हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

8 March 2021 4:37 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    01 2021 से 05 मार्च 2021 तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    पत्नी की चुप्पी को यह नहीं माना जा सकता कि उसने हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 7 के तहत गोद लेने को सहमति दे दी है: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि पति द्वारा गोद लेने के समय पत्नी की चुप्पी या विरोध का अभाव, हिंदू दत्तक एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 7 के तहत इस तरह के गोद लेने पर सहमति नहीं मानी जा सकती है। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने फैसला में कहा, "अदालत पत्नी की सहमति सिर्फ इसलिए नहीं मान सकती क्योंकि वह गोद लेने के समय मौजूद थी।" यह माना गया कि अधिनियम की धारा 7 के प्रावधान को संतुष्ट करने के लिए, एक हिंदू पुरुष, जिसकी जीवित पत्नी है, द्वारा गोद का प्रस्ताव देने वाली पार्टी को यह साबित करने के लिए सबूत देना होगा कि उसकी पत्नी की सहमति से ऐसा किया गया है।

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    जेल में 20 साल बिताने के बाद बलात्कार के केस में बरी होने का मामलाः एनएचआरसी ने यूपी सरकार से आरोपी के पुनर्वास व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी

    राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बीस साल जेल में बिताने के बाद बलात्कार के केस में एक व्यक्ति को बरी किए जाने के मामले पर स्वत संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने पाया कि यह सीआरपीसी की धारा 433 के गैर-अनुप्रयोग का मामला है। गौरतलब है कि यह मामला एक 23 वर्षीय व्यक्ति (अब 43) का है, जिसे बलात्कार के एक मामले में ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और जिसे अब बीस साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्दोष घोषित किया है।

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    यूपी बार काउंसिल बनाम बीसीआईः एडवोकेट एक्ट के तहत बीसीआई को राज्य बार काउंसिल को निर्देश देने का अधिकार - बीसीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कहा कि 19 जनवरी, 2021 और 2 फरवरी, 2021 को यूपी बार काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए जारी सर्कुलर के लिए उसने अधिवक्ता अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया गया है। अपने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए बीसीआई ने यूपी बार काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी के लिए समितियों का गठन किया था। बीसीआई अध्यक्ष मिश्रा ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ को बताया कि बीसीआई के पास अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 48 बी के तहत स्टेट बार काउंसिल को दिशा-निर्देश देने की शक्ति है और उसके तहत उपर्युक्त कार्यवाही की गई है।

    केस का शीर्षक: बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य।

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    एक बार जब अन्वेषण पूरा हो जाता है तो पुलिस को कार्रवाई के बारे में अपराध की प्रथम इत्तिला देने वाले को सूचित करना अनिवार्य है: त्रिपुरा उच्च न्यायालय

    त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने सोमवार (01 फरवरी) को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि Cr.P.C की धारा 173 (2) (ii) की आवश्यकता का सभी मामलों में 'कड़ाई से पालन' किया जाए। मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति एस.जी. चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने विशेष रूप से राज्य सरकार के गृह विभाग को निर्देश दिया कि वह सभी पुलिस स्टेशनों को एक उचित परिपत्र जारी करे, जिसमें पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी और जांच अधिकारी को सभी मामलों में धारा 173 (2) (ii) Cr.PC की आवश्यकता का पालन करने के लिए कहा जाए।

    केस का शीर्षक - श्री भास्कर देब बनाम त्रिपुरा राज्य और एक अन्य [डब्ल्यू.पी. (C) (PIL) No.07 / 2020]

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    'एक बार जब याचिका में गलती का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसको साबित करने का जिम्मा भी पक्षकार का होता है': मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति, जो न्यायालय के समक्ष पेश किसी भी सबूत को हटाने के लिए एक बार जब याचिका में गलती का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसको साबित करने का जिम्मा भी पक्षकार का होता है। न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यन की एकल पीठ ने एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मांग का दावा किया गया था कि वह एक हिंदू महिला है और गलती से उसे स्कूल प्रमाणपत्र में ईसाई के रूप में दिखाया गया है।

    केस का शीर्षक: पी. शिवकुमार बनाम एस. बेउला

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    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर ऐप लॉन्च किया

    उत्तराखंड राज्य के न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (जिला न्यायालय प्रदर्शन निगरानी उपकरण-डीसीपीएमटी) का उद्घाटन 03 मार्च, 2021 को उच्च न्यायालय, नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रघुवेंद्र सिंह चौहान ने किया । मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रघुवेंद्र सिंह चौहान के मार्गदर्शन व निर्देशों के तहत उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल की सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टीम ने डीसीपीएमटी बनाया है। इन-हाउस सॉफ्टवेयर का उद्देश्य उत्तराखंड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों को एक टूल प्रदान करना है ताकि अदालत के पांच मापदंडों पर राज्य के न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन की निगरानी की जा सके।

