सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

19 Jun 2022 6:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (13 जून, 2022 से 17 जून, 2022 तक ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में मछली पकड़ने के लिए पर्स सीन नेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा मछली पकड़ने के लिए पर्स सीन नेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के 17 फरवरी, 2022 के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली अर्जी पर नोटिस जारी किया।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और विक्रम नाथ की अवकाश पीठ ने प्रतिवादियों के वकील को आईए की कॉपी देने का आदेश देते हुए कहा, "नोटिस जारी किया जाता है। दस्ती भी है। कॉपी देने के बाद सूचीबद्ध किया जाए।"

    केस टाइटल: गणेशकर एंड अन्य बनाम यूओआई एंड अन्य | डब्ल्यूपी (सी) 262 ऑफ 2022

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    कोर्ट फीस एक्ट - बाजार मूल्य सिर्फ इसलिए वाद के मूल्यांकन का निर्णायक नहीं बन जाता है क्योंकि अचल संपत्ति मुकदमेबाजी का विषय है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को माना कि एक वाद में दावा की गई राहत की प्रकृति वाद के मूल्यांकन के लिए निर्णायक है। बाजार मूल्य सिर्फ इसलिए वाद के मूल्यांकन का निर्णायक नहीं बन जाता है क्योंकि अचल संपत्ति मुकदमेबाजी का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यह एक प्राचीन कानून है कि संपत्ति के बाजार मूल्य पर अनिवार्य और निषेधात्मक निषेधाज्ञा के लिए किसी वाद का मूल्यांकन करने की आवश्यकता नहीं है।

    केस का नाम: भारत भूषण गुप्ता बनाम प्रताप नारायण वर्मा और अन्य

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'बिना नोटिस के बुलडोजर की कार्रवाई नहीं कर सकते': सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उचित प्रक्रिया और कानून का पालन करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही बुलडोजर की कार्रवाई को अंजाम दें। इसके साथ ही कोर्ट राज्य को यह दिखाने के लिए तीन दिन का समय भी दिया है कि हाल ही में किए गए विध्वंस प्रक्रिया के अनुसार और नगरपालिका कानूनों के अनुपालन में कैसे थे। यह भी कहा कि कार्रवाई केवल कानून के अनुसार होगी।

    केस टाइटल: जमीयत उलमा-ए-हिंद एंड अन्य बनाम भारत सरकार एंड अन्य | डब्ल्यूपी (सीआरएल) 162/2022

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    आरोपी द्वारा दी गई आत्मरक्षा की दलील को उचित संदेह से परे साबित करने की आवश्यकता नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक आरोपी जो आत्मरक्षा की दलील लेता है, उसे इसे उचित संदेह से परे साबित करने की आवश्यकता नहीं है और यह पर्याप्त होगा यदि वह यह दिखा सके कि संभावनाओं की प्रबलता है। आरोपी, जो बीएसएफ में सेवारत था, कथित तौर पर नंदन देब नाम के एक नागरिक की मौत का कारण बना था। जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट ने निजी आत्मरक्षा की उसकी याचिका को खारिज कर दिया और भारतीय दंड संहिता (हत्या) की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    पूर्व सिपाही महादेव बनाम महानिदेशक, सीमा सुरक्षा बल | 2022 लाइव लॉ (SC ) 551 | सीए 2606/ 2012 | 14 जून 2022

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    आदेश 41 नियम 31 सीपीसी । प्रथम अपीलीय अदालत द्वारा रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार करना चाहिए, जिन पर ट्रायल कोर्ट ने भरोसा किया है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि, रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार न करने पर, विशेष रूप से उन पर जो ट्रायल कोर्ट द्वारा भरोसा किए गए हैं और निर्धारण के लिए बिंदुओं को नहीं बताया जाना, प्रथम अपीलीय अदालत द्वारा अपने फैसले में दुर्बलता का कारण होगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 ("सीपीसी") के आदेश 41 नियम 31 के साथ पठित धारा 96 के तहत उसे प्रदत्त दायरे और शक्तियों को ध्यान में रखते हुए अपील का निर्णय करना प्रथम अपीलीय न्यायालय का कर्तव्य है।

    केस का नाम: सोमक्का (मृत) एलआर द्वारा बनाम के पी बासवराज (मृत) एलआर द्वारा।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    विभाजन वाद में अंतिम डिक्री पारित करने के लिए अलग से वाद दायर करने की जरूरत नहीं, ट्रायल कोर्ट प्रारंभिक डिक्री पारित करने के तुरंत बाद स्वत: संज्ञान लेकर आगे बढ़ें : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने विभाजन वाद से निपटने वाली निचली अदालतों को प्रारंभिक डिक्री पारित करने के तुरंत बाद मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर आगे बढ़ने का निर्देश दिया है।

    जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, "हम ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हैं कि सीपीसी के आदेश XX नियम 18 के तहत कदम उठाने के लिए विभाजन और संपत्ति के अलग कब्जे के लिए प्रारंभिक डिक्री पारित करने के बाद, बिना किसी अलग कार्यवाही की शुरुआत की आवश्यकता के मामले को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।"

    पीठ: जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस विक्रम नाथ

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    पुरुष और महिला के बीच लंबे समय तक सहनिवास विवाह के पक्ष में एक मजबूत अनुमान को जन्म देता है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि एक पुरुष और महिला के बीच लंबे समय तक सहनिवास उनकी शादी के पक्ष में एक मजबूत अनुमान को जन्म देता है। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, " हालांकि, ये अनुमान खंडन योग्य है, उस व्यक्ति पर एक भारी बोझ है जो यह साबित करने के लिए कानूनी मूल के रिश्ते से वंचित करना चाहता है कि कोई शादी नहीं हुई थी।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाला मामले में जमानत मांगने वाले अभिनेता मोहम्मद नसीर की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिव्यांग अभिनेता मोहम्मद नसीर द्वारा दायर एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें चिटफंड स्कीम के नाम पर कथित रूप से धोखाधड़ी और पैसे की हेराफेरी के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में जमानत की मांग की गई थी।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की अवकाश पीठ ने अपने आदेश में कहा, " जारी नोटिस पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दें।"

    केस टाइटल : मोहम्मद नसीर बनाम सीबीआई

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story