सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, वीकली राउंड अप पर एक नज़र

LiveLaw News Network

23 Dec 2019 4:56 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, वीकली राउंड अप पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछए सप्ताह में कई अहम ऑर्डर, जजमेंट पास किए। आइए वीकली राउंड अप में प्रमुख ऑर्डर, जजमेंट पर एक नज़र डालते हैं।

    बीमा कंपनी देर होने को उपभोक्ता फ़ोरम के सामने पहली सुनवाई में इंकार करने का आधार नहीं बना सकती : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा कंपनी पहली ही बार इंकार करने के लिए देरी को आधार नहीं बना सकता अगर उसने सूचनार्थ भेजे गए पत्र में इंकार को विशेष रूप से आधार बनाने की बात नहीं कही है। सौराष्ट्र केमिकल्ज़ लिमिटेड बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दो मामलों पर ग़ौर करना था। पहला, प्रतिवादी बीमाकर्ता ने सर्वेयर की नियुक्ति कर सूचना देने और दावे का दावा करने में में देरी को माफ़ करने की बात कही थी कि नहीं। दूसरा, सूचना संबंधित पत्र में देरी के बारे में किसी भी तरह का ज़िक्र नहीं करना जो कि पॉलिसी की आम शर्तों में से क्लाज़ 6(i) का उल्लंघन है, क्या इसे एनसीडीआरसी के समक्ष अपने बचाव के रूप में पेश कर सकती है।

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    मध्यस्थता निर्णयों और अस्‍पष्ट निर्णयों में कारणों की अपर्याप्तता, एससी ने की अंतर की व्याख्या

    सुप्रीम कोर्ट हाल ही में दिए एक फैसले में न्यायालयों द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के तहत दिए निर्णय में कारणों की अपर्याप्तता और अस्पष्ट निर्णय के बीच अंतर पर प्रकाश डाला। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आमतौर पर अबोधगम्य निर्णयों को रद्द नहीं किया जाना चाहिए, जबकि कारणों की अपर्याप्तता को चुनौती हो, उन पर तर्क की विशिष्टता के आधार पर फैसला किया जाना चाहिए, जो कि विचार के लिए आए मुद्दों की प्रकृति के संबंध में अपेक्षित हो।

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    किरायेदार द्वारा चुनौती देने पर मकान मालिक को अपना व्युत्पन्न स्वामित्व साबित करना आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हालांकि एक मकान मालिक-किरायेदार के मुकदमे में मकान मालिक को संपत्ति पर अपना स्वामित्व साबित करने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन जब संपत्ति पर उसके व्युत्पन्न स्वामित्व को चुनौती दी जाती है तो उसे किसी न किसी रूप में उसे साबित करना होगा।

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    ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी : सुप्रीम कोर्ट का बैंक को निर्देश, स्कूल को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाए

    डीएवी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल ने इंडियन बैंक के ख़िलाफ़ उपभोक्ता मंच में शिकायत की थी। स्कूल ने कहा था कि स्कूल के बैंक खाते को स्कूल के प्रिंसिपल के ग्राहक सूचना फ़ाइल (सीआईएफ) से जोड़ दिया गया था जबकि इस खाते के लिए नेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इस वजह से स्कूल के खाते से ₹30 लाख फ़र्ज़ी तरीक़े से निकाल लिए गए।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पुरानी पड़ चुकी और बिना मतलब की घटनाएं हिरासत के आदेश का आधार नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुरानी पड़ चुकी और बिना मतलब की घटनाएं हिरासत के आदेश का आधार नहीं हो सकती हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने मद्य तस्करी, डकैती, ड्रग-अपराधियों, गुंडों, मानवी तस्करी, भूमि कब्जेदारों, नकली बीज बेचने के अपराधियों, कीटनाशक अपराधियों, उर्वरक अपराधियों, खाद्य अपमिश्रण अपराधियों, नकली दस्तावेज बनाने के अपराधियों, अनुसूचित वस्तुओं के अपराधियों, वन अपराधियों, गेमिंग अपराधियों , यौन अपराधियों , विस्फोटक पदार्थ रखने के अपराधियों , हथियार अपराधियों , साइबर अपराध अपराधियों, सफेदपोश अपराध‌ियों की रोकथाम के लिए बने तेलंगाना प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटीज़ की धारा तीन और वित्तीय अपराधी अधिनियम 1961 के तहत खाजा बिलाल अहमद की हिरासत रद्द करते हुए ये टिप्‍पणी की। सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें हिरासत के आदेश को चुनौती दी गई थी.

