सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के कालेसर वन्यजीव अभयारण्य में 4 बांधों के निर्माण पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट के मद्देनजर हरियाणा के कालेसर वन्यजीव अभयारण्य में चार बांधों के निर्माण पर रोक लगाई। रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उनके निर्माण से वन्यजीव आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
डब्ल्यूआईआई ने पाया कि हरियाणा के कालेसर वन्यजीव अभयारण्य में चार बांधों- चिकन बांध, कांसली बांध, अंबावली बांध और खिल्लनवाला का निर्माण "न केवल वन्य जीवन की आबादी के लिए बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी निर्धारक होगा।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन बांधों के इच्छित उद्देश्य हासिल होने की संभावना नहीं है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और मुख्य वन्यजीव वार्डन ने दिनांक 01.08.2019 को संचार में डब्ल्यूआईआई की राय से सहमति व्यक्त की।
इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चला कि प्रस्तावित बांधों के पास वन विभाग द्वारा पहले आठ मिट्टी के बांध बनाए गए। इन बांधों का उपयोग क्षेत्र की अधिकांश स्तनधारी प्रजातियों द्वारा नियमित रूप से किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रस्तावित बांधों के निर्माण से मानसून के दौरान मिट्टी के बांधों की प्राकृतिक जल भंडारण क्षमता बदल जाएगी।
इन पहलुओं पर विचार करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया, जो 24.07.2024 को वापस करने योग्य है।
खंडपीठ ने आदेश दिया,
''अगले आदेश तक हम निर्देश देते हैं कि प्रस्तावित बांधों के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।''
खंडपीठ टी एन गोदावर्मन थिरुमलपाद मामले पर विचार कर रही थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट देश भर में वन और वन्य जीवन से संबंधित मुद्दों की निगरानी कर रहा है।