जानिए हमारा कानून
सिविल मामले में 'मुकदमा करने का अधिकार' कब प्राप्त होता है? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि सिविल मामले में 'मुकदमा करने का अधिकार' कब प्राप्त होता है। इसने देखा कि "मुकदमा करने का अधिकार" तब प्राप्त होता है, जब कार्रवाई का कोई ऐसा कारण हो, जो कानूनी कार्रवाई को उचित ठहराता हो। इसका मतलब है कि वादी के पास राहत मांगने का एक ठोस अधिकार है। इस अधिकार का उल्लंघन या प्रतिवादी द्वारा धमकी दी गई।पंजाब राज्य बनाम गुरदेव सिंह, (1991) 4 एससीसी 1 के मामले का संदर्भ दिया गया, जहां यह देखा गया,"'मुकदमा करने का अधिकार' शब्द का अर्थ सामान्यतः कानूनी कार्यवाही के माध्यम से...
अनुपस्थित अभियुक्त के मामले में साक्ष्य का रिकॉर्ड: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 335
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 335 उन परिस्थितियों को संबोधित करती है जहां अभियुक्त (Accused) अनुपस्थित हो, चाहे वह फरार हो या अज्ञात हो। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्त की अनुपस्थिति के कारण न्याय में देरी न हो और महत्वपूर्ण साक्ष्य (Evidence) सुरक्षित रखे जा सकें।यह धारा न्याय प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने और अभियुक्त के अधिकारों के साथ संतुलन स्थापित करने के लिए बनाई गई है। इस लेख में, हम धारा 335 के प्रावधानों का सरल भाषा में विस्तृत विश्लेषण करेंगे और इसके...
कंपनियों द्वारा अपराध और उनके लिए दंड : धारा 33 आर्म्स एक्ट, 1959
आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) का उद्देश्य भारत में हथियारों और गोला-बारूद (Ammunition) के अधिग्रहण, स्वामित्व, और उपयोग को नियंत्रित करना है। यह कानून सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और हथियारों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।इस अधिनियम की धारा 33 (Section 33) विशेष रूप से उन अपराधों पर ध्यान केंद्रित करती है जो कंपनियों द्वारा किए जाते हैं। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किसी कंपनी के संचालन में शामिल व्यक्तियों और कंपनी दोनों को उनकी जिम्मेदारियों के लिए...
महत्वपूर्ण दस्तावेजों और खातों में धोखाधड़ी: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 343 और 344
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 343 और 344 महत्वपूर्ण दस्तावेजों और खातों से जुड़ी धोखाधड़ी और छेड़छाड़ को नियंत्रित करती हैं।ये प्रावधान इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि वसीयत (Will), गोद लेने का अधिकार (Authority to Adopt), मूल्यवान प्रतिभूतियां (Valuable Securities) और अन्य जरूरी दस्तावेजों की प्रामाणिकता (Authenticity) और सुरक्षा बनी रहे। साथ ही, यह सरकारी और व्यक्तिगत हितों की रक्षा के लिए कर्मचारियों द्वारा खातों में छेड़छाड़ पर रोक लगाते हैं। धारा 343:...
क्या गवाहों की जांच में देरी न्याय प्रणाली को कमजोर कर रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने राजेश यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2022) मामले में आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रियात्मक कमियों (Procedural Loopholes) पर चिंता जताई। विशेष रूप से, गवाहों की जांच (Examination of Witnesses) में देरी पर चर्चा की गई, जो न्याय प्रक्रिया को कमजोर करती है।अदालत ने इस फैसले में भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) के महत्व को रेखांकित किया। यह निर्णय न्यायपालिका (Judiciary) को गवाहों की समय पर और...
Transfer Of Property Act में पर्सनल लॉ के अनुसार कौनसी प्रॉपर्टी का अंतरण नहीं होता है?
इस एक्ट की धारा 6 के अंतर्गत उन प्रॉपर्टीयों का उल्लेख किया गया है जिनका अंतरण नहीं होगा। वास्तव में सभी प्रॉपर्टीयों का अंतरण होता और केवल उनका अंतरण नहीं होता है जिनके बारे में धारा 6 में ट्रांसफर से मना किया गया है।किसी हिन्दू विधवा की मृत्यु पर उसको सम्पत्ति को प्राप्त करने का उसके जीवनकाल में अधिकार मात्र एक सम्भावना है और यदि कोई उत्तरभोगी इस अधिकार का अन्तरण करता है तो यह अन्तरण अवैध होगा। हिन्दू उत्तरभोगी वह व्यक्ति होता है जो एक हिन्दू विधवा को मृत्यु पर उसकी सम्पत्ति पाने के लिए...