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    (धारा 304बी आईपीसी) वित्तीय सहायता मांगना भी दहेज की मांग में शामिल: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वित्तीय सहायता मांगना भी 'दहेज की मांग' में शामिल हो सकता है। दहेज हत्या के मामले से संबंधित एक आपराधिक अपील में अभियुक्त ने दलील दी थी कि उसके अपनी क्लिनिक के विस्तार के लिए पैसा मांगा था न कि दहेज के रूप में। अप्‍पासाहेब व एएनआर बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र (2007) 9 एससीसी 721 के फैसले पर भरोसा जताते हुए, यह कहा गया कि कुछ वित्तीय आवश्यकताओं के कारण या कुछ जरूरी घरेलू खर्चों को पूरा करने के लिए या खाद खरीदने के लिए पैसे की मांग को दहेज की मांग नहीं कहा जा सकता है।

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    वैधानिक नियमों के गलत इस्तेमाल और उसमें भेदभावों के आरोप हों तो किसी उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया को चुनौती देने से नहीं रोका जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

    सेवा कानून को लेकर एक उल्लेखनीय निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि जब उसमें "वैधानिक नियमों के गलत इस्तेमाल और उसमें उत्पन्न होने वाले भेदभावों" के आरोप हों तो किसी उम्मीदवार को इसमें भाग लेने के आधार पर चयन प्रक्रिया को चुनौती देने से नहीं रोका जाएगा। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने एक याचिका को स्वीकार किया जाए या नहीं इस बारे में ग़ौर करते हुए यह कहा। यह अपील बिहार में सामान्य चिकित्सा अधिकारी की चयन प्रक्रिया से संबंधित थी। अपीलकर्ता डॉ. मेजर मीता सहाय, चयन प्रक्रिया में 'वेटेज' की गणना के लिए सेना अस्पताल में अपने अनुभव पर विचार न करने से व्यथित थे। सरकार ने यह स्टैंड लिया कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में काम के अनुभव को ही महत्व दिया जाएगा।

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    एमिकस- मृत्यदंड या उम्रकैद के दंडनीय अपराध के मुकदमे में अभियुक्त की पैरवी करने के लिए वकील को 10 वर्ष की प्रैक्टिस का अनुभव आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर आपराधिक मामलों में अभियुक्तों के बचाव के लिए एमिकस क्यूरी की नियुक्ति के मामले में दिशानिर्देश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने एक बलात्कार और हत्या के आरोपी (जिसके खिलाफ चल ट्रायल को 13 दिनों के भीतर निपटा दिया गया था) को दी गई मृत्युदंड की सजा को रद्द करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी को न तो बुनियादी दस्तावेजों को देखने का पर्याप्त समय मिला, न ही आरोपी के साथ किसी चर्चा या बातचीत का मौका मिला और न ही मामले को पूरी तरह समझने का समय मिला।

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    उत्तर प्रदेश में 64 हज़ार पेड़ों को काटने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किए

    अगले साल के डिफेंस एक्सपो के दौरान अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में गोमती नदी के किनारे लगभग 64,000 पेड़ों को काटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। एडवोकेट प्रशांत पद्मनाभन के माध्यम से शीला बरसे द्वारा दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32, 14, 19, 21 और 48 ए के तहत संरक्षण के लिए पेड़ों को "लिविंग एंटिटीज" के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया गया था। इसमें कहा गया है कि पेड़ों की "बेमौसम" कटाई अंतरजनपदीय इक्विटी के खिलाफ है और न केवल मनुष्यों बल्कि पेड़ों सहित अन्य जीवित प्राणियों के जीवन और अस्तित्व के अधिकार के खिलाफ है।

