Road Accident| बच्चे की मृत्यु के मामले में भविष्य की संभावनाओं के लिए कोई मुआवज़ा नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

Update: 2024-08-26 06:47 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि मोटर वाहन दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु के मामले में, ऐसी मृत्यु के लिए भविष्य की संभावनाओं के मद के तहत मुआवज़ा नहीं दिया जा सकता।

जस्टिस नूपुर भाटी की पीठ ने राजेंद्र सिंह एवं अन्य बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों को उनके बच्चे की मृत्यु के संबंध में दिए जाने वाले मुआवज़े को भविष्य की संभावनाओं के अलग मद के तहत और अधिक मुआवज़ा देकर बढ़ाने का तर्क खारिज कर दिया, क्योंकि यह माना गया कि जहां तक बच्चों का संबंध है, इस मद का उपयोग नहीं किया जा सकता।

इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (बीमा कंपनी) द्वारा दायर अपील स्वीकार की और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा 13 वर्षीय लड़की के माता-पिता को दिए गए मुआवजे को कम कर दिया, जिसकी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

दुर्घटना में पिता और उसकी बेटी शामिल थे, जो मोटरसाइकिल पर बेटी के स्कूल से वापस लौट रहे थे, जब वे ट्रैक्टर से दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिसे चालक द्वारा लापरवाही से चलाया जा रहा था।

परिणामस्वरूप पिता को चोटें आईं जबकि बेटी की मृत्यु हो गई। ट्रिब्यूनल ने पिता की चोटों और बेटी की मृत्यु दोनों के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया था। बीमा कंपनी को इसका भुगतान करने का निर्देश दिया था।

दोनों दावों के खिलाफ बीमा कंपनी द्वारा अपील दायर की गई थी और मृतक बेटी के लिए मुआवजे की मात्रा पर सवाल उठाते हुए वकील द्वारा उठाए गए तर्कों में से एक यह था कि बेटी केवल 13 वर्ष की थी। इसलिए किसी भी तरह से अपने माता-पिता की सहायता नहीं कर रही थी, इसलिए उसके संबंध में भविष्य की संभावनाओं के तहत कोई राशि नहीं दी जा सकती, जो ट्रिब्यूनल द्वारा दी गई।

न्यायालय ने तर्क में काफी बल पाया। तदनुसार, भविष्य की संभावनाओं के शीर्षक के तहत राशि को हटाकर मृतक बच्चे के लिए ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए मुआवजे को कम कर दिया और अपील को उस सीमा तक अनुमति दी गई।

केस टाइटल- यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम रमेश चंद्र और अन्य।

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