अडानी-हिंडनबर्ग विवाद | सेबी जांच के पक्ष में ‌‌दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर

Update: 2024-02-14 05:52 GMT

अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले, जिसके तहत अडानी समूह की कंपनियों द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए दायर याचिका खारिज कर दी गई थी, के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।

याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल द्वारा दायर याचिका में तीन जनवरी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है, जिसने विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग को खारिज कर दिया था और सेबी की ओर से जारी जांच का समर्थन किया था।

उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी, 2024 के फैसले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में उठाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

24 जनवरी, 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक की कीमतें बढ़ाने के लिए चालाकी करने का आरोप लगाया गया था। न्यायिक हस्तक्षेप के आह्वान के बावजूद, अदालत ने नियामक संस्था के अधिकार या निष्पक्षता पर संदेह करने के लिए वैध आधारों की अनुपस्थिति की ओर इशारा करते हुए, सेबी की जांच की अखंडता को बरकरार रखा।

जायसवाल ने इस फैसले के जवाब में, याचिका दायर की है, जिसमें फैसले में कथित त्रुटियों का हवाला दिया गया है और नए सबूत पेश किए गए हैं, जो याचिकाकर्ता के अनुसार, परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

याचिका में कहा गया है-

"आक्षेपित आदेश में स्पष्ट गलतियां और त्रुटियां हैं और याचिकाकर्ता के वकील की ओर से प्राप्त की गई कुछ नई सामग्री के आलोक में, पर्याप्त कारण हैं जिनके लिए इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। नए दस्तावेज़ और पुनर्विचार याचिका के साथ संलग्न ईमेल सहित सभी सबूतों से पता चलता है कि अडानी समूह की कंपनियां प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम 1957 के नियम 19ए का घोर उल्लंघन कर रही हैं।"

याचिकाकर्ता ने अदालत के इस निष्कर्ष पर भी सवाल उठाया है कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) जैसे तीसरे पक्ष के संगठनों की रिपोर्टें सेबी की जांच की अपर्याप्तता का 'निर्णायक सबूत' नहीं थीं। याचिका में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताओं (एलओडीआर) नियमों में सेबी के संशोधनों को मंजूरी देने के अदालत के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इन संशोधनों का बाजार की अखंडता और निवेशक सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव हो सकता है।

याचिका में अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति के सदस्यों के बीच हितों के टकराव के संबंध में अदालत द्वारा चिंताओं को खारिज करने का भी विरोध किया गया है।

केस‌ डिटेलः अनामिका जयसवाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

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