फ़ैमिली कोर्ट के जजों के लिए जेंडर सेंसिटिविटी पर दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन
इलाहाबाद हाईकोर्ट की फ़ैमिली कोर्ट मामलों की संवेदनशीलता समिति द्वारा 12 और 13 जुलाई, 2025 को गौतम बुद्ध नगर क्लस्टर के पारिवारिक न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के लिए दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप का विषय था “लैंगिक संवेदनशीलता ()”, जिसका उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों को लिंग से जुड़ी पूर्वाग्रहों को पहचानने, समझने और निष्पक्ष न्याय प्रदान करने में उनकी भूमिका को संवेदनशील बनाना था।
इस वर्कशॉपका उद्घाटन जस्टिस श्रीमती संगीता चंद्रा, इलाहाबाद हाईकोर्ट एवं अध्यक्ष, फ़ैमिली कोर्ट मामलों की संवेदनशीलता समिति ने किया। उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्य में लिंग मुद्दों के प्रति जागरूकता और सम्मान आवश्यक है, ताकि सामाजिक भेदभाव को समाप्त कर न्याय में समानता सुनिश्चित की जा सके।
जस्टिस सिद्धार्थ, इलाहाबाद हाईकोर्ट, बुलंदशहर ने कहा कि “Gender” और “Sex” के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है, ताकि पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर न्यायिक दृष्टिकोण में बदलाव लाया जा सके।
समापन सत्र में जस्टिस जसप्रीत सिंह ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं न्यायाधीशों की सोच, दृष्टिकोण और न्यायिक व्यवहार को संवेदनशील बनाने में सहायक होती हैं। उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक “Men Are From Mars, Women Are From Venus” का संदर्भ देते हुए कहा कि जेंडर की समझ हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों में परिलक्षित होनी चाहिए।
वर्कशॉप में प्रोफेसर रैली मिश्रा (लखनऊ विश्वविद्यालय) के नेतृत्व में जेंडर स्टडीज़ विशेषज्ञों, न्यायाधीशों और अन्य वक्ताओं ने सहभागियों को 'जेंडर इक्विटी' और 'जेंडर इक्वैलिटी' के बीच फर्क समझाया। वर्कशॉप में संवादात्मक एवं व्यावहारिक सत्रों के माध्यम से लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को चुनौती देने पर ज़ोर दिया गया।
वर्कशॉप का संचालन प्रो. डॉ. सोलोनी राय चतुर्वेदी और डॉ. प्रशांत शुक्ला द्वारा किया गया। मीडिया केस स्टडीज़ और न्यायिक दृष्टांतों (case laws) के माध्यम से जेंडर सेंसिटिव जजमेंट की बारीकियों पर भी चर्चा हुई।
इस अवसर पर कई ज़िलों के फ़ैमिली कोर्ट के न्यायिक अधिकारी—गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, मेरठ, हापुड़, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा आदि से आए अधिकारियों ने भाग लिया।