सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात एपीएमसी द्वारा कृषि बाजार यार्ड के लिए बनाई गई जमीन पर 5-सितारा होटल की अनुमति देने पर हैरानी जताई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 अप्रैल) को गुजरात हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी), सूरत को 5 सितारा होटल के निर्माण और संचालन के लिए कथित रूप से दुरुपयोग की गई भूमि की नीलामी करने का निर्देश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला बाजार यार्ड बनाने के लिए आवंटित भूमि का उपयोग करने के लिए ऐसी नीलामी का निर्देश देने में हाईकोर्ट सही है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ एपीएमसी और होटल शिल्पी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एसएलपी के बैच में दायर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई कर रही थी।
सीजेआई ने पूछा,
"कृषि उपज बाजार समिति कृषि उत्पादों के लिए बाजार यार्ड बनाने के लिए बनी जमीन पर पांच सितारा होटल का निर्माण कैसे कर सकती है?"
सीजेआई ने कहा,
"भगवान का शुक्र है! हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया! यह एक घोटाला है... सरकार इसमें इच्छुक भागीदार हो सकती है।"
यह मामला एपीएमसी के पदाधिकारियों द्वारा सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग पर गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका से संबंधित है। जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं का मामला है कि एपीएमसी ने जिला-सूरत में एक प्रमुख बाजार यार्ड के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई भूमि के एक टुकड़े पर एक फाइव स्टार होटल के निर्माण में 98 करोड़ रुपये के 'मार्केट कमेटी फंड' का गलत इस्तेमाल किया। होटल का निर्माण 2013-14 में किया गया और इसे निजी व्यक्ति, होटल शिल्पी प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दिया गया। यह तर्क दिया गया कि ऑडिटर की रिपोर्ट में धन के दुरुपयोग का ऐसा मामला सामने आया था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि होटल परियोजना के लिए सार्वजनिक धन के आवंटन के लिए मार्केट कमेटी द्वारा कोई मंजूरी नहीं ली गई।
गुजरात हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी माई की खंडपीठ ने 27 मार्च को निर्देश दिया कि (1) गुजरात राज्य के कृषि विपणन और ग्रामीण वित्त निदेशक द्वारा बाजार समिति के मामलों की विस्तृत जांच की जाए; (2) पांच सितारा होटल चलाने के लिए होटल शिल्पी प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में लीज डीड रद्द करना; (3) सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण सहयोग विभाग द्वारा प्रश्नगत भूमि का तत्काल कब्जा लिया जायेगा तथा (4) प्रश्नगत भूमि, होटल भवन सहित 14000 वर्ग मीटर की सार्वजनिक नीलामी द्वारा नीलाम की जाएगी। प्राप्त राशि को राज्य और बाज़ार समिति के बीच विभाजित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलीलें
एपीएमसी की ओर से पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और अमर दवे, अंकुर सहगल और एओआर अभिनव अग्रवाल ने तर्क दिया कि संबंधित भूमि पर होटल और 'कृषि बाजार' का निर्माण सभी पूर्व अनुमोदन और अनुमति के साथ किया गया।
इसके अलावा, उनके लिखित प्रस्तुतीकरण के अनुसार, यह तर्क दिया गया कि उक्त निर्माण कृषि विपणन बोर्ड के माध्यम से 'टर्मिनल मार्केट कॉम्प्लेक्स' की स्थापना के लिए परिचालन दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया, जैसा कि कृषि मंत्रालय, कृषि विभाग द्वारा सहयोग किया गया। उक्त दिशानिर्देश प्रदान करते हैं कि "... परियोजना को सड़क, जल आपूर्ति, जल निकासी, और ग्रिड पावर कनेक्शन और बैकअप, पेट्रोल पंप, बैंकिंग और डाक सेवाएं, कैंटीन और टॉयलेट, ट्रक पार्किंग के लिए क्षेत्र जैसे समर्थन बुनियादी ढांचे के लिए भी प्रदान करना चाहिए, ईटीपी सिस्टम और सार्वजनिक सुविधाएं आदि"। इस प्रकार होटल और कृषि बाज़ार की इमारत टर्मिनल मार्केट परियोजना का अभिन्न अंग है।
होटल शिल्पी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सीनियर एडवोकेट निधेश गुप्ता ने प्रति व्यक्ति भूमि और भवन की नीलामी के निर्देशों को चुनौती दी। पट्टाधारक का तर्क है कि उन्होंने 2013 में ही पट्टा समझौते के तहत सुरक्षित जमा राशि के रूप में एपीएमसी को 5 करोड़ से अधिक का भुगतान किया। उन्होंने तर्क दिया कि नीलामी से प्राप्त राशि को केवल राज्य सरकार और बाजार समिति के बीच विभाजित करने से होटल शिल्पी द्वारा किए गए वित्तीय निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए सीजेआई ने टिप्पणी की,
"गुजरात की चीफ जस्टिस, उन्होंने यह सही किया।"
पीठ ने एपीएमसी द्वारा दायर एसएलपी खारिज करते हुए पट्टेदार को उचित समाधान के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी और पट्टेदार द्वारा दायर एसएलपी को वापस लेने की अनुमति दी।
केस टाइटल: कृषि उपज बाजार समिति, सूरत बनाम गुजरात राज्य एसएलपी (सी) नंबर 008250 - 008251/2024 और अन्य संबंधित मामले