विशेष मामलों में मकान मालिक का किराएदार से तुरंत कब्जा वापस लेने का अधिकार – धारा 10 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 भाग 1

Himanshu Mishra

21 March 2025 11:28 AM

  • विशेष मामलों में मकान मालिक का किराएदार से तुरंत कब्जा वापस लेने का अधिकार – धारा 10 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 भाग 1

    राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) मकान मालिक (Landlord) और किराएदार (Tenant) के बीच संबंधों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम की धारा 10 कुछ विशेष परिस्थितियों में मकान मालिक को उनके किराए पर दिए गए मकान पर तुरंत कब्जा (Immediate Possession) पाने का अधिकार देती है।

    धारा 9 में सामान्य रूप से किराएदार को मकान खाली करने के कई कारण बताए गए हैं, लेकिन धारा 10 विशेष परिस्थितियों में मकान मालिक को जल्दी न्याय दिलाने के लिए बनाई गई है।

    यह धारा उन मकान मालिकों के लिए मददगार है जो सेना (Armed Forces) या अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) में कार्यरत थे, सरकारी कर्मचारी थे, वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen) बन चुके हैं, उन मकान मालिकों के कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs) हैं जो सेवा में रहते हुए निधन (Death) हो गया था, या जिन मकान मालिकों की मृत्यु हो चुकी है और उनकी विधवा (Widow) को मकान की जरूरत है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि ऐसे मकान मालिकों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े और वे जल्दी से अपना मकान वापस पा सकें।

    सशस्त्र बलों (Armed Forces) और अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) के कर्मियों का कब्जा वापस लेने का अधिकार

    धारा 10(1)(i)(a) कहती है कि अगर मकान मालिक भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) या अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) का सदस्य है या रहा हो, तो उसे अपने किराए पर दिए गए मकान पर तुरंत कब्जा पाने का अधिकार होगा। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी।

    मकान मालिक को सेवानिवृत्ति (Retirement), रिहाई (Release) या सेवा समाप्ति (Discharge) से पहले या बाद में एक वर्ष के भीतर किराया अधिकरण (Rent Tribunal) में याचिका (Petition) दायर करनी होगी। यदि यह अधिनियम हाल ही में लागू हुआ है, तो मकान मालिक को इसके लागू होने के एक साल के अंदर याचिका दायर करने का अधिकार होगा।

    उदाहरण के लिए, कर्नल शर्मा, जो भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ने जयपुर में अपना घर किराए पर दिया था। अब वे अपनी सेवा के बाद उसी घर में वापस आना चाहते हैं, लेकिन किराएदार मकान खाली करने से इनकार कर रहा है। इस स्थिति में, कर्नल शर्मा धारा 10(1)(i)(a) के तहत तुरंत कब्जा पाने के लिए किराया अधिकरण में याचिका दायर कर सकते हैं।

    सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के कब्जे का अधिकार

    धारा 10(1)(i)(b) उन मकान मालिकों के लिए भी यही अधिकार देती है, जो केंद्र सरकार (Central Government), राज्य सरकार (State Government), स्थानीय निकाय (Local Bodies) या राज्य द्वारा संचालित निगमों (State-Owned Corporations) में कर्मचारी थे। यदि ऐसे मकान मालिक अपनी सेवानिवृत्ति से पहले या बाद में याचिका दायर करते हैं, तो वे अपने मकान पर तुरंत कब्जा प्राप्त कर सकते हैं।

    इसके लिए शर्त यह है कि सेवानिवृत्ति से एक वर्ष के भीतर या इस अधिनियम के लागू होने के एक वर्ष के भीतर याचिका दायर की जाए, जो भी बाद में हो।

    उदाहरण के लिए, श्री वर्मा, जो राजस्थान बिजली बोर्ड (Rajasthan Electricity Board) के अधिकारी थे, ने जोधपुर में अपना मकान किराए पर दिया था। अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अपने घर में वापस आना चाहते हैं। लेकिन किराएदार मकान खाली करने को तैयार नहीं है। इस स्थिति में, श्री वर्मा को धारा 10(1)(i)(b) के तहत अपना मकान वापस लेने का अधिकार है।

    वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) को कब्जे का अधिकार

    धारा 10(1)(i)(c) उन मकान मालिकों को यह विशेष अधिकार देती है जो वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen) बन चुके हैं, यानी जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक हो चुकी है।

    लेकिन इस प्रावधान का लाभ लेने के लिए मकान मालिक को कम से कम तीन साल तक मकान किराए पर देना जरूरी है। तीन साल पूरे होने के बाद ही वे किराएदार से मकान खाली कराने के लिए याचिका दायर कर सकते हैं।

    उदाहरण के लिए, श्री मेहता, जो 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, ने उदयपुर में अपना मकान पांच साल पहले किराए पर दिया था। अब वे स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अपने घर में वापस आना चाहते हैं। इस स्थिति में, चूंकि तीन साल की अवधि पूरी हो चुकी है, वे किराया अधिकरण में याचिका दायर कर सकते हैं और अपना मकान तुरंत वापस पा सकते हैं।

    शहीद सशस्त्र बल कर्मियों (Deceased Armed Forces Personnel) के कानूनी उत्तराधिकारियों (Legal Heirs) को कब्जे का अधिकार

    धारा 10(1)(ii) कहती है कि यदि मकान मालिक, जो सशस्त्र बल (Armed Forces) या अर्धसैनिक बल (Paramilitary Forces) में कार्यरत था, अपनी सेवा के दौरान निधन (Death) हो गया, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs) को मकान पर तुरंत कब्जा पाने का अधिकार होगा।

    यह याचिका मकान मालिक की मृत्यु के एक वर्ष के भीतर या इस अधिनियम के लागू होने के एक वर्ष के भीतर, जो भी बाद में हो, दायर करनी होगी।

    उदाहरण के लिए, कैप्टन राजीव, जो भारतीय सेना में कार्यरत थे, को एक सैन्य अभियान के दौरान वीरगति प्राप्त हुई। उनका मकान कोटा में किराए पर दिया गया था। अब उनकी पत्नी और बच्चे, जो आर्थिक रूप से उन पर निर्भर थे, वहां रहना चाहते हैं। इस स्थिति में, वे किराया अधिकरण में याचिका दायर कर मकान तुरंत वापस ले सकते हैं।

    मृत मकान मालिक की विधवा (Widow) को कब्जे का अधिकार

    धारा 10(1)(iii) के अनुसार, यदि मकान मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी विधवा (Widow) को मकान पर तुरंत कब्जा लेने का अधिकार होता है।

    इसके लिए विधवा को मकान खाली कराने की याचिका अपने पति की मृत्यु के एक वर्ष के भीतर दायर करनी होगी।

    उदाहरण के लिए, श्री सिंह, जो अजमेर में एक मकान के मालिक थे, की अचानक मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी, जिनके पास रहने की कोई अन्य जगह नहीं है, अपने घर में वापस जाना चाहती हैं, लेकिन किराएदार मकान खाली करने से इनकार कर रहा है। इस स्थिति में, श्रीमती सिंह इस धारा के तहत मकान तुरंत वापस पाने के लिए याचिका दायर कर सकती हैं।

    धारा 10 मकान मालिकों को विशेष परिस्थितियों में कानूनी रूप से अपने मकान पर तुरंत कब्जा पाने का अधिकार देती है। यह उन लोगों के लिए राहत प्रदान करती है जो सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त कर्मी, सरकारी कर्मचारी, वरिष्ठ नागरिक, मृतक सेना कर्मियों के कानूनी उत्तराधिकारी और विधवाएं हैं।

    यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिकों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े और वे जल्द से जल्द अपना घर वापस पा सकें। साथ ही, यह कानून इस बात का भी ध्यान रखता है कि इस प्रावधान का गलत उपयोग न किया जाए।

    इस धारा का अगला भाग अन्य महत्वपूर्ण प्रावधानों को स्पष्ट करेगा जो मकान मालिकों और किराएदारों के अधिकारों को संतुलित करने में मदद करते हैं।

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