विशेष अदालत द्वारा शिकायत का संज्ञान लेने के बाद PMLA आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-03-04 05:13 GMT

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA Act) के तहत एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार किया कि क्या एक्ट की धारा 44 के तहत विशेष अदालत द्वारा संज्ञान लेने और सम्मन भेजे जाने के बाद अधिकारियों द्वारा किसी आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा,

“प्रथम दृष्टया, हमें ऐसा प्रतीत होता है कि एक बार एक्ट की धारा 44 के तहत दायर शिकायत का संज्ञान धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA Act) के तहत विशेष अदालत द्वारा ले लिया जाता है तो एक्ट की धारा के तहत गिरफ्तारी की शक्ति निहित होती है। PMLA Act की धारा 19 का प्रयोग नहीं किया जा सकता।”

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने अगली तारीख पर विचार के लिए निम्नलिखित दो प्रश्न प्रस्तुत करते हुए कहा:

(I) यदि विशेष न्यायालय द्वारा जारी किए गए समन के अनुसार, अभियुक्त विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होता है तो क्या उसे सीआरपीसी की धारा 437 के संदर्भ में जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता है?

(II) यदि उक्त मुद्दे का उत्तर सकारात्मक है तो क्या ऐसी जमानत याचिका PMLA Act की धारा 45 द्वारा लगाई गई दोहरी शर्तों द्वारा शासित होगी?

याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत से इनकार करने वाले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसको जनवरी, 2024 में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी गई थी, इस शर्त के अधीन कि वह नियमित रूप से तय तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होगा। यह सुरक्षा 1 मार्च के आदेश से अगली सुनवाई तक बढ़ा दी गई।

उनका मामला सह-आरोपी श्याम लाल, रघबीर सिंह, गुरप्रीत सिंह और इकबाल सिंह की याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध है।

केस टाइटल: तरसेम लाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय जालंधर जोनल कार्यालय, अपील के लिए विशेष अनुमति (सीआरएल) नंबर 121/2024 (और संबंधित मामले)

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