सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट कंपनी के लिए ठेका हासिल करने पर हिमाचल प्रदेश हाउसिंग पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

Update: 2024-04-04 04:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शिमला में वाणिज्यिक परिसर के निर्माण के लिए हाईकोर्ट को धोखा देकर निविदा हासिल करने के लिए निजी कंपनी के साथ मिलीभगत करने के लिए हिमाचल प्रदेश आवास और शहरी विकास प्राधिकरण (हिमुडा) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि हिमुडा ने 13 वर्ष की निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को कवर करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करके निजी संस्था के साथ मिलकर हाईकोर्ट को धोखा दिया। हिमुडा के अधिकारी किसी भी तरह से अदालत के आदेश की आड़ में अनुबंध प्राप्त करने के लिए निजी संस्था/प्रतिवादी नंबर 2 को लाभ पहुंचा रहे हैं।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी द्वारा लिखित फैसले में कहा गया,

“हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि प्रतिवादी नं. 1 (हिमुडा) ने प्रतिवादी नंबर 2 (वासु कंस्ट्रक्शन) के साथ मिलीभगत की। हाईकोर्ट ने इसकी अनदेखी की और प्रतिवादी नंबर 1 के अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेश की आड़ में किसी भी तरह से प्रतिवादी नंबर 2 को अनुबंध देने के लिए निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को कवर करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।''

अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया, जिसने प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन को अनुबंध को मंजूरी दे दी, क्योंकि हाईकोर्ट का आदेश बिना सोचे समझे और स्वतंत्र समिति द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों को दरकिनार करने के लिए कोई ठोस कारण बताए बिना पारित किया गया था।

अदालत ने कहा,

“यह हमारे लिए आश्चर्य की बात है कि हाईकोर्ट भी प्रतिवादियों 1 और 2 के गलत इरादे पर ध्यान नहीं दे सका। उसने स्वतंत्र समिति की रिपोर्टों और एकल पीठ द्वारा दिनांक 08.01.2021 के आदेश में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं के संबंध में की गई टिप्पणियों को नजरअंदाज करते हुए प्रतिवादी नंबर 1 (हिमुडा) के अधिकारी को मूल निविदा के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।''

अदालत ने कहा,

"चूंकि, हमने पाया कि प्रतिवादी नंबर 1 हिमुडा, हालांकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ में 'राज्य' है, ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से और प्रतिवादी नंबर 2 के साथ मिलीभगत करके काम किया। इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वर्तमान अपील भारी जुर्माने के साथ खारिज होने योग्य है।"

इस प्रकार, अदालत ने हिमुडा को फैसले की तारीख से दो सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के साथ 5 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि हिमुडा कानून के अनुसार और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद नई निविदा प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्वतंत्र होगा।

मामले की पृष्ठभूमि

दिसंबर, 2018 में हिमुडा ने शिमला में वाणिज्यिक परिसर के निर्माण के लिए वासु कंस्ट्रक्शन को आशय पत्र (एलओआई) दिया। हालांकि, प्रक्रियात्मक अनियमितताओं की शिकायतों और बाद में असफल बोलीदाताओं द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष शुरू की गई मुकदमेबाजी के कारण आशय पत्र (एलओआई) को रद्द करना पड़ा।

स्वतंत्र समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं पाए जाने के बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में निविदा प्रक्रिया को चुनौती देने वाली कार्यवाही लंबित होने के कारण फरवरी 2021 में हिमुडा ने निविदा प्रक्रिया रद्द की।

हिमुडा द्वारा निविदा प्रक्रिया रद्द करने से व्यथित प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन ने हिमुडा की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष हिमुडा ने कहा कि उसे प्रारंभिक निविदा प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है, यदि प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन उन्हीं नियमों और शर्तों पर काम निष्पादित करने के लिए तैयार था, जिन पर शुरुआत में सहमति हुई थी।

वासु कंस्ट्रक्शन को ठेका देने पर हिमुडा की अनापत्ति के आधार पर हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया। तदनुसार, हिमुडा और वासु कंस्ट्रक्शन के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।

हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।

केस टाइटल: लेवल 9 बिज़ प्राइवेट लिमिटेड बनाम हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण एवं अन्य

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