जजों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए जेल की सजा पाए वकील द्वारा मांगी गई माफी पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया

Update: 2024-01-18 06:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 जनवरी) को उस वकील द्वारा मांगी गई माफी की प्रकृति पर असंतोष व्यक्त किया, जिसे अपनी दलील के दौरान ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए हिरासत में रखा गया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील द्वारा दायर माफी का जिक्र करते हुए कहा,

“वह कहते हैं कि मैं यह गलती से कह रहा हूं.. यह माफी नहीं है.. वह कैसे कह सकते हैं कि यह पूरी न्यायपालिका के प्रति अनजाने और सद्भावनापूर्ण है।”

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हलफनामे में दायर माफी की सामग्री से नाखुश निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता (वकील) को 'माफी की गंभीर अभिव्यक्ति' करने का एक और मौका दिया जाए।

अदालत ने सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील संजीव सभरवाल की दलीलों पर भी गौर किया और दलील दी कि याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में उनके खिलाफ निराधार और लापरवाह आरोप लगाए। साथ ही वकील कन्हैया सिंघल के खिलाफ भी, जो उनकी ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुए थे।

पीठ ने याचिकाकर्ता को अपने माफीनामे में उपरोक्त पहलू पर भी विचार करने का निर्देश दिया।

अब इस मामले की सुनवाई 19 जनवरी को होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 9 जनवरी के आदेश में याचिकाकर्ता-वकील को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उसे 6 महीने की सजा और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही डिफ़ॉल्ट पर 7 दिन की कैद भुगतनी होगी।

यह मुद्दा तब उठा जब याचिकाकर्ता 60 वर्षीय वकील ने आपराधिक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील में ट्रायल जज के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। हालांकि हाईकोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं।

पिछली सुनवाई पर सीनियर एडवोकेट विभा दत्ता मखीजिया ने कहा कि वकील को जेल की सजा सुनाई गई है।

सीनियर वकील के यह कहने के बाद कि याचिकाकर्ता अब पश्चाताप महसूस कर रहा है, पीठ ने अवमाननाकर्ता को हाईकोर्ट और जिला न्यायपालिका के उन जजों के समक्ष बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया, जिनके खिलाफ उसने ऐसे आरोप लगाए।

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