राजस्थान हाईकोर्ट ने डेंटल कॉलेज पर लगाई गई 7.5 लाख रुपये प्रति स्टूडेंट जुर्माने की कार्यवाही पर लगाई रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें व्यास डेंटल कॉलेज पर शैक्षणिक सत्र 2018-19 और 2019-20 के दौरान डेंटल स्टूडेंट्स को अनियमित दाखिले देने के लिए प्रति स्टूडेंट 7.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
चीफ जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने कॉलेज की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
कॉलेज की ओर से दलील दी गई कि इतनी बड़ी और असंगत सजा बिना किसी पूर्व सूचना या प्रार्थना के दी गई, जबकि इसी मामले में राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) पहले ही कॉलेज पर 1 करोड़ रुपये का अलग जुर्माना लगा चुकी है।
वहीं डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) और RUHS ने कहा कि कॉलेज ने दाखिला प्रक्रिया की खुली अवहेलना की है। कॉलेज ने जिन छात्रों को दाखिला दिया था, उनके नाम DCI की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए गए और कुछ स्टूडेंट को काउंसलिंग बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराए बिना ही प्रवेश दे दिया गया।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि मामला गंभीर है और अपील सुनवाई योग्य है।
कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए शर्त रखी कि कॉलेज प्रत्येक छात्र के लिए 5 लाख रुपये जमा करे। यह राशि RUHS में चार हफ्ते के भीतर जमा करानी होगी और इसे अपील लंबित रहने तक एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) में रखा जाएगा।
इससे पहल एकल पीठ ने कहा था कि अब समय आ गया कि निजी कॉलेज अनियमित दाखिले देना बंद करें और इसे रोकने के लिए कड़ी सजा जरूरी है।
अब यह मामला 29 अक्टूबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
टाइटल: Vyas Dental College and Hospital v. Rajasthan University of Health Sciences & Ors.