हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

28 Jan 2024 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (22 जनवरी, 2024 से 26 जनवरी, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    कॉपीराइट एक्ट की धारा 33(1) के तहत कॉपीराइट सोसायटी रजिस्टर हुए बिना भी म्युजिक लाइसेंस जारी कर सकती है: बॉम्बे हाइकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि फ़ोनोग्राफ़िक परफॉर्मेंस लिमिटेड और नोवेक्स जैसे संगीत अधिकार धारक कॉपीराइट मालिक हैं और कॉपीराइट एक्ट (Copyright Act) की धारा 33(1) के तहत कॉपीराइट सोसायटी के रूप में रजिस्टर्ड नहीं होने पर भी म्युजिक लाइसेंस जारी कर सकते हैं।

    पीपीएल और नोवेक्स दो कंपनियां हैं, जिन्होंने टिप्स, टी-सीरीज़, इरोज आदि जैसे निर्माताओं से म्युजिक असाइनमेंट हासिल किए हैं। उन्होंने ऑन-ग्राउंड प्रदर्शन अधिकारों के उद्देश्य से इन टाइटल के विशेष लाइसेंसधारी हैं।

    केस टाइटल - नोवेक्स कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड बनाम ट्रेड विंग्स होटल्स लिमिटेड

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    पति की नपुंसकता पत्नी के अलग रहने के लिए पर्याप्त कारण; वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि पति की नपुंसकता पत्नी के अलग रहने के लिए पर्याप्त कारण होगी और ऐसे परिदृश्य में, वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार होगी। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की पीठ ने फैमिली कोर्ट, जशपुर के एक आदेश को चुनौती देने वाले एक पति द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में 14 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

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    संशोधित नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू करके पेंशन से इनकार करना अनुच्छेद 14, 16 के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि संशोधित नियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू कर पेंशन से इनकार करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने असंशोधित उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति और सेवा की शर्तें) नियमावली, 2008 के तहत निर्धारित राज्य विद्युत नियामक आयोग के सेवानिवृत्त सदस्यों की पेंशन बहाल की।

    केस टाइटल: इंदु भूषण पांडे बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू प्रिंस सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी एंड 2 अदर्स [रिट - ए नंबर - 5813 ऑफ 2022]

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    कोई अपराध न होने पर पासपोर्ट को जांच एजेंसी जब्त नहीं कर सकती: केरल हाइकोर्ट

    केरल हाइकोर्ट ने कहा कि उक्त दस्तावेज़ के साथ कोई अपराध न होने या किए जाने का संदेह होने पर जांच एजेंसियों द्वारा पासपोर्ट को जब्त या अपने पास नहीं रखा जा सकता। जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की एकल पीठ ने NDPS Act के तहत गिरफ्तार किए गए आरोपी द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें उसके पासपोर्ट और उसके मोबाइल फोन और बहरीन पहचान पत्र को जारी करने की मांग की गई, जिसे NCB के खुफिया अधिकारी ने जब्त कर लिया।

    केस टाइटल- दाऊद बनाम केरल राज्य एवं अन्य।

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    जांच के तहत अपराधों को आरोपी के खिलाफ कारावास के आदेश का आधार नहीं माना जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बेहाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि जिन कथित अपराधों की जांच चल रही है और जिनके लिए आरोप पत्र दायर नहीं किया गया, उन पर आरोपी के खिलाफ निर्वासन आदेश पारित करने के लिए विचार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एनजे जमादार ने इम्तियाज हुसैन सैय्यद नामक व्यक्ति के खिलाफ निर्वासन आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि बाहरी प्राधिकारी ने उसके खिलाफ दो अपराधों पर विचार किया, भले ही आरोप पत्र अभी तक दायर नहीं किया गया।

    केस टाइटल- इम्तियाज हुसैन सैय्यद बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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    अंतर-देशीय गोद लेने वाले बच्चे के पिता को NOC जारी करने के लिए CARA को सूचित करना होगा: कर्नाटक हाइकोर्ट

    कर्नाटक हाइकोर्ट ने इंटरकंट्री रिलेटिव एडॉप्शन के लिए गोद लेने की मांग करने वाले जोड़े को निर्देश दिया कि वह जर्मनी, जहां गोद लिए गए बच्चे के पिता रहते हैं, बच्चे को भारत से बाहर ले जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) और अनुरूपता सर्टिफिकेट (CC) जारी करने के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से संपर्क करने के लिए याचिका दायर करें।

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    सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोई भी व्यक्ति नाबालिग की ओर से भरण-पोषण की मांग करते हुए याचिका दायर कर सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 किसी भी व्यक्ति को नाबालिग की ओर से भरण-पोषण याचिका दायर करने से नहीं रोकती है। जस्टिस केके रामकृष्णन यह ‌टिप्पण‌ियां तब कि जब उन्होंने यह माना कि विवाहित महिला को नाबालिग भाई की ओर से अपने पिता से गुजारा भत्ता मांगने के लिए याचिका दायर करने से नहीं रोका जा सकता है।

    केस टाइटलः आर ओचप्पन बनाम कीर्तना

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    विज्ञापन व्यावसायिक अभिव्यक्ति का हिस्सा| अतिरंजना, अतिप्रशंसा और अतिशयोक्ति पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकतीः दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विज्ञापन कॉमर्सियल स्पीच (व्यावसायिक अभिव्यक्ति) का हिस्सा है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मान्यता प्राप्त है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकार पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध केवल कानून की शक्ति के तहत ही लगाया जा सकता है। जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने कहा कि अतिरंजना, अतिप्रशंसा और अतिशयोक्ति विज्ञापन का हिस्सा है, जिसमें केवल कानून के तहत ही कटौती ही की जा सकती है, अन्य किसी तरीके से नहीं।

    केस टाइटलः एमएस केंट आरओ सिस्टम्स लिमिटेड बनाम भारतीय विज्ञापन मानक परिषद, अपने महासचिव और अन्य के माध्यम से।

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    पत्नी की वापसी के लिए पति के कहने पर हेबियस कॉर्पस रिट उपलब्ध नहीं: इलाहाबाद हाइकोर्ट

    इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल और सिविल कानून के तहत इस उद्देश्य के लिए उपलब्ध अन्य उपायों को देखते हुए पति द्वारा अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए हेबियस कॉर्पस रिट (Habeas Corpus Writ) की आवश्यकता दुर्लभ और निश्चित रूप से उपलब्ध नहीं हो सकती।

    जस्टिस योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी रिट आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकती। इसका प्रयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए, जब कोई बाध्यकारी मामला प्रस्तुत किया जाता है।

    केस टाइटल - जयश्री और अन्य बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य।

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    सप्तपदी संपन्न होने तक कोई भी हिंदू विवाह वैध नहीं माना जाएगा: मध्य प्रदेश हाइकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने कहा कि हिंदू कानून में विवाह अनुबंध नहीं है और जब तक सप्तपदी नहीं हो जाती, तब तक वैध विवाह नहीं कहा जा सकता। जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ ने इस पूरे मामले में 4 याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका खारिज की। मामले में चारों याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ धारा 366 (abducting or inducing women to compel her marriage), 498- ए (cruelty), 34 (common intention) के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी।

    केस टाइटल - अजय कुमार जैन और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।

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