विज्ञापन व्यावसायिक अभिव्यक्ति का हिस्सा| अतिरंजना, अतिप्रशंसा और अतिशयोक्ति पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकतीः दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

23 Jan 2024 11:16 AM GMT

  • विज्ञापन व्यावसायिक अभिव्यक्ति का हिस्सा| अतिरंजना, अतिप्रशंसा और अतिशयोक्ति पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकतीः दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विज्ञापन कॉमर्सियल स्पीच (व्यावसायिक अभिव्यक्ति) का हिस्सा है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मान्यता प्राप्त है।

    कोर्ट ने कहा कि ऐसे अधिकार पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध केवल कानून की शक्ति के तहत ही लगाया जा सकता है। जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने कहा कि अतिरंजना, अतिप्रशंसा और अतिशयोक्ति विज्ञापन का हिस्सा है, जिसमें केवल कानून के तहत ही कटौती ही की जा सकती है, अन्य किसी तरीके से नहीं।

    जस्टिस सिंह ने 29 दिसंबर, 2023 को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की ओर से पारित एक आदेश पर रोक लगाते हुए ये टिप्प‌णियां की। परिषद के आदेश में केंट आरओ सिस्टम्स को "केंट देता है सबसे शुद्ध पानी" का दावा करने वाले अपने विज्ञापन को संशोधित करने की सिफारिश की गई थी।

    एएससीआई ने पाया था कि विज्ञापन में किया गया दावा सत्यापन योग्य तुलनात्मक डेटा से प्रमाणित नहीं है। अतिशरंजना उसे भ्रामक बनाती है और इससे उपभोक्ताओं के मन में व्यापक निराशा होने की संभावना है। जिसकें बाद केंट ने एएससीआई के आदेश के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया। एएससीआई ने मेसर्स टीटीके प्रेस्टीज लिमिटेड की ओर से की गई एक शिकायत पर आदेश पारित किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि विज्ञापन विज्ञापन कोड का अनुपालन नहीं करता है।

    आदेश पर रोक लगाते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में एक अतिरिक्त मुद्दा उठता है कि क्या प्रतिस्पर्धी विज्ञापन से जुड़े मामले में एएससीआई के अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है।

    कोर्ट ने कहा,

    “मौजूदा मामले में शिकायत किसी उपभोक्ता ने नहीं बल्कि एक प्रतिस्पर्धी यानी टीटीके प्रेस्टीज ने की है। किसी भी उपभोक्ता ने यह शिकायत नहीं की है कि उसे इस अतिशयोक्ति के कारण कि वादी सबसे शुद्ध पानी देता है, गुमराह किया गया है। इस तरह की अतिरंजना, अतिप्रशंसा, अतिशयोक्ति विज्ञापन का हिस्सा है, जिसमें कानून के जरिए ही कटौती की जा सकती है, किसी और तरीके से नहीं।"

    आदेश में कहा गया कि विचाराधीन विज्ञापन वर्ष 2007 से प्रसारित हो रहा है और इस प्रकार, वह आक्षेपित आदेश को केंट आरओ पर लागू करने की अनुमति नहीं दे सकता है। उक्त ‌टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने कहा कि एएससीआई के 29 दिसंबर, 2023 को पारित आदेश पर रोक लगाते हुए वादी के पक्ष में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जानी चा‌हिए। अब इस मामले की सुनवाई 17 मई को होगी।

    केस टाइटलः एमएस केंट आरओ सिस्टम्स लिमिटेड बनाम भारतीय विज्ञापन मानक परिषद, अपने महासचिव और अन्य के माध्यम से।

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