क्या फोरेंसिक रिपोर्ट के बिना NDPS मामलों में चार्जशीट अधूरी है? क्या राज्यों के पास पर्याप्त फोरेंसिक लैब हैं? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

Update: 2024-07-20 11:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त फोरेंसिक साइंस लैब की स्थापना से संबंधित मुद्दे पर ध्यान देने को कहा, जिसमें ऐसी लैब को संचालित करने के लिए आवश्यक तकनीकी कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या हो।

कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रहा है कि क्या NDPS मामलों में फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) या जांचकर्ता की रिपोर्ट को शामिल किए बिना चार्जशीट को CRPC की धारा 173 (जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट) के तहत 'अधूरी रिपोर्ट' माना जा सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ देश भर में विभिन्न NDPS मामलों में आरोपियों को जमानत देने से संबंधित याचिकाओं के बैच में इन मुद्दों पर विचार करेगी।

कोर्ट ने कोई भी निर्देश जारी करने से पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुनने का प्रस्ताव रखा। न्यायालय नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) के तहत परीक्षणों की निष्पक्षता और प्रभावकारिता से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों पर भी विचार करेगा।

ऐसा ही मुद्दा राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त एफएसएल/जांच लैब की स्थापना और अपेक्षित तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति है। न्यायालय ने इन लैब की वर्तमान स्थिति और एफएसएल/जांच की रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने के लिए मौजूद तंत्र का आकलन करने की आवश्यकता को पहचाना।

न्यायालय ने भारत संघ बनाम मोहन लाल एवं अन्य, (2016) 3 एससीसी 379 के मामले में अपने पहले के निर्देशों के अनुपालन में राज्यों द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा करने की आवश्यकता भी पहचानी।

मोहन लाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब्त की गई नारकोटिक दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों के उचित संचालन और भंडारण को सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए:

जब्त किए गए पदार्थों को निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी या एनडीपीएस अधिनियम की धारा 53 के तहत सशक्त अधिकारी को भेजा जाना चाहिए। इसके बाद अधिकारी को अधिनियम की धारा 52ए(ii) के तहत आवेदन के साथ मजिस्ट्रेट के पास जाना चाहिए, जिसे मजिस्ट्रेट को यथाशीघ्र अनुमति देनी चाहिए।

जब्त किए गए पदार्थों का नमूना मजिस्ट्रेट की देखरेख में लिया जाना चाहिए।

केंद्र और राज्य सरकारें जब्त दवाओं की चोरी, चोरी या प्रतिस्थापन को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपायों के साथ भंडारण सुविधाएं स्थापित करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें प्रत्येक भंडारण सुविधा के लिए एक अधिकारी को नामित करना और उचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना शामिल है।

पुलिस भंडारण में वर्तमान में पड़ी जब्त दवाओं का निपटान निर्णय में जारी निर्देशों के अनुसार औषधि निपटान समितियों द्वारा किया जाना चाहिए।'

उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि वे प्रशासनिक पक्ष पर न्यायाधीशों की समिति नियुक्त करें, जो इनके अनुपालन के संबंध में संबंधित राज्यों द्वारा की गई प्रगति की निगरानी और निगरानी करे। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को भारत संघ, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसका जवाब 29 अगस्त, 2024 को दिया जाना है।

अदालत ने आरोपी व्यक्तियों द्वारा अंतरिम जमानत के लिए की गई प्रार्थना के संबंध में भी नोटिस जारी किए, जिसका जवाब भी उसी तिथि, 29 अगस्त, 2024 को दिया जाना है।

मामलों की सुनवाई 29 अगस्त, 2024 को दोपहर 3:00 बजे निर्धारित है।

केस टाइटल- मोहम्मद अरबाज और अन्य बनाम दिल्ली एनसीटी राज्य और इससे जुड़े मामले

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