Transfer Of Property Act में कौनसी प्रॉपर्टी का ट्रांसफर किया जा सकता है
प्रॉपर्टी अंतरण अधिनियम की धारा 6 जिन प्रॉपर्टीयों को अंतरित किया जा सकता है उनके संबंध में उल्लेख कर रही है। इस अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत सभी प्रॉपर्टीयों को अंतरित किए जाने का उल्लेख कर दिया गया है तथा कुछ ही प्रॉपर्टीयां ऐसी हैं जिन्हें अंतरित नहीं किए जाने का उल्लेख किया गया है।प्रॉपर्टी अंतरण अधिनियम 1882 की धारा 6 सभी प्रकार की प्रॉपर्टीयों को अंतरित करने का वर्णन कर रही है तथा इस धारा के अंतर्गत स्पष्ट किया गया है कि सभी प्रकार की प्रॉपर्टीयां अंतरित की जा सकती हैं परंतु इस धारा के...
प्रामाणिकता के लिए उपयोग किए गए डिवाइस या निशान की जालसाजी : धारा 342 भारतीय न्याय संहिता
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023 की धारा 342 में उन अपराधों को कवर किया गया है, जो प्रामाणिक दस्तावेज़ों (Authentic Documents) के लिए उपयोग किए जाने वाले डिवाइस (Devices) या निशान (Marks) की जालसाजी (Counterfeiting) से संबंधित हैं। यह धारा उन कार्यों को दंडित करती है, जहां इन डिवाइस या निशानों को जाली दस्तावेज़ (Forged Documents) को असली दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।यह प्रावधान सिर्फ जालसाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सामग्रियों की अवैध रूप से रखने की मंशा (Intent) को भी...
क्या असंवैधानिक कानूनों को बचाने के लिए Saving Clause का उपयोग किया जा सकता है?
State of Manipur v. Surjakumar Okram के मामले ने विधायी शक्तियों (Legislative Powers), असंवैधानिकता के सिद्धांत (Doctrine of Unconstitutionality), और न्यायपालिका की भूमिका (Role of Judiciary) जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी (नियुक्ति, वेतन और भत्ते और विविध प्रावधान) अधिनियम, 2012 और इसके निरस्तीकरण (Repeal) को लेकर 2018 में बनाए गए कानून की वैधता पर निर्णय दिया। यह निर्णय संविधान के तहत शक्तियों के संतुलन और विधायिका व...
लाइसेंस उल्लंघन, पुनरावृत्ति अपराध और जब्ती के प्रावधान : आर्म्स एक्ट, 1959 की धाराएँ 30, 31 और 32
आर्म्स एक्ट, 1959 भारत में हथियारों और गोला-बारूद के स्वामित्व, उपयोग, बिक्री और विनियमन के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है और यह हथियारों तक पहुँच को नियंत्रित करता है।एक्ट की धाराएँ 30, 31 और 32 लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन, पुनरावृत्ति अपराध और अदालतों को हथियार और गोला-बारूद जब्त (Confiscate) करने की शक्ति से संबंधित विशेष प्रावधान प्रदान करती हैं। ये प्रावधान कानून के व्यापक उद्देश्यों को साकार करने में सहायक हैं। धारा 30: लाइसेंस या नियम के...
न्यायिक प्रक्रिया में एफ़िडेविट का उपयोग: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 333 और 334
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 333 और 334 न्यायिक प्रक्रिया में एफ़िडेविट और पूर्व सजा या बरी होने के प्रमाण से संबंधित हैं। ये प्रावधान अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाते हैं। इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अदालत में दस्तावेज़ और प्रमाण वैध और सत्य हों और प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।धारा 333: न्यायिक प्रक्रिया में एफ़िडेविट (Affidavit) का उपयोगएफ़िडेविट किसके समक्ष बनाया जा सकता है? धारा 333(1) उन प्राधिकरणों को निर्दिष्ट करती है जिनके समक्ष...
नकली सील और उपकरणों का निर्माण या उपयोग: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 341
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 341 उन अपराधों से संबंधित है जो नकली सील (Seal), प्लेट (Plate), या अन्य उपकरणों (Instruments) को बनाकर, अपने पास रखकर, या उनका उपयोग कर धोखाधड़ी (Fraud) और जालसाजी (Forgery) के लिए किए जाते हैं। यह प्रावधान (Provision) केवल जालसाजी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन उपकरणों के निर्माण और उपयोग को भी दंडित करता है जो इस अपराध को अंजाम देने में सहायक हो सकते हैं।जालसाजी को धारा 336 में परिभाषित किया गया है, जिसमें झूठे दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (Electronic...
शपथपत्र के माध्यम से प्रमाण प्रस्तुत करना: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के धाराएँ 331 और 332
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धाराएँ 331 और 332, शपथपत्र (Affidavit) के माध्यम से प्रमाण प्रस्तुत करने के प्रावधानों को स्पष्ट करती हैं। ये प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।इन धाराओं के तहत, औपचारिक (Formal) प्रकृति के प्रमाण या पब्लिक सर्वेंट (Public Servants) के खिलाफ आरोपों के समर्थन में प्रमाण, शपथपत्र के माध्यम से प्रस्तुत किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल समय की बचत करती है बल्कि न्यायालय की कार्यवाही को अधिक सुगम बनाती है। धारा 331:...
