राजस्थान हाईकोर्ट ने कक्षा 8 के खराब परिणाम के लिए सरकारी स्कूल शिक्षक के खिलाफ निंदा आदेश खारिज किया

Update: 2024-09-23 08:30 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने सरकारी स्कूल शिक्षक को राहत देते हुए संबंधित स्कूल में कक्षा 8 की बोर्ड परीक्षा के परिणाम शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मानक से कम होने पर उसके खिलाफ पारित निंदा आदेश खारिज कर दिया।

संदर्भ के लिए निंदा आदेश सरकार द्वारा यह बताने के लिए औपचारिक कार्य है कि लोक सेवक किसी दोषपूर्ण कार्य या चूक के कारण किसी कदाचार का दोषी है। इस प्रकार उसे औपचारिक दंड दिया गया है।

इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल पीठ ने कहा कि इस मामले में ऐसा कोई आरोप नहीं था कि संबंधित स्कूल का परिणाम याचिकाकर्ता शिक्षक की ओर से कमीशन या चूक के कारण कम हुआ था।

अदालत ने कहा,

"परिणाम शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मानदंडों से नीचे रहा कई कारणों से हो सकता है। इस निष्कर्ष पर पहुंचे बिना कि परिणाम याचिकाकर्ता की ओर से कमीशन या चूक के कारण कम हुआ है। याचिकाकर्ता को (राजस्थान सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1958 के नियम 17 के तहत दंडित नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रतिवादियों द्वारा पारित दिनांक 30.11.2017 का विवादित आदेश कानून की नजर में मान्य नहीं है। इसे रद्द और अलग रखा जाना चाहिए। इसके द्वारा इसे रद्द और अलग रखा जाता है।”

याचिकाकर्ता प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक था, जिसे 1958 के नियमों के तहत आरोप-पत्र दिया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि कक्षा 8 की बोर्ड परीक्षा का परिणाम शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मानक से कम था - 40% से कम, उसकी ढिलाई और लापरवाही" के कारण। इस निष्कर्ष को याचिकाकर्ता के खिलाफ कदाचार के रूप में दर्ज किया गया और दंड के रूप में निंदा आदेश पारित किया गया।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अप्रत्याशित परिणाम आरोप-पत्र जारी करने और याचिकाकर्ता को दंडित करने का कारण नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट ने धर्मवीर बनाम राजस्थान राज्य और अन्य में समन्वय पीठ के फैसले का हवाला दिया। (लगभग समान तथ्य होने के कारण) जिसमें कहा गया कि सेवा में कदाचार माना जाने के लिए कर्मचारी की ओर से कुछ कार्य किया जाना या न किया जाना चाहिए तथा आरोप विशिष्ट होना चाहिए तथा उसमें कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए।

शिक्षक की याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने निन्दा आदेश रद्द कर दिया।

केस टाइटल- अजहर जावेद बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।

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