हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

8 May 2021 10:15 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    03 मई 2021 से 08 मई 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के COVID-19 से हुई मतदान अधिकारियों की मौत के मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस के बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30 लाख रूपये के मुआवजे की घोषणा की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा COVID-19 के कारण राज्य में 135 मतदान अधिकारियों की कथित मौत के मामले में संज्ञान लेने के कुछ दिनों बाद यूपी सरकार ने उनके परिवार वालों के लिए 30,00,000 रूपये के मुआवजे की घोषणा की है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की एक डिवीजन बेंच को राज्य सरकार ने सूचित किया कि, "राज्य सरकार ने मृतक मतदान अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को 30,00,000 रूपये का मुआवजा देने का निर्णय लिया है।"

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    COVID के दौरान चिकित्सा/स्वास्थ्य बीमा आवश्यक सेवाएं हैं, बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को स्वतंत्र संचलन से रोका नहीं जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    यह रेखांकित करते हुए कि COVID-19 महामारी की स्थिति के दौरान चिकित्सा बीमा और स्वास्थ्य बीमा सेवाएं आवश्यक सेवाएं हैं, गुरुवार (6 मई) को दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह देखा कि बीमा कंपनियों के कर्मचारियों को मुक्त संचलन (Free movement) से रोका नहीं जा सकता है, खासकर महामारी की स्थिति के दौरान। दरअसल न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ याचिकाकर्ता बीमा कंपनी, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका से निपट रही थी जो स्वास्थ्य बीमा योजनाओं और मेडिक्लेम नीतियों के व्यवसाय में लगी हुई है।

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    यदि अदालतें फिजिकल तौर पर काम करेंगी तो अधिवक्ता और उनके क्लर्क लॉकडाउन के दौरान कोर्ट आ सकते हैंः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि यदि अदालतों में फिजिकल तौर पर काम होगा तो अधिवक्ता और उनके क्लर्क भी लॉकडाउन के दौरान कोर्ट में आ सकते हैं, बशर्ते इसके लिए वे अपने पहचान पत्र के साथ निर्धारित प्रारूप में एक अंडरटेकिंग साथ रखें। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, ''राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया जाता है कि वह सभी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश जारी कर दें कि वकीलों को अदालतों में आवश्यक पहुंच दी जाए क्योंकि अन्यथा यह आम आदमी होगा जो पीड़ित होगा, विशेष रूप से आपराधिक मामलों में।''

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    "दिल्ली में COVID-19 से पीड़ित सभी व्यक्तियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करे": दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में COVID-19 से पीड़ित सभी रोगियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वेंटिलेटर को अस्पताल में भर्ती होने, दवा या आईसीयू के संबंध में सुविधाओं की आवश्यकता वाले रोगियों को उसी के साथ प्रदान किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ ने 52 साल के एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो खराब स्वास्थ्य स्थिति के कारण मरणासन्न अवस्था और उनसे अपनी याचिका में वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बिस्तर के लिए प्रार्थना की थी।

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    'भारत में विदेशी ड्रग कंपनियां इस तरह मुनाफा नहीं कमा सकतीं': बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- स्थानीय दवाओं को विकल्प के रूप में बढ़ावा क्यों नहीं दिया गया

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली आयातित दवाओं की जगह स्थानीय दवाओं को विकल्प के रूप में उपयोग के लिए बढ़ावा क्यों नहीं दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि, "विदेशी दवाओं को लोकप्रिय बनाने के कारण स्पष्ट हैं। लेकिन अगर हमारे पास विकल्प हैं तो स्थानीय दवाओं का उपयोग क्यों न करें। यह वहीं है। आपको हनुमान की भी आवश्यकता नहीं है। हिंदू महाकाव्य रामायण के मुताबिक कैसे एक स्थानीय औषधी वनस्पति संजीवनी से लक्ष्मण की जान बचाई गई।"

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्धारित समय से पहले 10 मई से 4 जून, 2021 तक गर्मियों की छुट्टियों की घोषणा की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक नोटिस जारी करके पहले से निर्धारित हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों की गर्मियों की छुट्टियों की तारीख में बदलाव करते हुए 10 मई से 4 जून, 2021 तक घोषित की। कोर्ट ने दिया आदेश, "इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायिक अवकाश के साथ-साथ लखनऊ पीठ और उसके अधीनस्थ न्यायालयों में गर्मियों की छुट्टियां पूर्व निर्धारित 01.06.2021 से 30.06.2021 की जगह अब 10.05.2021 से 04.06.2021 मनाया जाना चाहिए। … "

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    जिला ग्रामीण विकास अभ‌िकरण के कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी नहीं, लेकिन उन पर अनुकंपा नियुक्ति के नियम लागू होंगेः इलाहाबाद उच्च न्यायालय

