क्या न्यायिक कार्यवाही में लगाए गए आरोप मानहानिकारक हैं? सुप्रीम कोर्ट ने AIADMK नेता पलानीस्वामी के खिलाफ मानहानि मामले पर रोक लगाई
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी (EPS) को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता केसी पलानीसामी (KCP) द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को बहाल कर दिया।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने पलानीस्वामी की याचिका पर अपील करने की अनुमति देते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।
मामले की उत्पत्ति केसीपी द्वारा ईपीएस के खिलाफ दायर मानहानि शिकायत में निहित है, जिसमें कहा गया कि ईपीएस ने हाईकोर्ट के समक्ष पक्षकारों के बीच लंबित मध्यस्थता कार्यवाही में हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि केसीपी, जिसे AIADMK से निष्कासित कर दिया गया, उन्होंने फर्जी वेबसाइट बनाई। पार्टी के नाम पर और पार्टी कार्यकर्ताओं से पैसे इकट्ठा करके फर्जी सदस्यता कार्ड जारी कर रहा है। यह केसीपी का मामला है कि हलफनामे में दिए गए कथन मानहानिकारक प्रकृति के है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने शिकायत पर विचार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, अपील में मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द किया और ईकेपी के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही बहाल कर दी।
ईपीएस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि मानहानि का कोई मामला नहीं है, क्योंकि केसीपी को वास्तव में अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि "अब हमारे पक्ष में अवार्ड है", जो सार्वजनिक दस्तावेज़ है। बताया गया कि उक्त अवार्ड के खिलाफ आईपीसी की धारा 34 याचिका दायर की गई, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया।
केसीपी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट केके वेणुगोपाल और सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि ईपीएस ने एक नहीं, बल्कि तीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह प्रस्तुत करने के लिए केस-कानूनों पर भरोसा करने की कोशिश की कि यदि कोई आरोप हलफनामे पर लगाया गया तो यह मानहानिकारक है।
जस्टिस गवई ने इस बिंदु पर सवाल किया,
"यदि न्यायिक कार्यवाही में कोई आरोप लगाया जाता है तो क्या यह मानहानिकारक है?"
वेणुगोपाल ने हां में जवाब दिया।
केसीपी की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि उन पर सदस्यों को पार्टी में शामिल करने का आरोप है, लेकिन एक भी सबूत नहीं है। यह आग्रह किया गया कि सबूतों की कमी के कारण हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को उलट दिया।
सीनियर वकीलों को सुनने के बाद बेंच ने अपील करने की अनुमति दे दी और विवादित आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया।
केस टाइटल: एडप्पादी के पलानीसामी बनाम केसी पलानीसामी, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 466/2024