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    कानूनी बिरादरी को वैक्सीनेशन : दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक, एसआईआई से हलफनामा मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ ने शुक्रवार को कानून बिरादरी को COVID-19 वैक्सीनेशन से संबंधित एक मामले में अदालत द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों को संबोधित करते हुए भारत सरकार, दिल्ली राज्य सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के लिए वकीलों के प्रस्तुतिकरण को ध्यान में रखते हुए कि उनके पास अतिरिक्त उत्पादन क्षमता है, अदालत ने संगठनों को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि Covishield और Covaxin का प्रति दिन / सप्ताह / महीने के उत्पादन करने के लिए अपनी संबंधित क्षमताओं को स्पष्ट किया जाए। हाईकोर्ट ने बताया कि दोनों संगठन अपने आधार, उनकी वर्तमान स्थिति, अतिरिक्त क्षमता आदि के बारे में जानकारी दे।

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    "इसकी अनुमति कैसे मिली", गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर हैरानी जताई कि 5000 से अधिक स्कूल फायर सेफ्टी एनओसी के बिना चल रहे हैं

    गुजरात हाईकोर्ट ने फायर प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन सिस्टम के संबंध में बिना वैध और निर्विवाद प्रमाण पत्र के राज्य के 5,000 से अधिक स्कूलों के संचालन पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा की एक खंडपीठ ने रिपोर्ट पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, "इसकी अनुमति कैसे दी गई? ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के मासूम जीवन के साथ कोई कैसे खेल सकता है? यदि इस दिशा में जल्द से जल्द कोई कदम नहीं उठाया जाता है, तो यह अदालत राज्य सरकार से ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए कहने के लिए मजबूर हो सकती है।"

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    सरोगेट महिला भी मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की हकदार, सरोगेट मां और प्राकृतिक मां के बीच अंतर करना महिला होने का अपमान: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि एक सरोगेट मां भी सीसीएस (लीव) रूल्स, 1972 के नियम 43 (1) के तहत मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की हकदार है। यह भी कहा गया है कि यह "महिला होने का अपमान" होगा, यदि एक सरोगेट मां और प्राकृतिक मां के बीच अंतर किया जाता है। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस संदीप शर्मा की पीठ ने एक सरोगेट मां की याचिका पर सुनवाई में उक्त टिप्पण‌ियां की हैं। याचिका में सरोगेट मां के लिए भी मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की मांग की गई थी।

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    लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को सोनीपत की स्थानीय अदालत ने सभी तीन मामलों में जमानत दी

    दलित लेबर एक्टविस्ट नौदीप कोर के साथी और लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामलों में सोनीपत जिले (हरियाणा) की एक स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई है। इससे दो अन्य मामलों में उन्हें बुधवार (03 मार्च) को जमानत दी गई थी, तीसरे मामले में उन्हें आज यानी गुरुवार जमानत दी गई है। शिव कुमार मज़दूर अधिनायक संगठन के अध्यक्ष हैं और उन्हें 16 जनवरी को नौदीप कौर की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद गिरफ्तार किया गया था।

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    मध्यस्थता विवादों से जुड़े वाणिज्यिक मामलों को जिला जज या अतिरिक्त जिला जज के स्तर के वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ही सुना जा सकता हैः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता विवादों से जुड़े वाणिज्यिक मामलों को केवल जिला जज या अतिरिक्त जिला जज के स्तर के वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ही सुना जा सकता है। यह माना गया है कि एक सिविल जज आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट, 1996 की धारा 9,14, 34 और 36 के तहत मामलों की सुनवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं होगा। चीफ ज‌स्ट‌िस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने 26 फरवरी के अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 2 (1) (सी) में "न्यायालय" के परिभाषा खंड में नियोजित भाषा स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि विधानमंडल का इरादा जिले के उच्चतम न्यायिक न्यायालय को मध्यस्थता से जुड़े विवादों की सुनवाई शक्ति प्रदान करना है।

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    अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावर लगाने की अनुमति न दें, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया

    'आवासीय भवन पर टावर लगाने' के 'महत्वपूर्ण सवाल' पर विचार-विमर्श करते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार (03 मार्च) को पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वे अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावरों को लगाने की अनुमति न दें।(अंतरिम उपाय) जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश इस तथ्य के मद्देनजर पारित किया है कि बेतरतीब ढंग से टावरों लगाने से लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरा हो सकता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा।

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    जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों को भी COVID-19 का खतरा: दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायिक बिरादरी को वैक्सीनेशन दिए जाने के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों सहित न्यायिक कामकाज से जुड़े सभी लोगों को वैक्सीनेशन दिए जाने की मांग पर स्वतः संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया है। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने न्यायिक बिरादरी से संबंधित लोगों को उनकी आयु सीमा या शारीरिक स्थिति पर विचार किए बिना प्राथमिकता के आधार पर "अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता" के रूप में मानकर वैक्सीन दिए जाने की मांग की है।

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    मुझे 'यौर लॉर्डशिप' या 'माई लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी ने बार सदस्यों से अनुरोध किया

    एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक नोटिस जारी कर बार के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी को 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें । यह नोट न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के अनुरोध के अनुसार जारी किया गया है, जिन्होंने बार सदस्यों से आग्रह किया है कि वे उन्हेंं ' ओब्लाइज़्ड और ग्रेटफुल ' कहने से बचें ।

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