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने माना है कि उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 में शामिल अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के कर्मचारियों पर लागू हैं। ज‌स्ट‌िस रमेश सिन्हा, ज‌स्ट‌िस चंद्र धारी सिंह और ज‌स्ट‌िस मनीष माथुर की पूर्ण पीठ ने, इस प्रकार, माना कि 17 मार्च, 1994 के सरकारी आदेश के पैराग्राफ 2 (9) के मद्देनजर, जो यह प्रावधान करती है कि डीआरडीए कर्मचारियों के रोजगार के मामलों के में, जिसके लिए उक्त सरकारी आदेश में कोई विशेष प्रावधान नहीं है, ऐसे कर्मचारी आमतौर पर उन प्रावधानों द्वारा शासित होंगे, जो राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू होते हैं।

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    अदार पूनावाला और एसआईआई भारतीयों के जीवन रक्षक बने हैं; इसलिए सरकार को उनकी सुरक्षा करनी चाहिए": बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर

    बॉम्बे हाईकोर्ट में COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला को कथित तौर पर धमकी देने के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई है। एडवोकेट दत्ता माने की आपराधिक रिट याचिका भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 का आह्वान करते हुए पुणे पुलिस को पूनावाला, उनके परिवार के सदस्यों को 'जेड प्लस' सुरक्षा प्रदान करने और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की संपत्तियों की रक्षा करने के लिए निर्देश दिए जाने की मांग करती है।

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    त्रिपुरा में व‌िवाह समारोह रुकवाने का मामलाः त्रिपुरा हाईकोर्ट ने कहा, निष्पक्ष जांच के लिए डीएम को अगरतला से बाहर भेजना आवश्यक

    अगरतला में 26 अप्रैल, 2021 को एक विवाह समरोह को रुकवाने के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। मामले में जिला अधिकारी और उनकी टीम ने अगरतला में एक विवाह समारोह को रुकवा दिया था, उनका आरोप था कि समारोह COVID कर्फ्यू के तहत निर्धारित समयावध‌ि के बाद भी जारी था। जन‌हित याचिका में डीएम पर अपने अध‌िकारों का दुरुपयोग करने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है। मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

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    अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य, यह नरसंहार से कम नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण COVID-19 रोगियों की हो रही मृत्यु के संबंध में कहा कि ऑक्सीजन की खरीद और आपूर्ति के लिए जिम्मेदार अधिकारी द्वारा अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि, "हमें अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण COVID-19 रोगियों की हो रही मृत्यु को देखकर दु:ख हो रहा है। ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना एक आपराधिक कृत्य है और इस तरह से लोगों की जान जाना नरसंहार से कम नहीं है। अधिकारियों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की निरंतर खरीद और आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।"

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    धर्म निरपेक्ष काननू के तहत बनी है फैमिली कोर्ट; प्रथागत कानून के तहत तलाक की मांग कर रही पार्टियों को यह लौटा नहीं सकतीः झारखंड हाईकोर्ट

    एक महत्वपूर्ण फैसले में, झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि फैमिली कोर्ट प्रथागत कानूनों के तहत तलाक की मांग कर रहे पक्षों को वापस नहीं लौटा सकते। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने कहा, "फैमिली कोर्ट यह मानकर गलती की है कि मामना संहिताबद्ध ठोस कानून की अनुपस्थिति में सुनवाई योग्य नहीं है, जैसा कि पक्षों पर लागू होता है ... चाहे पक्ष तर्क रखने और उनके बीच तलाक को नियंत्रित करने वाली परंपरा को साबित करने में सक्षम हैं, यह निर्णय दलीलों और र‌िकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार करने के बाद योग्यता के आधार पर लिया जाएगा। "

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    जहां मोटर दुर्घटना से दावेदार के उत्तराधिकारी को आघात पहुंचा और दुर्घटना और मौत के बीच संबंध है, वहां उत्तराधिकारी मुआवजा पाने का हकदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    मोटर दुर्घटना दावे से की गई एक अपील में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में वाहन, जिससे दुर्घटना हुई है, के मालिक और बीमाकर्ता के बीच व‌िवाद की स्‍थ‌िति में, दावेदार(ओं) को बीमित करने के महत्व को रेखांकित किया, जिन्होंने वह मुआवजा पाया, जिसके वे हकदार थे। जस्टिस डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस अजीत सिंह की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि दावेदार के उत्तराधिकारी, एक बार उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्‍थ‌िति स्थापित करने के बाद, मूल दावेदार के कारण मुआवजे का दावा करने के हकदार होंगे।

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