उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति असंवैधानिक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-02-12 07:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 फरवरी) को विभिन्न राज्यों में उप मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की। न्यायालय ने कहा कि उप मुख्यमंत्री पहले राज्य सरकार के भीतर मंत्री है और पद केवल लेबल और कुछ नहीं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका को गलत मानते हुए इस पर विचार करने से इनकार किया।

याचिकाकर्ता 'पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी' ने विभिन्न राज्यों में उप मुख्यमंत्रियों की "असंवैधानिक नियुक्ति" को रोकने के लिए न्यायालय से आदेश मांगा था।

सीजेआई ने कहा कि उपमुख्यमंत्री भी पहले मंत्री होता है और 'उपमुख्यमंत्री' का पद "केवल लेबल" है। उन्होंने आगे बताया कि उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति का संवैधानिक अर्थों में कोई संबंध नहीं है, यह लेबल उच्च वेतन जैसे कोई अतिरिक्त लाभ प्रदान नहीं करता।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की प्रक्रिया अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

उन्होंने जोर देकर कहा,

“ऐसा करके वे अन्य अधिकारियों के लिए भी गलत उदाहरण स्थापित कर रहे हैं… डिप्टी सीएम की नियुक्ति का आधार क्या है, यह केवल धर्म है और समाज के विशेष संप्रदाय से होने के कारण इसका कोई अन्य आधार नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 51ए के खिलाफ है।”

ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायालय इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं है, इसलिए उसने इसे खारिज कर दिया।

कोर्ट ने आदेश में कहा,

''प्रस्तुत यह है कि संविधान में ऐसा कोई पद निर्धारित नहीं है। उपमुख्यमंत्री राज्यों की सरकार में सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होता है। डिप्टी सीएम की पदवी संवैधानिक पद का उल्लंघन नहीं है।

केस टाइटल: सार्वजनिक राजनीतिक दल बनाम भारत संघ W.P.(C) नंबर 000090 - / 2024

Tags:    

Similar News