SSC द्वारा की गई लगभग 24 हजार नियुक्तियों को रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पश्चिम बंगाल सरकार

Update: 2024-04-24 08:42 GMT

पश्चिम बंगाल राज्य ने 2016 SSC भर्ती प्रक्रिया के परिणामस्वरूप भरी गई लगभग 24,000 टीचिंग और नॉन-टीचिंग नौकरियों को अमान्य करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल को सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में इन नौकरियों को अमान्य कर दिया। कुख्यात कैश-फॉर-जॉब भर्ती घोटाले के कारण नौकरियाँ संदेह के घेरे में आ गईं।

राज्य ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने वैध नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों से अलग करने के बजाय, गलती से 2016 की चयन प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द कर दिया। यह भी अनुमान लगाया गया कि इससे राज्य के लगभग 23,000 टीचिंग और नॉन-टीचिंग कर्मचारी प्रभावित होंगे।

यह भी दलील दी गई कि हाईकोर्ट ने हलफनामों के समर्थन के बिना केवल मौखिक तर्कों पर भरोसा किया। इसके आधार पर, राज्य ने अपना तर्क रखा कि हाईकोर्ट ने सरसरी तौर पर कार्यवाही की। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य की पूरी तरह से उपेक्षा करते हुए काम किया कि जब तक नई चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक राज्य के स्कूलों में एक बड़ा शून्य पैदा हो जाएगा। राज्य ने इस बात पर जोर दिया कि नया शैक्षणिक सत्र नजदीक आने को देखते हुए इसका स्टूडेंट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

राज्य ने इस आधार पर भी विवादित आदेश की आलोचना की कि उसने SSC को स्कूलों में कर्मचारियों की कमी के मुद्दे को स्वीकार किए बिना आगामी चुनाव परिणामों के दो सप्ताह के भीतर घोषित रिक्तियों के लिए नई चयन प्रक्रिया आयोजित करने का आदेश दिया।

विवादित आदेश का संक्षिप्त विवरण

280 से अधिक पृष्ठों के विस्तृत आदेश में जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने ओएमआर शीट में अनियमितता पाए जाने पर 2016 SSC भर्ती का पूरा पैनल रद्द कर दिया और राज्य को इसके लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया।

इतना ही नहीं, बल्कि न्यायालय ने फर्जी तरीके से नियुक्त किये गये लोगों को उनके द्वारा लिया गया वेतन लौटाने का भी निर्देश दिया।

न्यायालय ने पाया कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया से शुरू होने वाली भर्ती का पूरा पैनल ओएमआर शीट के साथ अनियमितताओं के कारण दागी हो गया, जिनमें से कई खाली पाए गए थे और रद्द किए जाने योग्य थे।

कोर्ट ने यह भी पाया कि जिन लोगों की नियुक्तियों को चुनौती दी गई, उनमें से कई को 2016 की भर्ती के लिए पैनल समाप्त होने के बाद खाली ओएमआर शीट जमा करके नियुक्त किया गया।

उपरोक्त प्रक्षेपण के मद्देनजर, न्यायालय ने धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों की जांच का भी निर्देश दिया और पूरे 2016 एसएससी भर्ती पैनल रद्द करके याचिकाओं का निपटारा किया।

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