ओवरलोडिंग के सबूत के बिना वाहन का रजिस्ट्रेशन निलंबित नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि खान विभाग द्वारा वाहनों में ओवरलोडिंग के आरोपों के आधार पर कोठपुतली के जिला परिवहन अधिकारी द्वारा वाहनों का वास्तविक वजन किए बिना ही पंजीकरण निलंबित करने के आदेश, जो कि वाहनों का वास्तविक वजन किए बिना ही पारित किए गए थे, टिकने योग्य नहीं हैं।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये आदेश केवल एक धारणा के आधार पर केवल खनन विभाग से प्राप्त रिपोर्ट पर निर्भर करते हुए और वाहनों का वास्तविक वजन मापे बिना ही पारित किए गए।
आगे कहा गया,
“वाहनों के रजिस्ट्रेशन निलंबन का आदेश परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के भौतिक सत्यापन, जिसमें ऐसे वाहनों का वजन और माप शामिल है, उसके बाद ही पारित किया जाएगा, वह भी केवल उन मामलों में जहां ओवरलोडिंग पाई जाती है और ऐसे सत्यापन के बाद इसकी पुष्टि हो जाती है। खान विभाग से प्राप्त आंकड़ों या जानकारी के आधार पर केवल ओवरलोडिंग के आरोपों के आधार पर वाहनों का रजिस्ट्रेशन निलंबित नहीं किया जाना चाहिए।”
अदालत ने कहा,
"इस न्यायालय की सुविचारित राय में जब तक वाहनों का भौतिक वजन करके ओवरलोडिंग का आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक संबंधित वाहनों का पंजीकरण निलंबित नहीं किया जा सकता। इसलिए विवादित आदेश कानून की दृष्टि में टिकने योग्य नहीं हैं। यदि यह पाया जाता है कि वाहनों के निर्माण/डिज़ाइन में कोई परिवर्तन किया गया तो परिवहन अधिकारियों का यह परम कर्तव्य है कि वे किसी भी निलंबन आदेश को पारित करने से पहले वाहन के मालिक/चालक को निरीक्षण के लिए अपने वाहन प्रस्तुत करने का निर्देश दें।"
तर्कों पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने उड़ीसा हाईकोर्ट के आईआरसी नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम जिला मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर मामले का संदर्भ दिया, जिसमें इसी तरह की स्थिति से निपटा गया। यह राय दी गई कि ओवरलोडिंग के तथ्य का निष्कर्ष निकालने के लिए मोटर वाहन विभाग की कोई अधिकृत रिपोर्ट नहीं थी।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने माना,
"प्रतिवादी-राज्य, संबंधित वाहनों में ओवरलोडिंग के संबंध में निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अभिलेखों में कोई भी सामग्री प्रस्तुत करने में विफल रहा है। वाहनों का वास्तविक वजन नहीं किया गया और सीधे तौर पर यह दर्ज कर लिया गया कि संबंधित वाहन ओवरलोडेड थे। इस न्यायालय की सुविचारित राय में जब तक वाहनों का भौतिक वजन करके ओवरलोडिंग का आरोप सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक संबंधित वाहनों का पंजीकरण निलंबित नहीं किया जा सकता।"
याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे एक महीने के भीतर अपने वाहन संबंधित जिला परिवहन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करें, जिन्हें बदले में वाहनों की जांच और निरीक्षण करने, एक विस्तृत सूची बनाने और फिर कानून के अनुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया।
Title: Kanwar Singh & Ors. v State of Rajasthan & Ors.