मेडिकल कॉलेज 1 करोड़ रुपये लेते हैं लेकिन MBBS इंटर्न को वजीफा नहीं देंगे? या तो उन्हें भुगतान करें या इंटर्नशिप न करें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 फरवरी) को MBBS इंटर्न्स की शिकायतों पर चिंता व्यक्त की कि मेडिकल कॉलेज उन्हें वजीफा का पर्याप्त भुगतान नहीं कर रहे हैं।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की खंडपीठ मेडिकल स्टूडेंट द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस धूलिया ने मौखिक रूप से इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि कैसे मेडिकल कॉलेज इतनी भारी फीस ले रहे हैं और वजीफा देने के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने कहा,
“वे किस तरह के मेडिकल कॉलेज हैं? वे एक करोड़ चार्ज कर रहे हैं, मुझे नहीं पता कि वे पोस्ट-ग्रेजुएट स्टूडेंट के लिए कितना चार्ज कर रहे हैं और वे वजीफा भी देने को तैयार नहीं हैं। या तो आप उन्हें भुगतान करें, या आपके पास इंटर्नशिप नहीं है।"
गौरतलब है कि यह वही मामला है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमिशन को शिकायत का जवाब देने का निर्देश दिया कि 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज MBBS इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टरों को कोई वजीफा नहीं देते हैं या न्यूनतम निर्धारित वजीफा नहीं दे रहे हैं।
इनमें से एक रिट याचिका आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के स्टूडेंट द्वारा दायर की गई। पिछले साल 15 सितंबर के अपने आदेश में कोर्ट ने एसीएमएस को मेडिकल इंटर्न को वजीफा के रूप में 25,000 रुपये प्रति माह का भुगतान शुरू करने का निर्देश दिया।
एसीएमएस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कर्नल (सेवानिवृत्त) आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि कॉलेज सरकार या सेना द्वारा नहीं चलाया जाता है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि इसे आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी द्वारा चलाया जा रहा है और सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है। सीनियर वकील ने बताया कि संस्था को कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या याचिकाकर्ताओं को कोई वजीफा मिल रहा है, याचिकाकर्ता की वकील तन्वी दुबे ने जवाब दिया,
“अक्टूबर से अगले बैच के लिए। हालांकि वे अप्रैल से शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें भुगतान अक्टूबर से ही किया गया।
इसके अनुसरण में जस्टिस धूलिया ने आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के वकील से याचिकाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए कहा।
जस्टिस धूलिया ने कहा,
"या तो आप उन्हें भुगतान करें या आपके पास इंटर्नशिप नहीं है।"
गौरतलब है कि इससे पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) को सारणीबद्ध चार्ट दाखिल करने और यह बताने का निर्देश दिया था कि (i) क्या मेडिकल इंटर्न के लिए वजीफे की कमी के बारे में बयान सही है और ( ii) एनएमसी इंटर्नशिप स्टाइपेंड के भुगतान के मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
इसे इंगित करते हुए याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने तर्क दिया कि एनएमसी ने इस निर्देश का पूरी तरह से पालन नहीं किया। हालांकि, एनएमसी के वकील ने इसका जोरदार खंडन किया। उन्होंने कहा कि 17 राज्यों ने प्रतिक्रिया दी है और भुगतान कर रहे हैं।
अदालत ने पक्षकारों से प्रासंगिक दस्तावेज दाखिल करने को कहा और मामले को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल: अभिषेक यादव और अन्य बनाम आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 730/2022