MV Act | मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण के अलावा अन्य रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण द्वारा कारण बताओ नोटिस जांच अवैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने कहा कि भले ही मोटर वाहन अधिनियम की धारा 55(2) के तहत केवल मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण ही वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है लेकिन यह प्रावधान किसी अन्य रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण को कारण बताओ नोटिस जारी करने या मामले में जांच करने से नहीं रोकता।
संदर्भ के लिए धारा 55(2) मोटर वाहन अधिनियम रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान करता है। यह प्रावधान करता है कि मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है और मूल के अलावा कोई अन्य रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए मूल प्राधिकरण को रिपोर्ट आगे भेज सकता है।
न्यायालय अधिनियम के तहत जगतपुरा, जयपुर में अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर इस आधार पर सुनवाई कर रहा था कि केवल मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण को ही रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार है, किसी अन्य रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण को नहीं।
यह तर्क दिया गया कि चूंकि मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी परिवहन प्राधिकरण है, जो कोटपूतली में स्थित है। इसलिए परिवहन प्राधिकरण, जगतपुरा, जयपुर द्वारा जारी किया गया विवादित नोटिस मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी न होते हुए भी कानून की दृष्टि से गलत है।
जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने प्रावधान का अवलोकन करते हुए कहा कि कारण बताओ नोटिस जारी करना या जांच करना रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र को रद्द करने के बराबर नहीं है।
उन्होंने कहा,
“उपर्युक्त प्रावधान स्पष्ट रूप से यह प्रावधान करता है कि यद्यपि रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र केवल मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी द्वारा ही रद्द किया जा सकता है लेकिन अन्य रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी को भी कारण बताओ नोटिस जारी करने और मामले में जांच करने का अधिकार है। हालांकि, यदि रजिस्ट्रेशन रद्द करना आवश्यक है तो ऐसा प्राधिकारी रिपोर्ट और रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र रद्द करने के लिए मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी को फारवर्ड करेगा। इस प्रकार यह मूल रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी के अलावा किसी भी रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने और/या मामले में जांच करने से वंचित नहीं करता है।”
तदनुसार यह माना गया कि जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में कोई अवैधता नहीं थी और याचिकाओं को योग्यता से रहित होने के कारण खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: विक्रम सिंह बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।