प्रामाणिकता के लिए उपयोग किए गए डिवाइस या निशान की जालसाजी : धारा 342 भारतीय न्याय संहिता

Himanshu Mishra

8 Jan 2025 6:02 PM IST

  • प्रामाणिकता के लिए उपयोग किए गए डिवाइस या निशान की जालसाजी : धारा 342 भारतीय न्याय संहिता

    भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023 की धारा 342 में उन अपराधों को कवर किया गया है, जो प्रामाणिक दस्तावेज़ों (Authentic Documents) के लिए उपयोग किए जाने वाले डिवाइस (Devices) या निशान (Marks) की जालसाजी (Counterfeiting) से संबंधित हैं। यह धारा उन कार्यों को दंडित करती है, जहां इन डिवाइस या निशानों को जाली दस्तावेज़ (Forged Documents) को असली दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।

    यह प्रावधान सिर्फ जालसाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सामग्रियों की अवैध रूप से रखने की मंशा (Intent) को भी अपराध मानता है, जिन पर ऐसे नकली डिवाइस या निशान बनाए गए हैं। इस लेख में हम धारा 342 के सभी पहलुओं, इसकी कानूनी धारा, और उदाहरणों (Examples) पर चर्चा करेंगे ताकि इसे सरल भाषा में समझा जा सके।

    धारा 342(1): धारा 338 के दस्तावेज़ों के लिए उपयोग किए गए डिवाइस की जालसाजी

    धारा 342(1) विशेष रूप से उन दस्तावेज़ों के लिए उपयोग किए गए डिवाइस या निशानों की जालसाजी को संबोधित करती है, जिन्हें धारा 338 के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। धारा 338 में कीमती प्रतिभूतियों (Valuable Securities), वसीयत (Will), और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी को गंभीर अपराध के रूप में माना गया है।

    इस प्रावधान के तहत अपराध को साबित करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का होना जरूरी है:

    1. जालसाजी (Counterfeiting): आरोपी ने किसी सामग्री (Material) पर या उसके अंदर डिवाइस या निशान की जालसाजी की हो।

    2. उद्देश्य (Purpose): जालसाजी का उद्देश्य जाली दस्तावेज़ (Forged Document) को असली दिखाना हो।

    3. संपत्ति का कब्ज़ा (Possession): यदि किसी के पास ऐसी सामग्री है, जिस पर नकली निशान मौजूद हैं, और उसका उद्देश्य इनका उपयोग जालसाजी के लिए करना है, तो इसे भी अपराध माना जाएगा।

    इस अपराध के लिए सजा आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या सात साल तक की जेल, और जुर्माना (Fine) है।

    उदाहरण:

    एक व्यक्ति नकली वॉटरमार्क (Watermark) तैयार करता है, जो सरकारी बॉन्ड्स (Government Bonds) पर प्रामाणिकता का संकेत देता है। इसका उद्देश्य नकली बॉन्ड्स को असली दिखाना है। यह अपराध धारा 342(1) के तहत आता है।

    धारा 342(2): अन्य दस्तावेज़ों के लिए उपयोग किए गए डिवाइस की जालसाजी

    धारा 342(2) उन डिवाइस या निशानों की जालसाजी को कवर करती है, जो धारा 338 के तहत संरक्षित दस्तावेज़ों के अलावा अन्य दस्तावेज़ों या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (Electronic Records) के लिए उपयोग किए जाते हैं।

    यहाँ भी, यदि किसी सामग्री पर नकली डिवाइस या निशान बनाए जाते हैं, और उसका उद्देश्य जाली दस्तावेज़ को असली दिखाना है, तो यह अपराध है।

    इस धारा के तहत सजा सात साल तक की जेल और जुर्माना है।

    उदाहरण:

    एक व्यक्ति विश्वविद्यालय की डिग्री प्रमाण पत्रों (Degree Certificates) पर नकली क्यूआर कोड (QR Code) बनाता है, ताकि नकली प्रमाण पत्र असली लगे। यह अपराध धारा 342(2) के अंतर्गत आता है।

