राजस्थान हाईकोर्ट ने परीक्षा में डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने पर सरकारी कर्मचारी की सेवा समाप्ति खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें जूनियर सहायक (क्लर्क ग्रेड-II) (याचिकाकर्ता) की सेवा इस तथ्य के आधार पर समाप्त कर दी गई कि जिस आधार पर याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त किया गया था, वह न तो आरोप पत्र में और न ही जांच रिपोर्ट में शामिल था।
जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने कहा,
"इस न्यायालय की राय में जब आरोपों के ज्ञापन में याचिकाकर्ता के डमी उम्मीदवार के रूप में शामिल होने से संबंधित कोई आरोप नहीं था। आरोप नंबर 3 केवल आपराधिक मामले में उसकी गिरफ्तारी के बारे में प्रतिवादियों से छिपाने के संबंध में था तो अनुशासनात्मक प्राधिकारी डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने के उसके अपराध को मानकर आगे नहीं बढ़ सकता था। खासकर तब जब न तो आरोप पत्र और न ही जांच रिपोर्ट में ऐसा सुझाव दिया गया हो।"
न्यायालय सेवा समाप्ति के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता को आरोप पत्र दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप थे कि वह बिना छुट्टी लिए ड्यूटी से अनुपस्थित रहा और धोखाधड़ी के लिए उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में गिरफ्तारी के तथ्य को छिपाया, धारा 419 और 420, IPC के तहत। जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और एक अंतिम आदेश पारित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता को सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप पत्र, जांच रिपोर्ट के साथ-साथ बर्खास्तगी के आदेश पर प्रकाश डाला और कहा कि बर्खास्तगी का आदेश याचिकाकर्ता द्वारा RPF SI भर्ती 2018 में डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने पर आधारित था। एक आरोप जो न तो चार्जशीट में और न ही जांच रिपोर्ट में दिखाई दिया। वकील ने प्रस्तुत किया कि यह विवेक का उपयोग न करने का मामला था और बर्खास्तगी का आदेश तथ्यों के साथ-साथ कानून के विपरीत था।
इसके विपरीत, सरकार के वकील ने तर्क दिया कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने बर्खास्तगी आदेश देते समय सभी प्रासंगिक तथ्यों को ध्यान में रखा था। याचिकाकर्ता के डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने का उल्लेख एक अनजाने में हुई त्रुटि थी।
दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला,
“याचिकाकर्ता किसी आपराधिक मामले में संलिप्त है, लेकिन ऐसा आरोप केवल इस तथ्य से संबंधित है कि उसने अपनी गिरफ्तारी के बारे में प्राधिकारी को सूचित नहीं किया, जबकि अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने RPF SI भर्ती, 2018 में डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने के उसके अपराध का पता लगाया।”
इस प्रकाश में यह माना गया कि चूंकि आरोप पत्र या जांच रिपोर्ट में याचिकाकर्ता के डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होने के बारे में कोई आरोप नहीं था, इसलिए अनुशासनात्मक प्राधिकारी उस धारणा के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकता। न्यायालय ने माना कि इससे यह प्रदर्शित होता है कि प्राधिकारी ने सही अर्थों में तथ्यात्मक मैट्रिक्स की सराहना नहीं की और केवल अपनी धारणा के आधार पर आगे बढ़ा।
तदनुसार याचिका को अनुमति दी गई और याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी रद्द कर दी गई, जबकि प्राधिकारी को रिकॉर्ड पर तथ्यों पर विचार करने के बाद एक नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया। तब तक याचिकाकर्ता को सेवा में माना जाता था।
केस टाइटल: दिनेश कुमार बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।