केंद्र और त्रिपुरा सरकार ने असम राइफल्स भूमि पर विवाद सुलझाया; सुप्रीम कोर्ट ने मुक़दमे का निपटारा किया
भारत संघ और त्रिपुरा राज्य के बीच भूमि विवाद (असम राइफल्स ग्राउंड) में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि पक्षकारों के बीच समझौता हो गया।
तदनुसार, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने मामले का निपटारा किया।
भूमि असम राइफल्स के कब्जे में है। गौरतलब है कि असम राइफल्स भारत संघ के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है। हालांकि, इस भूमि से संबंधित राजस्व प्रविष्टियों को त्रिपुरा के राजस्व विभाग द्वारा सही किया गया और "त्रिपुरा सरकार" के रूप में दर्ज किया गया।
नतीजतन, संघ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मूल मुकदमा दायर करके सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अन्य बातों के अलावा, सूट भूमि का स्वामित्व लेने से त्रिपुरा राज्य के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई।
संघ का रुख है कि 'त्रिपुरा राइफल्स' की जमीन वर्ष 1951 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए 'असम राइफल्स' को दे दी गई। इस प्रकार, अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण में कार्य करने वाले राज्य अधिकारियों के पास राजस्व प्रविष्टियों को बदलने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
इसके विपरीत, त्रिपुरा ने तर्क दिया कि राजस्व प्रविष्टियों को सही करना वैधानिक शक्ति के अंतर्गत है। इसके अलावा, इसने मुकदमे की रख-रखाव पर भी सवाल उठाया। राज्य ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत भूमि विवाद का फैसला नहीं किया जा सकता।
बहरहाल, अब दोनों पक्षकारों के बीच समझौता हो गया। इस समझौते की शर्तों के अनुसार, त्रिपुरा सरकार को इस मैदान पर औपचारिक समारोह (गणतंत्र दिवस परेड, स्वतंत्रता दिवस समारोह, आदि) और अन्य महत्वपूर्ण समारोह/कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार को अनुरोध करना होगा।
इसके अलावा, असम राइफल्स के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में आवश्यक सुधार तीन महीने के भीतर करना होगा।
इस प्रकार, पक्षकारों के बीच इस समझौते को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे का निपटारा किया।
केस टाइटल: भारत संघ बनाम त्रिपुरा राज्य, डायरी नंबर- 11922 - 2015