सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी नागरिकों के मताधिकार पर जनहित याचिका पर विचार करने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रवासी नागरिकों के मताधिकार से संबंधित जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार किया, यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता अनिवार्य रूप से संसद को कानून बनाने का निर्देश देने की मांग कर रहा था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता उचित मंच पर जाएं।
आदेश इस प्रकार दिया गया,
"याचिकाकर्ता कुछ समय तक बहस करने के बाद उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता के साथ इस याचिका को वापस लेने की मांग करता है और उसे इसकी अनुमति है।"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता-सव्या सचि कृष्णन निगम जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए उन्होंने प्रस्तुत किया कि जनहित याचिका प्रवासी नागरिकों द्वारा मतदान के अधिकार के प्रयोग से संबंधित थी। उन्होंने तर्क दिया कि भारत के चुनाव आयोग ने प्रस्ताव के संबंध में विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखा, लेकिन फाइल 2020 से अटकी हुई है।
इन दलीलों के जवाब में जस्टिस कांत ने याचिकाकर्ता से कहा,
"आप हमसे संसद को कानून बनाने का निर्देश देने के लिए कह रहे हैं। कृपया ऐसा न कहें। आप इसे किसी अन्य मंच पर उठा सकते हैं अन्य मंच हैं आप उनसे संपर्क कर सकते हैं हो सकता है कि आप संसद सत्र में इस मुद्दे को उठा सकें, जो चल रहा है।”
इसके अनुसार मामले का निपटारा कर दिया गया।
विदेश से NRI को वोट डालने की अनुमति देने की मांग करने वाली एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
केस टाइटल: सव्य सचि कृष्णन निगम बनाम भारत का चुनाव आयोग और अन्य, डायरी संख्या 45679/2024