    नकली सामग्री की संपत्ति रखना: धारा 342 का विस्तार

    धारा 342 का दायरा इस बात को भी कवर करता है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर नकली डिवाइस या निशान वाली सामग्री (Material) अपने पास रखता है और उसका उपयोग जालसाजी के लिए करना चाहता है। यह सिद्धांत धारा 341 और 342 दोनों में समान है, लेकिन धारा 342 विशेष रूप से प्रामाणिकता के लिए उपयोग किए गए निशानों पर केंद्रित है।

    तुलना:

    • धारा 341: नकली सील (Seal) या प्लेट्स (Plates) रखने या उपयोग करने को दंडित करती है।

    • धारा 342: प्रामाणिकता के निशानों (Marks of Authenticity) की जालसाजी पर केंद्रित है।

    धारा 342 के कानूनी प्रभाव

    धारा 342 एक मजबूत प्रावधान है, जो दस्तावेज़ों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की प्रामाणिकता की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। नकली निशान बनाना सरकारी और निजी संस्थानों में विश्वास (Trust) को कमजोर करता है।

    यह प्रावधान निम्नलिखित बिंदुओं को सुनिश्चित करता है:

    1. नकली निशानों का निर्माण (Manufacturing) और उपयोग दोनों को अपराध माना जाए।

    2. नकली सामग्री का इरादतन कब्ज़ा (Intentional Possession) भी अपराध है।

    3. डिजिटल दस्तावेज़ (Digital Documents) को भी सुरक्षा दी जाए।

    व्याख्या के लिए उदाहरण

    1. सरकारी पहचान पत्र (Government ID Cards) की जालसाजी:

    एक व्यक्ति सरकारी पहचान पत्रों पर उपयोग किए गए होलोग्राम (Hologram) की नकल करता है। इसका उद्देश्य नकली पहचान पत्र बनाना है। यह अपराध धारा 342(1) के तहत आता है।

    2. शैक्षिक प्रमाण पत्र (Educational Certificates) की जालसाजी:

    एक प्रिंटिंग सर्विस नकली विश्वविद्यालय लोगो (University Logo) बनाती है। इसका उद्देश्य जाली डिग्री बनाना है। यह अपराध धारा 342(2) के तहत आता है।

    3. डिजिटल दस्तावेज़ की जालसाजी:

    एक व्यक्ति नकली डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) का उपयोग करके एक अनुबंध (Contract) तैयार करता है। यह भी इस धारा के अंतर्गत आएगा।

    धारा 342 और अन्य संबंधित धाराएँ

    धारा 342 अन्य धाराओं से गहराई से जुड़ी हुई है:

    • धारा 336: यह जालसाजी की मूल परिभाषा (Definition) प्रदान करती है।

    • धारा 338: मूल्यवान दस्तावेजों (Valuable Documents) की जालसाजी को कवर करती है।

    • धारा 340: नकली दस्तावेज़ को असली के रूप में उपयोग करने को दंडित करती है।

    आधुनिक युग में धारा 342 का महत्व

    डिजिटल युग में, जहां दस्तावेज़ों पर क्यूआर कोड (QR Codes), बारकोड (Barcodes), और डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signatures) प्रामाणिकता का संकेत देते हैं, धारा 342 का महत्व बहुत अधिक हो गया है।

    उदाहरण:

    ऑनलाइन बैंकिंग में उपयोग किए जाने वाले नकली डिजिटल प्रमाण पत्र (Digital Certificates) से बड़े वित्तीय धोखाधड़ी (Financial Frauds) हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, धारा 342 अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करती है।

    धारा 342, भारतीय न्याय संहिता, 2023 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो दस्तावेज़ों और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की प्रामाणिकता को सुरक्षित करता है। यह जालसाजी करने वालों और नकली सामग्री रखने वालों को कठोर दंड देता है।

    आधुनिक तकनीक के दुरुपयोग और जालसाजी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह प्रावधान न केवल समयानुकूल है, बल्कि दस्तावेज़ीय और डिजिटल प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए आवश्यक भी है।

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