कम मात्रा में लेकिन ज़्यादा असर वाला गांजा मिलने पर जमानत नहीं मिलेगी: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने 18.5 किलो हाइड्रोपोनिक वीड (Hydroponic Weed) के साथ पकड़े गए 27 वर्षीय आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। यह मादक पदार्थ कथित तौर पर 18 करोड़ रुपये मूल्य का था। अदालत ने कहा कि भले ही जब्त की गई मात्रा वाणिज्यिक सीमा (commercial quantity) से कम हो, लेकिन ड्रग की अत्यधिक शक्ति (potency), उसका विशेष आयात तरीका (sophisticated import method) और उसकी भारी कीमत को देखते हुए आरोपी को राहत नहीं दी जा सकती।
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकल पीठ ने कहा कि मामले के तथ्यों से यह स्पष्ट है कि आरोपी साधारण उपभोक्ता या छोटे स्तर का तस्कर नहीं, बल्कि एक बड़े, संगठित और वित्तीय रूप से मजबूत ड्रग नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
अदालत ने टिप्पणी की कि अब यह एक आम रणनीति बन गई है कि ड्रग सिंडिकेट्स जानबूझकर वाणिज्यिक सीमा से कम मात्रा में नशीले पदार्थ आयात करते हैं ताकि NDPS अधिनियम की धारा 37 के तहत कठोर जमानत प्रतिबंधों से बचा जा सके। ऐसे में इस स्थिति में जमानत देना इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करेगा और NDPS कानून का उद्देश्य — बड़े पैमाने पर ड्रग तस्करी पर अंकुश लगाना — कमजोर पड़ जाएगा।
अदालत ने कहा —
“ड्रग सिंडिकेट अब उच्च शिक्षित युवाओं, विश्वविद्यालय छात्रों और संपन्न परिवारों के पेशेवर युवाओं को निशाना बना रहे हैं। उन्हें आसान पैसे, विलासितापूर्ण जीवन और विदेशी यात्राओं के लालच में फंसाया जाता है। इन युवाओं की मासूमियत और तेज़ धन की चाहत का फायदा उठाकर उन्हें ड्रग व्यापार में शामिल किया जाता है, जिससे उनकी शैक्षणिक और पेशेवर ज़िंदगी बर्बाद हो जाती है।”
लोक अभियोजक (Public Prosecutor) ने दलील दी कि जब्त मादक पदार्थ एक विशेष प्रकार का विदेशी नशीला पदार्थ है, जिसे नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है ताकि उसकी शक्ति (potency) अधिक हो। उन्होंने कहा कि इसका आयात विशेष तरीके (modus operandi) से किया गया था और यह आज की युवा पीढ़ी को आकर्षित कर रहा है।
वहीं, आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि बरामद मात्रा वाणिज्यिक सीमा से कम है और केवल इसलिए कि उसे “हाइड्रोपोनिक वीड” कहा जा रहा है, उससे कानूनी स्थिति नहीं बदलती — वह अब भी “गांजा” ही है।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि राज्य द्वारा उठाई गई चिंताएं और मामले की विशिष्ट परिस्थितियाँ, जैसे — मादक पदार्थ की प्रकृति, उसका उन्नत आयात तरीका, उसकी कीमत जो उसकी शक्ति को दर्शाती है, और आरोपी के संभावित संबंध किसी बड़े ड्रग सिंडिकेट से — इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा —
“इस पदार्थ को केवल 'गांजा' मानना अपराध की गंभीरता को कम आंकने जैसा होगा। इसकी उच्च शक्ति इसे युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय बना रही है और यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा है। इसकी इतनी अधिक कीमत अपने आप में यह साबित करती है कि यह कोई मामूली अपराध नहीं है।”
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि यदि इस स्थिति में जमानत दी जाती है, तो यह ड्रग तस्करों को यह संदेश देगा कि वे कम मात्रा रखकर आसानी से बच सकते हैं। इसलिए, सार्वजनिक हित (public interest) को प्राथमिकता देते हुए अदालत ने कहा कि ड्रग तस्करी के खिलाफ सख्त रुख अपनाना आवश्यक है, भले ही जब्त मात्रा वाणिज्यिक सीमा से कम क्यों न हो।
इस आधार पर, अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका अस्वीकार कर दी।