संपादकीय

सुप्रीम कोर्ट ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नवाब मलिक (Nawab Malik) और अनिल देशमुख (Anil DeshMukh) को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव (MLC) में वोट डालने की इजाजत देने से इनकार किया।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की अवकाश पीठ ने 17 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ विधायकों द्वारा एमएलसी चुनावों में वोट डालने के लिए अस्थायी रिहाई देने से इनकार करने के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।हालांकि, पीठ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) की...

पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी का मामला: नूपुर शर्मा के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार भीम सेना चीफ को दिल्ली कोर्ट ने जमानत दी
पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी का मामला: नूपुर शर्मा के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार भीम सेना चीफ को दिल्ली कोर्ट ने जमानत दी

दिल्ली कोर्ट ने भीम सेना के अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर को जमानत दे दी है, जिन्हें कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद पर उनकी कथित टिप्पणियों के लिए भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के खिलाफ हिंसा का आह्वान करने के बाद गिरफ्तार किया गया था।तंवर के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने एक ट्वीट पोस्ट कर "नूपुर शर्मा की जीभ काटने वाले" को 1 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। किया था और ट्वीट में इस्तेमाल किए गए शब्द अत्यधिक उत्तेजक थे और सार्वजनिक शांति के खिलाफ थे।यह भी आरोप लगाया गया कि तंवर...

नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने एमएलसी चुनाव में वोट डालने के लिए जेल से अस्थायी रिहाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने एमएलसी चुनाव में वोट डालने के लिए जेल से अस्थायी रिहाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

महाराष्ट्र के विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख नेसोमवार होने वाले महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव (एमएलसी इलेक्शन) में वोट डालने के लिए जेल से अस्थायी रिहाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।मलिक जहां अल्पसंख्यक विकास मंत्री हैं, वहीं देशमुख पूर्व गृह मंत्री हैं। दोनों धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दो अलग-अलग मामलों में मुंबई की एक जेल में बंद हैं। उन्होंने 17 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एमएलसी चुनावों में वोट डालने के लिए अस्थायी रिहाई देने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम...

अग्निपथ विरोध : CLAT 2022 पूर्व निर्धारित समय पर होगा, कंसोर्टियम ने कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया
अग्निपथ विरोध : CLAT 2022 पूर्व निर्धारित समय पर होगा, कंसोर्टियम ने कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सूचित किया कि सशस्त्र बलों के लिए "अग्निपथ" भर्ती योजना के विरोध के कारण कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2022 को स्थगित नहीं किया गया है। एनएलयू के कंसोर्टियम की कार्यकारी समिति ने शनिवार शाम आयोजित एक समीक्षा बैठक के बाद पहले से निर्धारित CLAT 2022 परीक्षा कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।कई राज्यों में हिंसक अग्निपथ विरोध प्रदर्शनों के कारण ट्रेनों के व्यापक रूप से रद्द होने के कारण, राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने और...

असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर फायर आर्म्स के लाइसेंस से इनकार करने के प्रशासन के फैसले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर फायर आर्म्स के लाइसेंस से इनकार करने के प्रशासन के फैसले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कहा कि पक्षकार द्वारा असाधारण परिस्थितियों को इंगित किए जाने के अलावा फायर आर्म्स के लिए नए आवेदन / लाइसेंस के नवीनीकरण को अस्वीकार करने में किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस संबंध में अदालत ने आर्म्स एक्ट (Arms Act), 1959 की धारा 17 का अनुसरण किया, जो लाइसेंस के परिवर्तन, निलंबन और निरसन के बारे में बात करती है।वर्तमान याचिकाकर्ता ने फायर आर्म्स को लेकर शिकायत की थी।अदालत ने याचिकाकर्ता को 15 दिनों की अवधि के भीतर नए सिरे से अभ्यावेदन दाखिल...

मजिस्ट्रेट पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिनों के भीतर घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदनों का निपटान करने के लिए बाध्य : कर्नाटक हाईकोर्ट
मजिस्ट्रेट पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिनों के भीतर घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदनों का निपटान करने के लिए बाध्य : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत दायर आवेदन पर मजिस्ट्रेट को उसके समक्ष प्रस्तुति की तारीख से दो महीने (साठ दिन) के भीतर फैसला किया जाना चाहिए। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने एक राजम्मा एच द्वारा दायर एक याचिका की अनुमति देते हुए, बैंगलोर में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन के साथ-साथ आपराधिक विविध आवेदन को दो सप्ताह की अवधि के भीतर निपटाने का निर्देश दिया।याचिकाकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर...

