BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की जमानत के खिलाफ ED की याचिका खारिज की, कहा- बहुत ही तर्कसंगत निर्णय

Update: 2024-07-29 07:19 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (जुलाई) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट के 28 जून के फैसले को चुनौती दी गई। उक्त फैसले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला- जिसमें प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी नहीं हैं - "बहुत ही तर्कसंगत" है।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने हाईकोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 50 के तहत ED द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयानों पर अविश्वास जताने पर आपत्ति जताई।

जवाब में जस्टिस गवई ने कहा,

"हमारी राय में यह बहुत ही तर्कसंगत आदेश है।"

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा,

"आखिरकार, आपके अनुसार, म्यूटेशन किसी राज कुमार पहावान के लिए किया गया। इसलिए आपको मूल प्रवेशकर्ता के साथ कुछ संबंध दिखाने चाहिए। यह कहने के अलावा कि संपत्ति पर कुछ दौरे किए गए, क्या है?"

जब एएसजी ने कहा कि हाईकोर्ट ने धारा 50 के कथनों की पूरी तरह से अवहेलना की, तो जस्टिस गवई ने कहा,

"उन्हें अवहेलना करने के लिए वैध कारण दिए गए हैं।"

एएसजी ने जब आगे तर्क करने की कोशिश की तो जस्टिस गवई ने चेतावनी दी,

"हम आगे कुछ भी नहीं देखना चाहते हैं। अगर हम आगे कुछ भी देखते हैं तो आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। जज ने बहुत ही तर्कसंगत निर्णय दिया है।"

एएसजी ने जब दावा किया कि ED के मामले की पुष्टि करने वाले दस्तावेज हैं तो जस्टिस गवई ने कहा,

"इसके विपरीत, यह स्पष्ट निष्कर्ष है कि भानु प्रताप से जब्त किए गए सभी रिकॉर्ड में आवेदक (सोरेन) को फंसाने वाला कुछ भी नहीं है।"

खंडपीठ ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और ED की याचिका को निम्न आदेश के साथ खारिज की:

"हम विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियां जमानत पर विचार करने से संबंधित हैं। इससे ट्रायल जज पर ट्रायल या किसी अन्य कार्यवाही में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"

सुनवाई के दौरान, जस्टिस गवई ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा सार्वजनिक समारोह में ट्रायल जजों द्वारा जमानत देने में अनिच्छा के बारे में दिए गए बयान का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा,

"माननीय सीजेआई ने बैंगलोर में एक बयान दिया कि जब जमानत देने का सवाल आता है तो ट्रायल कोर्ट सुरक्षित रहते हैं..."

केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम हेमंत सोरेन, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 9599/2024

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