सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2024-02-26 07:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (26 फरवरी) को भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता को बदलने के लिए संसद द्वारा बनाए गए नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कानून लागू नहीं हैं। साथ ही पूछा कि याचिकाकर्ता का अधिकार क्या है, जो वस्तुतः पक्षकार के रूप में उपस्थित हो रहा है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

"तीन नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने का आपका अधिकार क्या है? वे लागू भी नहीं हैं। खारिज कर दिए गए हैं।"

यह याचिका चेन्नई निवासी टी शिवज्ञानसंबंदन ने दायर की थी। विशेष रूप से, याचिका कानूनों को अधिसूचित किए जाने से बहुत पहले 6 जनवरी, 2024 को दायर की गई।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 24 फरवरी को अधिसूचित किया कि नए कानून 1 जुलाई 2024 से लागू होंगे।

कानून, अर्थात भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्रमशः भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, नए कानूनों के प्रावधान किस तारीख से प्रभावी होंगे, इसकी अधिसूचना अभी बाकी है।

ये कानून, जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त और प्रतिस्थापित करते हैं, 21 दिसंबर, 2023 को संसद द्वारा पारित किए गए थे। उन्हें 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई। हालांकि, क़ानूनों में उल्लेख किया गया कि वे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तिथि से ही लागू होंगे।

केस टाइटल- टी शिवगणनासंबंदन बनाम कानून एवं न्याय मंत्रालय डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 53/2024

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