अग्निपथ विरोध : सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, सामूहिक हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान की एसआईटी जांच की मांग
अग्निपथ विरोध : सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, सामूहिक हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान की एसआईटी जांच की मांग

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका दायर की गई है, जिसमें सशस्त्र बलों के लिए "अग्निपथ" भर्ती योजना के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध के दौरान सामूहिक हिंसा और रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की स्थापना की मांग की गई है। । जनहित याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि "नाराज उम्मीदवारों" ने लखीसराय और समस्तीपुर स्टेशनों पर नई दिल्ली-भागलपुर विक्रमशिला एक्सप्रेस और नई दिल्ली-दरभंगा बिहार संपर्क...

CLAT 2022 के दौरान अग्निपथ विरोध: एनएलयू संघ की समीक्षा बैठक आयोजित करने की संभावना
CLAT 2022 के दौरान 'अग्निपथ' विरोध: एनएलयू संघ की समीक्षा बैठक आयोजित करने की संभावना

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (एनएलयू) के कंसोर्टियम की कार्यकारी समिति रविवार (19 जून) को "अग्निपथ" विरोध के बीच कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) आयोजित करने के संबंध में स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित करने की संभावना है। संभावित बैठक के बारे में लाइव लॉ को सूत्रों ने सूचित किया है।घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों के अनुसार, क्लैट के संचालन के संबंध में चिंताओं से क्लैट के संयोजक को अवगत करा दिया गया है और कार्यकारी समिति द्वारा मौजूदा स्थिति के संबंध में समीक्षा बैठक आयोजित करने की संभावना...

Install Smart Television Screens & Make Available Recorded Education Courses In Shelter Homes For Ladies/Children
बलात्कार के मामले में अनचाहे गर्भ से पैदा हुई पीड़ा पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चोट : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बलात्कार पीड़िता को 18 सप्ताह के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने( medical termination) की अनुमति देते हुए कहा है कि बलात्कार से ठहरे एक अवांछित गर्भ के कारण होने वाली पीड़ा को पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चोट माना जा सकता है।विशेष रूप से, याचिकाकर्ता-पीड़िता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 341 और 376 डी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन कमान, भरतपुर में एक एफआईआर भी दर्ज कराई है। वर्तमान याचिका उसने अपनी अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने का निर्देश...

दिल्ली की अदालत ने आरोपी के घर से अवैध हथियार बरामद होने पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज करने पर चिंता व्यक्त की
दिल्ली की अदालत ने आरोपी के घर से अवैध हथियार बरामद होने पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज करने पर चिंता व्यक्त की

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक आरोपी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act) के कड़े प्रावधानों को लागू करने पर चिंता व्यक्त की। आरोपी के घर से केवल अवैध रूप से हथियार की बरामदगी हुई थी और इस आधार पर दावा किया गया कि वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है। अदालत ने घर हथियार बरामद होने के एकमात्र आधार पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने को बहुत स्थिति कहा। विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यूएपीए के तहत दर्ज अपराध में एक आदिश कुमार जैन को आरोप...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएलसी चुनाव में मतदान के लिए नवाब मलिक और अनिल देशमुख को अस्थायी जमानत देने से इनकार किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएलसी चुनाव में मतदान के लिए नवाब मलिक और अनिल देशमुख को अस्थायी जमानत देने से इनकार किया

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) और राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को आगामी महाराष्ट्र विधान परिषद (MLC) चुनावों में सोमवार यानी 20 जून को मतदान के लिए अस्थायी जमानत देने से इनकार किया।जस्टिस एनजे जमादार ने देशमुख की जमानत याचिका में एक अंतरिम आवेदन और मलिक द्वारा दायर एक नई याचिका पर आदेश पारित किया जिसमें केवल पुलिस सुरक्षा का उपयोग करके अपना वोट डालने की अनुमति मांगी गई थी। प्रवर्तन...

हमारे पास सुप्रीम कोर्ट की तरह अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियां नहीं: मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी नलिनी और रविचंद्रन की समयपूर्व रिहाई से इनकार किया
'हमारे पास सुप्रीम कोर्ट की तरह अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियां नहीं': मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी नलिनी और रविचंद्रन की समयपूर्व रिहाई से इनकार किया

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination Case) के दोषी एस. नलिनी (S.Nalini) और आरपी रविचंद्रन (RP Ravichandran) की समयपूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के पास संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियां नहीं हैं। इस प्रकार, यह उनकी रिहाई का आदेश नहीं दे सकता, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में एक अन्य दोषी पेरारिवलन के लिए किया था। इसलिए...

