सरकारी कर्मचारी का ट्रांसफर सिर्फ इसलिए गलत नहीं, कि यह विधायक के कहने पर जारी किया गया: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-03-14 07:20 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 मार्च) को कहा कि किसी भी वैधानिक प्रावधान के उल्लंघन के बिना ट्रांसफर योग्य पद पर बैठे राज्य कर्मचारी के कहने पर स्थानांतरण के आदेश में अदालत द्वारा हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के निष्कर्षों को पलटते हुए जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के निष्कर्षों को बहाल करते हुए कहा कि राज्य कर्मचारी का ट्रांसफर आदेश एक सार्वजनिक प्रतिनिधि जैसे विधानसभा के सदस्य (एमएलए) के कहने पर जनहित में जारी किया गया। तब तक ट्रांसफर आदेश स्वयं ख़राब नहीं होगा, जब तक कि स्थानांतरण का ऐसा आदेश दुर्भावनापूर्ण न हो या वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन न करता हो।

जस्टिस जे.के. माहेश्वरी द्वारा लिखित फैसले में उपरोक्त टिप्पणी कि मिस्टर पुरी लोम्बी/अपीलकर्ता द्वारा दायर सिविल अपील पर फैसला करते समय आई, जो गुवाहाटी हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले से व्यथित था, जिसके तहत हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश में हस्तक्षेप करते हुए विधायक ने जनहित में अपीलार्थी को पूर्व ट्रांसफर स्थान पर बहाल करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: मिस्टर पुबी लोम्बी बनाम अरुणाचल प्रदेश राज्य

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