वोटिंग पर्चियों में भगवान अयप्पा की तस्वीरों का इस्तेमाल | सुप्रीम कोर्ट ने के बाबू के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा

Update: 2024-02-13 04:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने (12 फरवरी को) सीपीआई (एम) नेता एम स्वराज द्वारा 2021 के विधानसभा चुनावों में थ्रिपुनिथुरा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक के बाबू के चुनाव को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत सुनवाई योग्य माना।

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस पी.वी. संजय कुमार,

"...एक बार जब हाईकोर्ट ने राय दी कि 1951 के अधिनियम (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 123(3) के तहत सुनवाई योग्यता मुद्दा बनता है तो हमें इसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिलता।"

2021 के विधानसभा चुनाव में बाबू से हारने वाली स्वराज ने बाबू के चुनाव को अमान्य घोषित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बाबू के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने धर्म के आधार पर हिंदू मतदाताओं से अपील करके भ्रष्ट आचरण का इस्तेमाल किया, जिससे चुनाव के परिणाम पर असर पड़ा।

इसका विरोध करते हुए बाबू ने कुछ प्रारंभिक आपत्तियां उठाते हुए हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की। हालांकि, हाईकोर्ट ने बाबू के खिलाफ चुनाव की मुख्य याचिका की सुनवाई आगे बढ़ाने का फैसला किया। इसके खिलाफ बाबू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

डिवीजन बेंच ने अपीलकर्ता और उसके चुनाव एजेंटों द्वारा वितरित पर्चियों के संबंध में हाईकोर्ट के निष्कर्षों पर ध्यान दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें भगवान अयप्पा की तस्वीर को दर्शाया गया और अपीलकर्ता को वोट देने की अपील की गई।

यह भी देखा गया कि अपीलकर्ता द्वारा दिए गए कथित बयान वास्तव में भ्रष्ट आचरण के समान नहीं हैं। हालांकि, चुनाव में लाभ पाने के लिए धार्मिक प्रतीकों का उपयोग करने का आरोप अधिनियम के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने समझाया,

"इसके बाद न्यायाधीश ने प्रथम दृष्टया राय दी कि अपीलकर्ता द्वारा और उसकी ओर से वितरित पर्चियों में भगवान अयप्पा की तस्वीर का उपयोग 1951 के अधिनियम की धारा 123 (3) के तहत भ्रष्ट आचरण है और चुनाव याचिका इस पहलू के संबंध में मुकदमा चलाने योग्य है।''

केस टाइटल: के. बाबू वी. एम. स्वराज, एसएलपी (सी) नंबर 15320/2023

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