सुप्रीम कोर्ट ने ECI से राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए Electoral Bond का विवरण प्रकाशित करने को कहा
Electoral Bond (इलेक्टोरल बांड) योजना को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
1. जारीकर्ता बैंक (भारतीय स्टेट बैंक) चुनावी बांड जारी करना बंद कर देगा।
2. भारतीय स्टेट बैंक 12 अप्रैल, 2019 के न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक खरीदे गए Electoral Bond का विवरण भारत चुनाव आयोग को प्रस्तुत करेगा। विवरण में प्रत्येक Electoral Bond की खरीद की तारीख, बांड के खरीदार का नाम और खरीदे गए Electoral Bond का मूल्य शामिल होगा।
3. भारतीय स्टेट बैंक उन राजनीतिक दलों का विवरण प्रस्तुत करेगा, जिन्होंने 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक Electoral Bond के माध्यम से योगदान प्राप्त किया। SBI को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक Electoral Bond के विवरण का खुलासा करना होगा, जिसमें भुनाने की तारीख और Electoral Bond का मूल्य शामिल होगा।
4. SBI उपरोक्त जानकारी आज से तीन सप्ताह के भीतर यानी 6 मार्च तक ECI को सौंप देगा।
5. ECI 13 मार्च, 2024 तक SBI से प्राप्त जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
6. Electoral Bond, जो 15 दिनों की वैधता अवधि के भीतर हैं, लेकिन जिन्हें राजनीतिक दलों द्वारा अभी तक भुनाया नहीं गया, उन्हें राजनीतिक दल द्वारा क्रेता को वापस कर दिया जाएगा। इसके बाद जारीकर्ता बैंक क्रेता के खाते में राशि वापस कर देगा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की 5-न्यायाधीशों ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक बैच पर फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, एडवोकेट प्रशांत भूषण, एडवोकेट शादान फरासत, एडवोकेट निज़ाम पाशा, सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया उपस्थित हुए।
भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता संघ की ओर से पेश हुए।