ब्याज दर NBFC नीति का मामला, लोन प्राप्तकर्ता राशि चुकाने के बाद ब्याज दर पर आपत्ति नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-03-05 07:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 मार्च) को कहा कि एक बार जब कोई व्यक्ति सहमत ब्याज दर पर लोन ले लेता है तो निर्धारित ब्याज दर के साथ लोन राशि का भुगतान करने के बाद वह ब्याज की वापसी का दावा नहीं कर सकता है। आरोप है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) द्वारा आरबीआई द्वारा तय की गई ब्याज दर से अधिक ब्याज दर ली जाती है।

जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की खंडपीठ ने कहा कि लोन देने और वसूली पर ब्याज दर तय करना नीति का मामला है। इसलिए NBFC को लोन देने और धन की वसूली पर ब्याज दर तय करने का अधिकार है।

खंडपीठ ने आगे कहा,

“वर्तमान मामले में शुरुआत में यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रतिवादी नंबर 1 NBFC है और कॉर्पोरेट निकाय के रूप में उधार और वसूली के संबंध में अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं से बंधा होगा। उस संबंध में लगाए जाने वाले ब्याज की दर की प्रयोज्यता भी नीति का मामला है और यह तब तक मामला-विशिष्ट नहीं हो सकता, जब तक कि पार्टियों के बीच किए गए व्यक्तिगत समझौते से अन्यथा संकेत न मिले।''

न्यायालय ने कहा कि एक बार जब लोन समझौते के पक्षकार यानी ऋणदाता और प्राप्तकर्ता यह तय कर लेते हैं कि लोन राशि पर लागू ब्याज दर NBFC द्वारा तय की गई ब्याज दर के अनुसार होगी तो लोन राशि का लाभार्थी/प्राप्तकर्ता NBFC द्वारा तय की गई ब्याज दर के अनुसार लोन राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य होगा।

केस टाइटल: राजेश मोंगा बनाम हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अन्य, सिविल अपील नंबर 1495 2023

Tags:    

Similar News