिए वर्तमान याचिका दायर करने से पहले शादी के बाद काम कर रही थी और कमा रही थी।

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    'किसी मामले के निर्णय में देरी का कारण' आरटीआई अधिनियम के तहत 'सूचना' नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 'किसी मामले में निर्णय लेने या निर्णय लेने में देरी के कारण' सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत परिभाषित 'सूचना' के अंतर्गत नहीं आते हैं और इसलिए, कोई भी आरटीआई आवेदन में 'कारण' नहीं पूछ सकता है।

    जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेन्द्र जैन की खंडपीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक अधिवक्ता के खिलाफ एक वादी द्वारा दायर शिकायत में 'निर्णय में देरी के कारणों' की जानकारी देने में विफल रहने पर बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा (बीसीएमजी) के सचिव पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

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    राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी 5 वें और 6 वें वेतन आयोग के वेतन संशोधन और लाभों के हकदार: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस एमए चौधरी ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें उनकी सेवानिवृत्ति के बावजूद 5 वें और 6 वें वेतन आयोग के तहत वेतन संशोधन के लिए उनके अधिकार को मान्यता दी गई। अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता को पेंशन उद्देश्यों के लिए सरकारी कर्मचारी के रूप में माना जाता है, इसलिए वह प्रासंगिक वैधानिक नियमों और आदेशों (SRO) के तहत दिए गए वेतन संशोधन के भी हकदार हैं।

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    गार्डियंस एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 12 के तहत पारित आदेश फैमिली कोर्ट एक्ट की धारा 19 के तहत अपील योग्य: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया कि गार्डियस एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 12 के तहत पारित आदेशों पर फैमिली कोर्ट एक्ट की धारा 19 के तहत अपील की जा सकेगी। गार्डियंस एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 12 फैमिली कोर्ट को नाबालिग को पेश करने और व्यक्ति एवं संपत्ति की अंतरिम सुरक्षा के लिए अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करती है। फैमिली कोर्ट एक्ट की धारा 19 में कहा गया है कि फैमिली कोर्ट के किसी भी निर्णय या आदेश के विरुद्ध, अंतरिम आदेशों को छोड़कर, हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है।

    टाइटल: एक्स बनाम वाई

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    अगर ट्रायल शुरू नहीं हुआ है तो संशोधन के जरिए टाइम-बार्ड क्लेम पेश किया जा सकता है: पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए, जिसमें मुंसिफ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, वादपत्र में संशोधन के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश VI नियम 17 के तहत संशोधन याचिका की अनुमति देने के आदेश को बरकरार रखा, जबकि यह स्वीकार किया कि यद्यपि संशोधन एक समय-बाधित दावा प्रस्तुत करता प्रतीत होता है, लेकिन मुकदमे के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, इसका प्रभाव ऐसा हो सकता है मानो संशोधित वादपत्र मूल हो, क्योंकि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है।

    केस टाइटल: मोहन साहनी एवं अन्य बनाम जगन साहनी एवं अन्य

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    सेंट स्टीफंस कॉलेज अल्पसंख्यक संस्थान होने के आधार पर सीट मैट्रिक्स में एकतरफा बदलाव नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    सेंट स्टीफंस कॉलेज द्वारा दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के खिलाफ अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स के एडमिशन की मांग करने वाली याचिका के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कॉलेज के पास केवल इस आधार पर सीट मैट्रिक्स में एकतरफा बदलाव करने का अधिकार नहीं है कि वह अल्पसंख्यक संस्थान है।

    न्यायालय ने कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अपने संबद्ध यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई नीतियों के खिलाफ विवेक का प्रयोग करने के लिए बेलगाम अधिकार नहीं हैं

    केस टाइटल: सेंट स्टीफंस कॉलेज बनाम दिल्ली यूनिवर्सिटी

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    राज्य किसी भी आधार पर विचाराधीन कैदियों को देखभाल और पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं देने से इनकार नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि राज्य किसी भी आधार पर हिरासत में लिए गए आरोपी को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं देने से इनकार नहीं कर सकता। जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि बीमारी के दौरान विचाराधीन कैदी को देखभाल और मेडिकल सुविधाएं प्रदान करना भी राज्य की जिम्मेदारी है, जिससे वह बच नहीं सकता।

    एकल न्यायाधीश ने राज्य अधिकारियों द्वारा विचाराधीन कैदी (न्यायालय के समक्ष आवेदक) को मेडिकल सहायता/शल्य मेडिकल सहायता प्रदान करने से इनकार करने पर आपत्ति जताते हुए ये टिप्पणियां कीं इस आधार पर कि संबंधित समय पर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता लागू थी।

    केस टाइटल - कयामुद्दीन बनाम यूपी राज्य

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    मस्जिद के अंदर 'जय श्रीराम' का नारा लगाने से धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होतीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

