BREAKING| SBI ने सुप्रीम कोर्ट से Electoral Bond की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय बढ़ाने का अनुरोध किया

Update: 2024-03-04 13:47 GMT

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर भारतीय चुनाव आयोग को चुनावी बांड (Electoral Bond) के संबंध में जानकारी देने के लिए 30 जून, 2024 तक समय बढ़ाने की मांग की।

15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार, SBI को 6 मार्च तक ईसीआई को जानकारी देनी होगी।

विस्तार आवेदन में SBI ने कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 की अवधि के बीच विभिन्न दलों को दान देने के लिए बाईस हजार दो सौ सत्रह (22,217) Electoral Bonds जारी किए गए। भुनाए गए बांड प्रत्येक चरण के अंत में अधिकृत शाखाओं द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई मुख्य शाखा में जमा किए गए। SBI ने कहा कि चूंकि दो अलग-अलग सूचना साइलो मौजूद हैं, इसलिए उसे चौवालीस हजार चार सौ चौंतीस (44,434) सूचना सेटों को डिकोड, संकलित और तुलना करना होगा।

SBI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई तीन सप्ताह की समयसीमा पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

Electoral Bonds योजना को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

1. जारीकर्ता बैंक (भारतीय स्टेट बैंक) Electoral Bonds जारी करना बंद कर देगा।

2. भारतीय स्टेट बैंक 12 अप्रैल, 2019 के न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण भारत चुनाव आयोग को प्रस्तुत करेगा। विवरण में प्रत्येक चुनावी बांड की खरीद की तारीख, बांड के खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बांड का मूल्य शामिल होगा।

3. भारतीय स्टेट बैंक उन राजनीतिक दलों का विवरण प्रस्तुत करेगा, जिन्होंने 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक चुनावी बांड के माध्यम से योगदान प्राप्त किया। SBI को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक Electoral Bonds के विवरण का खुलासा करना होगा, जिसमें भुनाने की तारीख और चुनावी बांड का मूल्य शामिल होगा।

4. SBI को उपरोक्त जानकारी तीन सप्ताह के भीतर यानी 6 मार्च तक ईसीआई को सौंपनी होगी।

5. ईसीआई 13 मार्च 2024 तक SBI से प्राप्त जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

6. Electoral Bonds, जो 15 दिनों की वैधता अवधि के भीतर हैं, लेकिन जिन्हें राजनीतिक दलों द्वारा अभी तक भुनाया नहीं गया, उन्हें राजनीतिक दल द्वारा क्रेता को वापस कर दिया जाएगा। इसके बाद जारीकर्ता बैंक क्रेता के खाते में राशि वापस कर देगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की 5-जजों ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक बैच पर फैसला सुनाया।

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