त्रिपुरा हाईकोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए आरोपी को इस आधार पर जमानत दी कि आरोपी का HIV पॉजिटिव टेस्ट किया गया।
आरोपी को NDPS Act की धारा 20(बी)(ii)(सी), 21(सी), 25 और 29 के तहत गिरफ्तार किया गया। न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान आरोपी HIV पॉजिटिव पाया गया। फिर उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया।
राज्य ने दावा किया कि आरोपी पर उपचार का अच्छा असर हो रहा है और उसकी हालत अच्छी है। NDPS Act की धारा 37 की कठोरता को देखते हुए जमानत का विरोध किया। NDPS Act की धारा 37 में प्रावधान है कि आरोपी को अधिनियम के तहत तभी जमानत दी जा सकती है, जब सरकारी वकील को जमानत आवेदन का विरोध करने का अवसर दिया गया हो तथा न्यायालय को यह विश्वास हो कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी कथित अपराध करने का दोषी नहीं है।
जस्टिस अरिंदम लोध की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि NDPS Act की धारा 37 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए भी आरोपी को HIV पॉजिटिव पाए जाने के कारण जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। इसने कहा कि जेल अधिकारियों ने दावा किया कि आरोपी को पर्याप्त उपचार दिया जाएगा।
न्यायालय ने टिप्पणी की,
“अपने अनुकूल वातावरण में पूरे सम्मान के साथ जीवन जीने का हकदार है। कहने की जरूरत नहीं है कि जेल में यह संभव नहीं है।”
इसने यह भी कहा कि इस बात की उचित मान्यता है कि HIV से पीड़ित होने के कारण आरोपी भविष्य में प्रतिबंधित वस्तुओं के व्यापार में शामिल नहीं होगा।
अदालत ने इस प्रकार एक लाख रुपये का बांड भरने के बाद आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया।
केस टाइटल- अर्चना दास सरकार बनाम त्रिपुरा राज्य (बीए 35 ऑफ 2024)