'अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य, यह नरसंहार से कम नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

5 May 2021 2:43 AM GMT

  • अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य, यह नरसंहार से कम नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण COVID-19 रोगियों की हो रही मृत्यु के संबंध में कहा कि ऑक्सीजन की खरीद और आपूर्ति के लिए जिम्मेदार अधिकारी द्वारा अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना आपराधिक कृत्य है।

    जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि,

    "हमें अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण COVID-19 रोगियों की हो रही मृत्यु को देखकर दु:ख हो रहा है। ऑक्सीजन की आपूर्ति न करना एक आपराधिक कृत्य है और इस तरह से लोगों की जान जाना नरसंहार से कम नहीं है। अधिकारियों को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की निरंतर खरीद और आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।"

    मेरठ और लखनऊ जिलों में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड रोगियों की मृत्यु के संबंध में वायरल समाचार और सोशल मीडिया पोस्ट के मद्देनजर कड़ी टिप्पणी की गई। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि लोगों को परेशान किया जा रहा है और जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन दोनों कुछ नहीं कर रहे हैं। लोग अपने निकट और प्रियजनों के जीवन को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भीख मांग रहे हैं।

    बेंच ने आगे कहा,

    "हम इस तरह से अपने लोगों को कैसे मरने दे सकते हैं जब विज्ञान इतना उन्नत है कि हार्ट ट्रांसप्लांटेशन और ब्रेन सर्जरी भी इन दिनों हो रही है।"

    बेंच ने एक विवादित न्यूज देखा जिसमें एक व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए सरकार से गुहार लगा रहा है।

    कोर्ट ने लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट को 48 घंटे के भीतर ऐसी समाचार वस्तुओं के मामले में पूछताछ करने और क्रमशः निर्धारित अगली तारीख पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। उन्हें यह भी निर्देश दिया गया कि वे अगली तारीख पर कोर्ट में ऑनलाइन पेश हों।

    आदेश में कहा गया है कि,

    "आम तौर पर हम राज्य और जिला प्रशासन को ऐसी सोशल मीडिया पर वायरल हुई खबरों की जांच करने के लिए निर्देश नहीं देते हैं, लेकिन चूंकि इस जनहित याचिका में उपस्थित अधिवक्ताओं ने ऐसी खबरों का समर्थन किया और यहां तक कि अन्य जिलों में भी यह स्थितियां पाई गई हैं, इसलिए हमें सरकार द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल उपचारात्मक उपायों के लिए निर्देश देना आवश्यक है।"

    बेंच ने मेरठ में मेडिकल कॉलेज के नए ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पांच मरीजों की मौत का जिक्र किया। न्यायालय ने लखनऊ और मेरठ के दो अस्पतालों की रिपोर्ट भी देखा, जिसमें कोविड रोगियों को केवल इस कारण से भर्ती करने से इनकार कर दिया कि मांग के बाद भी ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की गई।

    गौरतलब है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सिलेंडर के वितरण के लिए तृतीय वर्ष के कानून के छात्र उत्सव मिश्रा द्वारा सुनवाई के दौरान एक सुझाव दिया गया, जिसे पुलिस ने अवैध संपत्ति के रूप में जिला प्रशासन द्वारा जब्त कर लिया गया था।

    एएजी ने आश्वासन दिया कि वह राज्य सरकार के समाने इस मुद्दे को रखेंगे ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीमीटर जैसे चीजें उपलब्ध कराई जाएं और बर्बाद न हों।

    कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में कहा था कि सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि कोई भी ऑक्सीजन की कमी से न मरे।

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में सुझाव दिया कि 4 मई की घटना की सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की जानी चाहिए। चामराजनगर में हुई इस घटना में ऑक्सीजन की कमी के कारण 24 COVID-19 रोगियों की मौत हो गई।

    केस का शीर्षक: क्वारैंटाइन सेंटर में अमानवीय स्थिति

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



    Next Story