    मस्जिद में कथित तौर पर 'जय श्रीराम' के नारे लगाने के लिए आईपीसी की धारा 295ए के तहत आरोपी दो लोगों के खिलाफ मामला खारिज करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि नारे से किसी वर्ग की धार्मिक भावनाएं कैसे आहत होंगी।

    हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी इस बात पर गौर करने के बाद की कि मामले में शिकायतकर्ता ने खुद कहा कि संबंधित क्षेत्र में हिंदू और मुसलमान सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि चूंकि कथित अपराधों के कोई भी तत्व सामने नहीं आए। इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे की कार्यवाही की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। दोनों लोगों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनमें धारा 447, 505, 506, 34 और 295ए शामिल हैं।

    केस टाइटल: कीर्तन कुमार और अन्य तथा कर्नाटक राज्य

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    नाबालिग के सामने यौन संबंध बनाना, नग्न होना POCSO Act की धारा 11 के तहत यौन उत्पीड़न के बराबर: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग बच्चे के सामने नग्न होने के बाद यौन संबंध बनाना POCSO Act की धारा 11 के तहत परिभाषित बच्चे के यौन उत्पीड़न के बराबर होगा और धारा 12 के तहत दंडनीय होगा। जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि बच्चे को दिखाने के इरादे से शरीर का कोई भी अंग प्रदर्शित करना यौन उत्पीड़न के बराबर होगा।

    "अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे के सामने नग्न शरीर प्रदर्शित करता है तो यह बच्चे पर यौन उत्पीड़न करने का इरादा रखने वाला कार्य है। इसलिए POCSO Act की धारा 11(i) के साथ 12 के तहत दंडनीय अपराध आकर्षित होगा। इस मामले में आरोप यह है कि आरोपी व्यक्तियों ने नग्न होने के बाद भी यौन संबंध बनाए। यहां तक कि कमरे को बंद किए बिना और कमरे में नाबालिग को प्रवेश की अनुमति दी, जिससे नाबालिग इसे देख सके। प्रथम दृष्टया, इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ POCSO Act की धारा 11(i) के साथ 12 के तहत दंडनीय अपराध करने का आरोप बनता है।"

    केस टाइटल: फ़िसल खान बनाम केरल राज्य

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    कर्नाटक हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले की जांच के दौरान जब्त मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसी संपत्ति को मुक्त करने के लिए ट्रायल कोर्ट को दिशा-निर्देश जारी किए

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने धारा 451 और 457 सीआरपीसी या धारा 497 बीएनएसएस के तहत जब्त संपत्तियों को मुक्त करने के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा पालन किए जाने वाले आदर्श दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जब तक कि राज्य सरकार इस संबंध में निर्देश जारी नहीं करती।

    जस्टिस वी श्रीशानंद की एकल न्यायाधीश पीठ ने अपने आदेश में कहा, "राज्य सरकार को आवश्यक नियम बनाने की आवश्यकता है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, डिजिटल उपकरणों, जब्त किए गए मेडिकल नमूनों, खाद्य पदार्थों, मिलावटी पेट्रोलियम उत्पादों जो अत्यधिक ज्वलनशील प्रकृति के हैं, खराब होने वाली वस्तुओं, सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं आदि सहित सभी जब्त संपत्तियों के निपटान के लिए न्यायालय की शक्ति के अनुरूप होंगे।"

    केस: विशाल खटवानी बनाम कर्नाटक राज्य

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    कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी जैसे सेवा रिकॉर्ड, पदोन्नति और वित्तीय लाभ की प्रतियां आरटीआई एक्ट के तहत प्रदान नहीं जा सकतीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने हाल में एक रिट याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी जैसे सेवा रिकॉर्ड, पदोन्नति और वित्तीय लाभों की प्रतियों का खुलासा आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि सीआईसी ने ऐसी जानकारी के खुलासे का निर्देश दिया है जो पूरी तरह से कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी है और इस जानकारी को आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1) के खंड (जे) के तहत खुलासे से छूट दी गई है।

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    POCSO | यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए वीर्य का स्खलन आवश्यक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO Act) के तहत नाबालिग के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के लिए दोषसिद्धि बरकरार रखी। कोर्ट ने यह देखते हुए दोषसिद्धि बरकरार रखी कि यौन उत्पीड़न के लिए वीर्य की उपस्थिति को साबित करने की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने कहा, "जब नाबालिग पीड़िता पर यौन उत्पीड़न किया जाता है तो नाबालिग पीड़िता की योनि में वीर्य स्खलन की आवश्यकता नहीं होती। नतीजतन नाबालिग पीड़िता के योनि स्वैब में किसी भी तरह के वीर्य का न होना भी अभियोक्ता की गवाही की साक्ष्य प्रभावकारिता को खत्म नहीं करता।"