बिना नोटिस के बुलडोजर की कार्रवाई नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उचित प्रक्रिया और कानून का पालन करने को कहा
'बिना नोटिस के बुलडोजर की कार्रवाई नहीं कर सकते': सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उचित प्रक्रिया और कानून का पालन करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही बुलडोजर की कार्रवाई को अंजाम दें।इसके साथ ही कोर्ट राज्य को यह दिखाने के लिए तीन दिन का समय भी दिया है कि हाल ही में किए गए विध्वंस प्रक्रिया के अनुसार और नगरपालिका कानूनों के अनुपालन में कैसे थे। यह भी कहा कि कार्रवाई केवल कानून के अनुसार होगी।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की अवकाश पीठ जमीयत उलमा-ए-हिंद के आवेदन पर विचार कर रही थी, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य को यह...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
इलाहाबाद हाईकोर्ट का 498ए शिकायतों पर गौर करने के लिए 'परिवार कल्याण समिति' के गठन का निर्देश सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन

सोशल एक्शन फोरम फॉर मानव अधिकार बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 'मार्गदर्शन' लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में आईपीसी की धारा 498ए शिकायतों पर गौर करने के लिए 'परिवार कल्याण समिति' के गठन का निर्देश दिया।जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले, जिसने हाईकोर्ट को निर्देशित किया था, ने घोषणा की थी कि इस तरह के निर्देश अस्वीकार्य हैं।सुप्रीम कोर्ट ने राजेश शर्मा और अन्य बनाम यू पी राज्य और अन्य AIR 2017 SC 3869: 2017 (8) SCALE 313 ने पहली बार में धारा 498-ए आईपीसी के तहत आपराधिक शिकायतों...

इलाहाबाद हाईकोर्ट
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत उचित शिक्षा प्राप्त करना एक मौलिक अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत उचित शिक्षा प्राप्त करना एक मौलिक अधिकार है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने आगे कहा कि शैक्षिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी संस्थान में प्रवेश से संबंधित शिकायत का त्वरित समाधान किया जाए।पूरा मामलापीठ 8वीं कक्षा के छात्र तनिष्क श्रीवास्तव के मामले की सुनवाई कर रही थी। वह आठवीं कक्षा में प्रवेश लेने के लिए ला मार्टिनियर कॉलेज, लखनऊ में रेजिडेंट...

जब तक कि आरोपी जानबूझकर फरार नहीं हो जाते, अदालतों को स्थायी वारंट,  कुर्की आदेश जारी करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट
जब तक कि आरोपी जानबूझकर फरार नहीं हो जाते, अदालतों को स्थायी वारंट, कुर्की आदेश जारी करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालतों को स्थायी वारंट जारी करने और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 82 और 83 के तहत कार्यवाही शुरू करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, जब तक कि वे इस पर संतुष्ट न हों कि अभियुक्त जानबूझकर अभियोजन से बचने के लिए वारंट से बच रहे हैं या वारंट को दरकिनार कर रहे हैं। सीआरपीसी के तहत धारा 82 फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा से संबंधित है, जबकि सीआरपीसी की धारा 83 फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की के बारे में उल्लेख करती है।16.05.2022 को विशेष एनआईए अदालत ने...

आरोपी द्वारा दी गई आत्मरक्षा की दलील को उचित संदेह से परे साबित करने की आवश्यकता नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
आरोपी द्वारा दी गई आत्मरक्षा की दलील को उचित संदेह से परे साबित करने की आवश्यकता नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक आरोपी जो आत्मरक्षा की दलील लेता है, उसे इसे उचित संदेह से परे साबित करने की आवश्यकता नहीं है और यह पर्याप्त होगा यदि वह यह दिखा सके कि संभावनाओं की प्रबलता है।आरोपी, जो बीएसएफ में सेवारत था, कथित तौर पर नंदन देब नाम के एक नागरिक की मौत का कारण बना था। जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट ने निजी आत्मरक्षा की उसकी याचिका को खारिज कर दिया और भारतीय दंड संहिता (हत्या) की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और...