अवैध रूप से हथियार खरीदने और सौंपने पर सज़ा: आर्म्स अधिनियम, 1959 की धारा 29
आर्म्स अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959) भारत में हथियारों और गोला-बारूद (Ammunition) के अधिग्रहण, स्वामित्व और स्थानांतरण को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून है।इस अधिनियम की धारा 29 उन लोगों को दंडित करने का प्रावधान करती है जो जानबूझकर बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति से हथियार खरीदते हैं या उन्हें ऐसे व्यक्ति को सौंपते हैं जो इसे रखने का हकदार नहीं है। यह प्रावधान अवैध हथियारों के लेन-देन को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। यह धारा धारा 5 से निकटता से जुड़ी हुई...
क्या रजिस्ट्रेशन अधिकारी पावर ऑफ अटॉर्नी की वैधता की जांच कर सकता है?
अमर नाथ बनाम ग्यान चंद (2022) के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 (Registration Act, 1908) की कई धाराओं की व्याख्या की। यह मामला विशेष रूप से पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) धारक द्वारा दस्तावेज़ों की वैधता और रजिस्ट्रेशन अधिकारी (Registering Officer) की जांच की सीमा पर केंद्रित था।यह लेख सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए मुख्य कानूनी मुद्दों (Legal Issues) और उनके निर्णय को सरल शब्दों में प्रस्तुत करता है। रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की प्रमुख धाराएँ (Key Provisions of the...
Transfer Of Property Act में सेक्शन 11 और सेक्शन 12 के प्रावधान
सेक्शन 11यह धारा उपबन्धित करती है कि आत्यन्तिकतः सृष्ट हित के उपभोग पर प्रतिबन्ध लगाने वाली शर्त शून्य होगी और अन्तरिती उस सम्पत्ति का उपभोग करने या उसे व्ययनित करने के लिए इस प्रकार स्वतंत्र होगा मानो कि शर्त लगायी ही नहीं गयी थी। यह धारा तथा धारा 10, इस सिद्धान्त पर आधारित है कि आत्यन्तिकतः सृष्ट हित के विरुद्ध लगायी गयी शर्त शून्य होती है। इस धारा में वर्णित सिद्धान्त, धारा 10 में वर्णित सिद्धान्त से इस प्रकार भिन्न है कि धारा 10 के अन्तर्गत अन्तरण के विरुद्ध शर्त लगायी जाती है, अर्थात् सीमित...
Transfer Of Property Act में ट्रांसफर पर लगाई कौन सी शर्त मानी नहीं जाती?
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 10 स्पष्ट रूप से यह उल्लेख करती है कि कोई भी ऐसी शर्त जो भविष्य में संपत्ति के अंतरण को रोकती है वे शून्य मानी जाती है। किसी भी अंतरण में यदि इस प्रकार की मर्यादा अधिरोपित की जाती है तो उस मर्यादा को शून्य माना जाएगा। यह धारा सीमित अंतरण को प्रतिबंधित करती है तथा उसी से संबंधित विषय को उल्लेखित कर रही है।यदि सम्पत्ति किसी अन्तरिती के पक्ष में अन्तरित की गयी हो और अन्तरण पर यह शर्त लगायी गयी हो कि अन्तरिती अपने हित का पुनः अन्तरण नहीं करेगा और अध्यारोपित शर्त ऐसी हो...
अस्वीकृत दस्तावेज़ों का सबूत के रूप में उपयोग : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 330
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 330, न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने और न्यायालयों के काम को अधिक कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह धारा उन परिस्थितियों को कवर करती है, जहां कुछ दस्तावेजों को औपचारिक प्रमाण (Formal Proof) के बिना ही स्वीकार किया जा सकता है।यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने, निष्पक्षता सुनिश्चित करने और दोनों पक्षों (अभियोजन और आरोपी) को समान अवसर प्रदान करने पर जोर देता है। इसके तहत दस्तावेज़ों की सत्यता का...
जाली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग और उसे असली के रूप में प्रस्तुत करना : धारा 340 भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 340 में जाली दस्तावेज़ (forged documents) और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (electronic records) के उपयोग को लेकर सख्त प्रावधान हैं।यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो किसी जाली दस्तावेज़ या रिकॉर्ड को जानबूझकर असली के रूप में उपयोग करते हैं। यह कानून सुनिश्चित करता है कि केवल जालसाज़ी करने वाले ही नहीं, बल्कि उन जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करने वाले भी दंडित हों। जाली दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की परिभाषा धारा 340 की उपधारा (1)...
क्या जर्नैल सिंह के फैसले ने एम. नागराज और इंद्रा साहनी के सिद्धांतों को संशोधित किया है?
जर्नैल सिंह बनाम लच्छमी नारायण गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotions) पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत आरक्षण के मुद्दे पर अदालत ने समानता, सामाजिक न्याय (Social Justice) और प्रशासनिक दक्षता (Administrative Efficiency) के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया। इस लेख में, अदालत के निर्णय में उठाए गए मुख्य प्रावधानों और कानूनी मुद्दों (Legal Issues) की चर्चा की जाएगी। अनुच्छेद 16 और उसके संशोधन (Article 16 and Its...


