    केस टाइटल: XXXX बनाम पंजाब राज्य

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    एक ही घटना के लिए दूसरी FIR की अनुमति, बशर्ते साक्ष्य का संस्करण अलग हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही घटना के लिए दूसरी FIR की अनुमति है बशर्ते साक्ष्य का संस्करण अलग हो और तथ्यात्मक आधार पर खोज की गई हो।

    जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने निर्मल सिंह कहलों बनाम पंजाब राज्य 2008 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए यह टिप्पणी की। निर्मल सिंह मामले (सुप्रा) में राम लाल नारंग बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन) 1979 में पहले के फैसले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूसरी FIR तब भी कायम रहेगी, जब किसी बड़ी साजिश के बारे में तथ्यात्मक आधार पर नई खोज की गई हो।

    केस टाइटल- संगीता मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 6 अन्य

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    लंबे समय तक सहमति से बनाए गए व्यभिचारी शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं माने जाएंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लंबे समय से सहमति से बना व्यभिचारी शारीरिक संबंध धारा 375 आईपीसी के अर्थ में बलात्कार नहीं माना जाएगा।

    जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने एक व्यक्ति के खिलाफ पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर शादी करने के वादे के बहाने एक महिला के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। न्यायालय ने कहा कि आरोपी और कथित पीड़िता दोनों के बीच लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध थे, और शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था, और इस प्रकार, ऐसा संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा।

    केस टाइटलः श्रेय गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

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    DV Act के तहत साझा घर का अधिकार सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी सीनियर सिटीजन के साथ घोर दुर्व्यवहार का सबूत होता है तो घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 (Domestic Violence Act (DV Act)) के तहत साझा घर में रहने का महिला का अधिकार सीनियर सिटीजन के शांतिपूर्वक रहने के अधिकार का अतिक्रमण नहीं करता।

    न्यायालय ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मौजूदा संरक्षण आदेश के बावजूद सीनियर सिटीजन की बहू के खिलाफ बेदखली आदेश जारी कर सकता है।

    केस टाइटल: पूजा मेहता और अन्य बनाम दिल्ली सरकार और अन्य

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    दूसरी पत्नी द्वारा IPC की धारा 498A के तहत कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया कि दूसरी पत्नी द्वारा IPC की धारा 498-A के तहत कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं। जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने शिवचरण लाल वर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य 2002, शिवकुमार और अन्य बनाम राज्य और अखिलेश केशरी और 3 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले पर भरोसा करते हुए यह टिप्पणी की।

    एकल न्यायाधीश ने मान सिंह और 2 अन्य द्वारा धारा 482 CrPC की याचिका को अनुमति दी, जिसमें सीजेएम कौशांबी की अदालत में लंबित धारा 498 A, 323, 504, 506 IPC और 3/4 डी.पी. अधिनियम के तहत शिकायत मामले की कार्यवाही को चुनौती दी गई थी।

    केस टाइटल- मान सिंह और 2 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य

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    ठेकेदार द्वारा ठेका श्रम अधिनियम का उल्लंघन, रोजगार अधिकार प्रदान नहीं करता: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया

    गुवाहाटी हाईकोर्ट की जस्टिस माइकल जोथानखुमा की पीठ ने औद्योगिक न्यायाधिकरण का निर्णय बरकरार रखा, जिसमें ONGC में बहाली और नियमितीकरण की मांग करने वाले छह ठेका मजदूरों के दावे को खारिज कर दिया गया। इसने फैसला सुनाया कि मजदूर किसी भी नियोक्ता-कर्मचारी संबंध को साबित करने में विफल रहे। इसके अलावा, ठेकेदार द्वारा ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 का कोई भी कथित उल्लंघन स्वचालित रूप से ठेका मजदूरों को कर्मचारी का दर्जा देने का हकदार नहीं बनाता।

    केस टाइटल- जतिन राजकंवर और 6 अन्य बनाम भारत संघ और 2 अन्य।

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    नैतिक रूप से सभ्य समाज में पति-पत्नी अपनी यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए एक-दूसरे के पास नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    दहेज की मांग पूरी न होने के कारण मारपीट के आरोपों से निपटते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि पति के खिलाफ एफआईआर में लगाए गए आरोप दहेज की वास्तविक मांग के बजाय पक्षों के बीच यौन असंगति से उत्पन्न हुए हैं।

    जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने कहा, "यदि पुरुष अपनी पत्नी से यौन संबंध की मांग नहीं करेगा। इसके विपरीत, वे नैतिक रूप से सभ्य समाज में अपनी शारीरिक यौन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए कहां जाएंगे।"

    केस टाइटल: प्रांजल शुक्ला और 2 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [आवेदन धारा 482 संख्या - 27067/2019]

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