क्या NDPS Act के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित सैंपल को मिलाना जब्ती को प्रभावित करेगा? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच
सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक सब्सटेंस एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन करते हुए अलग-अलग पैकेजों में रखे प्रतिबंधित पदार्थों से लिए गए सैंपल को मिलाने के प्रभाव की जांच करने का फैसला किया।
यह मुद्दा केरल राज्य द्वारा NDPS Act में आरोपी को जमानत देने के केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका में उठा। तथ्य यह है कि विभिन्न पैकेजों में रखे प्रतिबंधित पदार्थों के सैंपल को पता लगाने वाले अधिकारी ने मिला दिया, जिसके कारण हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह राय बनाई कि आरोपी के खिलाफ आरोप कायम नहीं रहेंगे।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सैंपल लेने के संबंध में NDPS Act और NDPS (जब्ती, भंडारण, नमूनाकरण और निपटान) नियम, 2022 के प्रावधान अनिवार्य हैं और उनका उल्लंघन जब्ती को प्रभावित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर फिर से विचार करने पर सहमति जताई और राज्य की याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा,
"आक्षेपित निर्णय में वर्णित कानूनी प्रस्ताव और अनुपात को देखते हुए हम नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक हैं।"
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी कानूनी सहायता वकील को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होगा, क्योंकि कानूनी मुद्दों की जांच की जा रही है। न्यायालय ने कानूनी मुद्दों पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की सहायता का भी अनुरोध किया।
मामले को अगली बार 11 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया गया।
हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया?
जस्टिस सीएस डायस द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि जांच अधिकारी के लिए जब्त किए गए पदार्थों की सूची तैयार करना अनिवार्य है, जिसमें उनके विवरण, गुणवत्ता, मात्रा, पैकिंग के तरीके, चिह्नों, संख्याओं या ऐसे अन्य पहचान संबंधी विवरण से संबंधित सभी विवरण शामिल हों। फिर मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करें कि वह मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में ऐसे प्रतिबंधित पदार्थों के प्रतिनिधि सैंपल लेने की अनुमति दे, जिससे तैयार की गई सूची की सत्यता को प्रमाणित किया जा सके।
न्यायालय ने कहा,
"यदि प्रतिबंधित पदार्थ पैकेज या कंटेनर में पाया जाता है तो ऐसे पैकेज/कंटेनरों का अलग से वजन किया जाएगा और पहचान के उद्देश्य से क्रमिक रूप से क्रमांकित किया जाएगा तथा जब्त किए गए प्रत्येक पैकेज/कंटेनर से एक सैंपल दो प्रतियों में, लिया जाएगा।"
निर्णय में NDPS Act की धारा 52ए, NDPS (जब्ती, भंडारण, नमूनाकरण और निपटान) नियम 2022 के नियम 3 और 10 तथा मांगीलाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य | 2023 लाइवलॉ (एससी) 549, सिमरनजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य 2023 लाइवलॉ (एससी) 570, यूसुफ @ आसिफ बनाम राज्य 2023 लाइवलॉ (एससी) 890 जैसे सुप्रीम कोर्ट के कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया।
न्यायालय ने उल्लेख किया कि इस मामले में डिटेक्टिंग अधिकारी द्वारा आरोपी 1 और 2 के शवों से दो अलग-अलग लिफाफों में प्रतिबंधित पदार्थ को अलग-अलग जब्त किया गया। इसके बाद उन्होंने मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना प्रतिबंधित पदार्थ को मिलाया और दोनों कवरों से प्रतिनिधि नमूने निकाले बिना उन्हें एक कवर में डाल दिया। यह वह सैंपल था, जिसे एक कवर से लिया गया, जिसे कानून के पूर्ण उल्लंघन में रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजा गया।
न्यायालय ने कहा,
"जब वैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाना अनिवार्य है तो पता लगाने वाले अधिकारी का कर्तव्य है कि वह निर्धारित प्रक्रिया का पालन करे। कोई भी व्यक्ति अटकलों और अनुमानों के आधार पर पदार्थ की प्रकृति का अनुमान नहीं लगा सकता है।"
केस टाइटल: केरल राज्य बनाम वैसाख | विशेष अनुमति के लिए याचिका (सीआरएल.) नंबर 8556/2024