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    अनुच्छेद 142 का प्रयोग मृतप्राय हो चुके विवाहों को खत्म करने के लिए किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

    कहते है कि शादियां स्वर्ग में तय हो जाती हैं, मगर धरती पर वो टूट गई हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्‍पणी एक शादी को खत्म करते हुए कि जिसमें समझौते की उम्‍मीद खत्म हो गई थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 को विवाह के उन मामलों को भंग करने प्रयोग किया जा सकता है, जहां विवाह एक मृतप्राय चुका हो। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले में एक पत्नी ने अपील की थी, जो तलाक न दिए जाने से दुखी थी। यह दंपति मुश्किल से ढाई महीने तक एक साथ रहा था। 2003 से वे एक दूसरे से अलग रह रहे थे और तलाक का मुकदमा दायर कर रखा था। पत्नी ने पति के खिलाफ विवाहेतर संबंध के आरोप लगाया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।

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    13 दिन के ट्रायल में मौत की सज़ा पाने वाले आरोपी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जल्दी केस निपटारे का परिणाम ऐसा न हो कि न्याय दफ़्न हो जाए

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे का परिणाम कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए कि यह न्याय के दफ्न होने का कारण बन जाए। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने बलात्कार और हत्या के एक आरोपी की मौत की सज़ा के फैसले को रद्द कर दिया। इस आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने तेरह दिनों के भीतर सुनवाई पूरी करके मौत की सज़ा सुनाई थी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, डॉक्टर की लापरवाही के लिए अस्पताल भी जिम्‍मेदार

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डॉक्टरो द्वारा ईलाज में बरती गई लापरवाही के लिए अस्पताल भी स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है। जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने एनसीडीआरसी के आदेश को बरकरार रखते हुए, जिसमें डॉक्टरों द्वारा ईलाज में बरती गई लापरवाही के लिए अस्पताल को स्पष्ट रूप से जिम्मेदार माना गया था, ये टिप्‍पणी की। मामले में डॉक्टरों ने कथित रूप से एक प्री-टर्म बेबी के रेटिनोपैथी की अनिवार्य नहीं की, जिसके कारण वो अंधा हो गया। (महाराजा अग्रसेन अस्पताल बनाम मास्टर ऋषभ शर्मा)

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    निर्भया मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की

    जस्टिस आर बानुमथी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बुधवार को निर्भया गैंग रेप-मर्डर मामले में अंतिम लंबित पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, जिसे अक्षय कुमार सिंह ने दायर किया था। इस मामले में चार दोषियों को मौत की सजा हुई थी। फैसला पढ़ते हुए न्यायमूर्ति बानुमथी ने कहा, "हमने हर आधार पर विचार किया है। याचिकाकर्ता ने सबूतों को स्वीकार करने की मांग की है। इन आधारों पर पहले विचार किया गया है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इन सभी का परीक्षण न्यायालय, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में किया जा चुका है।"

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    अपनी नवजात बच्ची की हत्या करने की आरोपी मां को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया, पढ़ें फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नवजात बच्ची की गला दबाकर हत्या करने के आरोपी एक महिला को बरी कर दिया है। ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन के मामले को बरकरार रखा था कि मंजू ने अपने नवजात जन्मे बच्चे की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वह एक लड़की थी। उच्च न्यायालय ने धारा 302 आईपीसी और सजा के तहत सजा की पुष्टि की थी। मंजू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने नवजात बच्ची का गला इसलिए घोंट दिया क्योंकि वह लड़की है। अभियोजन पक्ष का गवाह, महिला का पति, जो बाद में अपने बयान से पलट गया जिसमें उसने कहा था कि उनके पास पहले से ही एक बच्चा (लड़का) है, वे परिवार को पूरा करने के लिए एक लड़की चाहते थे।

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    सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 पर दाखिल सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किये

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया। हालांकि बेंच ने मामलों के निपटारे तक अधिनियम के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सीजेआई बोबडे और जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने केंद्र से जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

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